Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

जम्मू-कश्मीर: बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से उपजे संकट से निपटने के लिए मांगी गई सेना की मदद

सरकार के निजीकरण के कदम के खिलाफ और दो दौर की वार्ता विफल होने के बाद, बिजली विभाग के लाइनमैन से लेकर वरिष्ठ अभियंताओं ने शनिवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया। 
army

भारी ठंड के बीच जम्मू-कश्मीर बिजली विभाग के लाइनमैन से लेकर वरिष्ठ अभियंताओं ने शनिवार 18 दिसंबर को अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। इसके चलते जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में बिजली गुल रही। रविवार रात के समय, जम्मू-कश्मीर के लगभग 50 प्रतिशत इलाकों में अंधेरा छाया रहा। हालाँकि प्रशासन ने जम्मू में बिजली विभाग के कर्मचारियों की जारी हड़ताल से प्रभावित आवश्यक सेवाओं को बहाल करने के लिए सेना को तैनात किया गया है। लेकिन अभी भी राज्य में बिजली पानी का संकट जारी है। प्रशासन भले सेना लगाकर स्थति से निपटने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन सवाल यह है कि आखिर ये कर्मचारी हड़ताल पर गए क्यों? उनकी मांगे क्या हैं?

क्या है कर्मचारियों की मांग?

सरकार के निजीकरण के कदम के खिलाफ और दो दौर की वार्ता विफल होने के बाद बिजली विभाग के लाइनमैन से लेकर वरिष्ठ अभियंताओं ने शनिवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया। जम्मू-कश्मीर बिजली विकास विभाग को पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में विलय करने और निजी कंपनियों को संपत्ति देने के सरकार के कदम के खिलाफ राज्यभर के बीस हजार कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। विलय की घोषणा जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बीते चार दिसंबर को की थी।

हड़ताली कर्मचारियों ने कहा है कि जब तक प्रशासन उनकी मांगें नहीं मानती, तब तक कोई भी काम नहीं करेंगे। कर्मचारी संपत्ति के निजीकरण, दैनिक वेतन भोगी बिजली कर्मचारियों के नियमितीकरण और वेतन जारी करने के सरकार के फैसले वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के सभी हिस्सों में कर्मचारी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लाइनमैन से लेकर सीनियर इंजीनियर तक, पीडीडी का हर कर्मचारी हड़ताल का हिस्सा है। अधिकारियों का कहना है कि हड़ताली कर्मचारियों के साथ बातचीत हुई, लेकिन स्थिति से निपटने में वे लोग असफल रहे।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि साल 2019 में, जब तत्कालीन राज्य को लद्दाख और जम्मू कश्मीर, दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था, तब जम्मू कश्मीर बिजली विकास विभाग को कश्मीर और जम्मू दोनों डिवीजनों के लिए पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीटीसीएल) और पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीडीसीएल) में विभाजित किया गया था।

कर्मचारियों ने पहले ही सरकार को ऐसी स्थिति (अनिश्चित हड़ताल) की चेतावनी दी थी।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि साल 2019 में बिजली विकास विभाग के विभाजन के बाद से कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं किया गया है।

बिजली कर्मचारी संघ के वरिष्ठ नेता जसबीर सिंह ने ग्रेटर कश्मीर से कहा, “हमारे विभाग को एक निगम में बदल दिया गया था। हमें समय पर वेतन, पदोन्नति और दैनिक वेतन भोगियों को नियमित करने का आश्वासन दिया गया था। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। हमें अंधेरे में रखा गया।’

उन्होंने आगे कहा, “वे हमारे ग्रिड स्टेशनों का निजीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने इसे विभाग से निगम में बदल दिया। फिर उन्होंने हमसे किए वादों को पूरा नहीं किया। अब, क्या हमारे लिए यह विश्वास करना संभव है कि वे ग्रिड स्टेशनों को नहीं बेचेंगे? कर्मचारी अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।”

