झारखंड : जीवन और जीविका पर बढ़ते हमलों के ख़िलाफ़ सीपीआईएम का जन अभियान
झारखण्ड प्रदेश इन दिनों एक अजीब और अशांत सियासी माहौल के चक्रव्यूह में फंसा सा दीख रहा है। लेकिन इसके लिए राजधानी स्थित “राजभवन संचालित राजनीति” की कतिपय विवादास्पद भूमिका से भी इन्कार नहीं किया जाना चाहिए। जिसपर पर्दा डालने में पूरी गोदी मिडिया से लेकर राज्य का विपक्षी राजनीतिक दल और उसके नेतागण अपने आलाकमान के निर्देशों के अनुपालन के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार दीख रहें हैं।
वहीं इसके जवाब में सत्ताधारी गठबंधन के सभी दल एवं इसके नेता-कार्यकर्त्ता भी अपने स्तर से पूरा मोर्चा लिए हुए हैं। उस पर हेमंत सोरेन सरकार कैबिनेट द्वारा ’1932 का खतियान आधारित स्थानीयता’ और ‘पुरानी पेंशन योजना’ को झारखण्ड में लागू किये जाने जैसे जनहित के फैसलों ने सरकार की पकड़ को और भी मजबूत बनाने का काम किया है।
लेकिन पूरे प्रकरण में सबसे अहम पहलु है, इस प्रदेश की जनता की बदहाल जीवन स्थिति। संकटों पर समुचित ध्यान दिए जाने का तो मसला सियासी घमासान के कारण हाशिये पर चला गया है। ऐसे में आम लोगों के ज़िन्दगी के ज्वलंत सवालों पर वास्तविक जन राजनीति करनेवाली लाल झंडे की ताक़तों का ज़मीनी जन अभियान जनता के लिए काफी महत्व रखता है।
20 सितम्बर को रांची में सीपीआईएम द्वारा आयोजित जनता के महाजुटान को भी इसी सन्दर्भ में देखा जा सकता है। जिसने अरसे बाद राजधानी में लाल झंडे की एक प्रभावपूर्ण उपस्थिति दर्ज़ करायी है। केंद्र सरकार द्वारा थोपी गयी कमरतोड़ महंगाई, बेरोज़गारी, साम्प्रदायिकता, जनतांत्रिक अधिकारों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ आयोजित यह ‘महाजुटान’ संगठित किया गया था। जिसके तेवर को इसी से देखा और समझा जा सकता है कि प्रतिकूल मौसम ( घनघोर बारिश ) के बावजूद हजारों लोग हाथों में लाल झंडा लिए हुए पूरी मुस्तैदी से कार्यक्रम में डटे रहे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार इस ‘महाजुटान’ में प्रदेश के विभिन्न इलाकों से कार्यकर्त्ता और समर्थक शामिल हुए। जिसमें रांची प्रमंडल के अलावे सुदूर संताल परगना से लेकर पूर्वी सिंहभूम, लातेहार और चतरा तक के किसानों, आदिवासियों एवं इस्पात नगरी बोकारो और कोयलांचल क्षेत्र के मजदूरों ने अपनी भागीदारी निभाई। कई जगहों से पहुंचे पार्टी के कार्यकर्त्ता मार्च निकाल कर महाजुटान कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे।
झारखंड विधान सभा मैदान में आयोजित महाजुटान को संबोधित करते हुए झारखण्ड प्रभारी व सीपीएम की चर्चित कम्युनिष्ट नेता वृंदा करात ने मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों का कड़ा विरोध करते हुए ‘जीवन और जीविका’ पर बढ़ते हमलों के खिलाफ कड़े तेवर और दृढ संकल्प के साथ संघर्ष खड़ा करने का आह्वान किया। अपने जोशपूर्ण संबोधन में कहा कि- देश में बेलगाम महंगाई और बढ़ती हुई भीषण बेरोज़गारी ने गरीबों के साथ साथ मध्यवर्ग तक की कमर तोड़ दी है। लोगों की आमदनी इस क़दर घट गयी है कि उनका घर चलाना मुश्किल हो गया है।
सबसे खराब हालत उन लोगों की है जो रोज कमाकर खाते हैं। देश के संसाधनों पर पहला हक़ यहाँ के गरीबों और आम जनता का होना चाहिए, लेकिन मोदी सरकार यह सब भूलकर यहाँ के पूंजीपतियों-कॉर्पोरेटों के पक्ष में “प्रॉफिट इन इंडिया” योजना चला रही है। एक साजिश के तहत सभी चीजों के दाम बढ़ाकर महंगी कर दी गयी है। जिसके खिलाफ सिर्फ मोदी सरकार या भाजपा को सत्ता से हटाने मात्र से समस्याओं का वास्तविक समाधान नहीं हासिल होगा। बल्कि तमाम समस्याओं के खिलाफ देश में विपक्ष को एकजुट होकर आम जनता के लिए एक मजबूत वैकल्पिक नीति तैयार करनी चाहिए।
इसी तरह एक साजिश के तहत ही तमाम खाली रिक्तियों पर बहाली नहीं करके मोदी सरकार देश के नौजवानों को नौकरी नहीं दे रही है। जिसके खिलाफ युवाओं को एक जुट होकर मोदी सरकार से एक बड़ी लड़ाई लड़नी होगी। झारखंड में उत्पन्न राजनीतिक अस्थिरता के लिए झारखण्ड के राजभवन की विवादास्पद भूमिका को जिम्मेवार बताते हुए सवाल किया कि हेमंत सोरेन के ‘ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट’ मामले में निर्वाचन आयोग के पत्र को अभी तक क्यों नहीं सार्वजनिक किया जा रहा है। इससे साबित होता है कि देश संविधान से नहीं बल्कि पीएम के विधान से चल रहा है। इस सन्दर्भ में हेमंत सोरेन की सराहना करते हुए कहा कि राजभवन द्वारा बनाए जा रहे “सस्पेंस” के खिलाफ विधान सभा में फिर से बहुमत साबित करके राज्य के विकास में आ रही पारेशानियों को समाप्त कर दिया है।
हेमंत सोरेन सरकार द्वारा 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति का समर्थन करते हुए आग्रह किया कि 1932 से पहले बसे जिन लोगों के पास कोई खतियान नहीं है, उन्हें भी लाभ मिल सके, इसकी व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाय। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पॉलित ब्यूरो सदस्य रामचन्द्र डोम ने अपने संबोधन में देश में हावी होती कॉर्पोरेट-पूंजीपति परस्त शासक वर्ग की नीतियों और विचारों के खिलाफ वामपंथी राजनीति को मजबूत करने का आह्वान किया। मोदी सरकार द्वारा देश को निजीकरण की दलदल धकेले जाने के खिलाफ वामपंथ की राजनितिक धारा को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम को पार्टी के वरिष्ट नेता गोपिकांत बक्शी और राज्य सचिव विप्लव के अलावे पार्टी संचालित विभिन्न जन संगठनों के नेतृत्वकर्त्ताओं समेत प्रफुल्ल लिंडा और सुफल महतो समेत कई अन्य नेताओं ने भी संबोधित किया। प्रदेश और देश के ज्वलंत जन मुद्दों को लेकर रांची में आयोजित इस ‘महाजुटान’ कार्यक्रम में जुटे लाल झंडे के प्रभावपूर्ण प्रदर्शन को लेकर चर्चाओं में कई लोगों ने ये माना कि अभी के समय में पुरे झारखण्ड और यहाँ की जनता को भाजपा ने जिस राजनितिक अनिश्चितता और उथल पुथल में धकेल रखा है, लाल झंडे ने समयानुकूल हस्तक्षेप किया है।
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