जम्मू-कश्मीरः पत्रकारों को धमकी मिलने के बाद पुलिस ने दर्ज किया मामला
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस क्षेत्र में पत्रकारों के एक समूह को कथित रूप से धमकी देने के बाद लश्कर ए तैयबा (एलईटी) की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है।
यह धमकी उन पत्रकारों के नामों की सूची के साथ जारी की गई है, जिनमें से कई पत्रकार श्रीनगर में स्थानीय प्रमुख समाचार पत्रों के साथ काम कर रहे हैं। इस बयान को स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं किया जा सका। ये बयान ट्विटर सहित सोशल मीडिया नेटवर्क पर असत्यापित उपयोगकर्ताओं द्वारा प्रसारित किया गया जिससे क्षेत्र की मीडिया में दहशत फैल गई।
श्रीनगर पुलिस ने एक ट्वीट में कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 505, 153 बी, 124 ए और 506 सहित 13 गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत शेरगाड़ी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है जिसकी प्राथमिकी संख्या 82/2022 है।
पुलिस ने ट्वीट में कहा, “कश्मीर में स्थित पत्रकारों और रिपोर्टरों को सीधे धमकी भरे पत्र का ऑनलाइन प्रकाशित और प्रसारित करने के लिए आतंकी संगठन लश्कर और उसके ऑफशूट टीआरएफ के हैंडलर्स, सक्रिय आतंकवादियों और ओवर ग्राउंड वर्कर्स के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है।
हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि पत्रकारों को चिंतित नहीं होना चाहिए और मीडिया के लोगों को हर परिस्थिति में इस तरह के ख़तरों से बचाया जाएगा।
पुलिस अधिकारी ने कहा, “यह दुष्ट नाम हैं और पत्रकारों के ख़िलाफ़ शुरू किया गया शर्मनाक अभियान है। हम उन सभी को जानते भी नहीं हैं और उन पर हमारे लिए काम करने का झूठा आरोप लगाया जा रहा है। यह पूरी तरह से निराधार है और ऐसा लगता है जैसे कोई व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता है जिसके कारण ये धमकियां दी जा रही हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें कुछ नहीं हो।”
'चार्जशीट' शीर्षक वाले इस बयान में पत्रकारों पर कथित रूप से जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया गया है और "कश्मीर फाइट" नाम से जारी किया गया है जिसने अतीत में भी पत्रकारों को निशाना बनाया है। हालिया धमकी ने पत्रकारों के बीच नए सिरे से डर पैदा कर दिया है, जिनमें से कई ने कहा कि वे पहले से ही उभरती स्थिति से जूझ रहे हैं।
सूची में नाम आने के बाद अब तक तीन पत्रकारों ने अपने पदों से इस्तीफ़ा दे दिया है।
एक पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज़क्लिक को बताया, “भले ही यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से दबाव में काम कर रहे हम जैसे पत्रकारों को चुप कराने का प्रयास है। विशेष रूप से संघर्ष वाले क्षेत्रों में पत्रकारों के प्रति शत्रुता है और इस तरह के अभियानों ने लोगों की जान भी ले ली है। कईयों की नौकरी चली गई है।"
विशेष रूप से, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया अधिकार समूहों और वाचडॉग ने अक्सर कश्मीर में रिपोर्टिंग को "ख़तरनाक" क़रार दिया है। इन समूहों ने कहा कि यहां पत्रकारों के लिए काम उनके जीवन और सुरक्षा के लिए जोखिम से भरा है।
साल 2018 में एक प्रमुख पत्रकार और दैनिक स्थानीय राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी की अज्ञात बंदूकधारियों ने श्रीनगर के प्रेस एन्क्लेव में उनके कार्यालय के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी। उनके दो पुलिस अंगरक्षक भी इस हमले में मारे गए थे इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में ख़ौफ़ का माहौल पैदा हो गया था। बता दें कि हाल में जारी सूची में नामजद तीन पत्रकारों ने अब तक इस्तीफ़ा दे दिया है।
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