बिजली कर्मचारी महासंघ के महासचिव सचिन टिक्कू ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लगातार सरकारों द्वारा दशकों से बनाई गई संपत्ति अब केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के तहत बिक्री के लिए तैयार है। कर्मचारियों ने कहा कि यह संपत्तियों का एक व्यवस्थित हस्तांतरण है जिसका हम विरोध कर रहे हैं। वे ट्रांसमिशन क्षेत्र की संपत्ति बेच रहे हैं। वे पावर ग्रिड को 50% हिस्सेदारी देना चाहते हैं जो जम्मू और कश्मीर के हितों के खिलाफ है।

टिक्कू ने आगे कहा कि यह हमारे अस्तित्व का मुद्दा है। यह उन लोगों की लड़ाई है जिनसे हम लड़ रहे हैं। अगर हम ट्रांसमिशन क्षेत्र खो देते हैं, तो हमारे पास कुछ भी नहीं रहेगा। यह बिजली विभाग की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ निचले स्तर पर बातचीत हो रही है और कोई भी शीर्ष सरकारी अधिकारी संकट और आश्वासन को हल करने के लिए आगे नहीं आया है कि बिजली क्षेत्र को निजी कंपनियों को नहीं बेचा जाएगा।

वर्तमान स्थति

पूरे जम्मू कश्मीर में बेहद सर्द मौसम है। श्रीनगर में पारा ज़ीरो से 6 डिग्री नीचे ही है और कश्मीर के कई अन्य हिस्सों में भी असहनीय सर्द है। इस बीच मौसम विभाग ने इस सप्ताह न्यूनतम तापमान में और गिरावट और बर्फबारी की आशंका जताई है। राज्य के कई जिलों में बिजली पूरी तरह ठप है। जम्मू और श्रीनगर में भी बिजली नहीं है। आपूर्ति और मांग के बीच भारी अंतर के कारण कश्मीर पहले से ही सर्दियों के दौरान लंबे समय तक बिजली कटौती का सामना कर रहा है। इस बीच इस हड़ताल ने बिजली संकट को और भी गंभीर बना दिया है।

हड़ताल से उपजे संकट से निपटने के लिए मांगी गई सेना की मदद

अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी कि प्रशासन के अनुरोध के बाद हड़ताल से उपजे हालात से निपटने के लिए यह तैनाती की गई। जम्मू संभागीय आयुक्त राघव लंगर ने सेना को संबोधित एक पत्र में कहा कि बिजली विभाग के कर्मियों की हड़ताल के कारण जम्मू क्षेत्र में आवश्यक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

image

उन्होंने कहा, ''हम मुख्य बिजली स्टेशनों और जलपूर्ति स्रोतों की बहाली के जरिए आवश्यक सेवाओं को समान्य करने में सहायता के लिए भारतीय सेना की मदद चाहते हैं।''

अधिकारियों ने कहा कि सेना ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आवश्यक आपूर्ति बहाल करने के लिए अपने सैनिकों को महत्वपूर्ण बिजली स्टेशनों और मुख्य जलापूर्ति स्रोतों पर तैनात किया।

विपक्ष ने कहा प्रशासन विफल है

इस पूरे मसले पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करके कहा,, "जम्मू-कश्मीर के जम्मू संभाग में बिजली के बुनियादी ढांचे को संचालित करने के लिए सेना को बुलाया गया है। एक नागरिक प्रशासन के लिए सेना को बुलाना अपनी विफलता को स्वीकारना है। इसका मतलब है कि जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा शासन का ध्वस्त होना स्वीकार कर लिया गया है।

आपको बता दे सरकार ने हाल ही में यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी नीतीशेश्वर कुमार को बिजली विभाग का प्रभार दिया है। श्री कुमार जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रमुख सचिव भी हैं।

बिजली विभाग के मुख्य अभियंता एजाज अहमद ने कहा कि वह कर्मचारियों से बात कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि मैंने उनसे हड़ताल वापस लेने का अनुरोध किया है क्योंकि लोग इन अत्यधिक शीत लहर की स्थिति से परेशान हैं, लेकिन कर्मचारी मना कर देते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी मांगों को स्वीकार किया जाए।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest