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जम्मू-कश्मीर: बीते चार साल में आतंकवाद के मामलों में गिरफ्तार लोगों की संख्या पांच गुणा बढ़ी

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 पांच अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया था तथा तत्कालीन राज्य को विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख बना दिए थे।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

जम्मू: अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के संबंध में 2,300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है और यह संख्या 2015 से 2019 के बीच की गई गिरफ्तारियों की संख्या की तुलना में पांच गुणा अधिक है। आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

आंकड़ों के अनुसार अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद पांच अगस्त, 2019 से 20 जून, 2023 तक जम्मू-कश्मीर की समग्र सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। इस दौरान नागरिकों व सुरक्षा बलों के हताहत होने, ग्रेनेड हमलों, आईईडी धमाकों, आतंकवादियों की भर्ती और पथराव की घटनाओं में कमी आई है।

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 पांच अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया था तथा तत्कालीन राज्य को विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख बना दिए थे।

पुलिस द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद कुल 2,327 आतंकवादी और उनके सहयोगी गिरफ्तार किए गए जबकि 2015 से 2019 के बीच इनकी संख्या 427 थी।

पुलिस ने कहा कि 2015 से 2019 के बीच आतंकवादियों की भर्ती के 597 मामले सामने आए थे जबकि 2019 से 2023 के बीच ऐसे मामलों की संख्या 23 प्रतिशत गिरकर 461 रह गई।

अधिकारियों ने कहा कि इसके अलावा पांच अगस्त, 2019 से जून 2023 तक सुरक्षा बलों से हुई अलग-अलग मुठभेड़ों में 675 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जबकि 2015 से 2019 तक 740 से अधिक आतंकवादी मारे गए थे।

आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 2019 के बीच आतंकवादी हमलों में 329 पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की मौत हुई थी जबकि पांच अगस्त 2019 के बाद 146 सुरक्षा कर्मियों की मौत हुई, जो पिछली अवधि की तुलना में 56 प्रतिशत कम है।

आंकड़ों में कहा गया है कि पुलिस और सुरक्षा कर्मियों के चोटिल होने मामलों में 68 प्रतिशत की गिरावट का संकेत मिला है।

आंकड़ों के अनुसार, अनुच्छेद 370 निरस्त होने से पहले की अवधि में 899 कर्मियों के जबकि अनुच्छेद हटने के बाद की अवधि में 289 कर्मियों के घायल होने की जानकारी मिली।

आंकड़ों के अनुसार, आतंकवादी हमलों में मारे गए लोगों की संख्या अनुच्छेद 370 हटने से पहले की अवधि में 119 थी, जो 370 हटने के बाद 107 रही।

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