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झारखंड: धनबल-बाहुबल के दौर में 'जनता की आवाज़' को मिला सम्मान

अपने पिता महेंद्र सिंह की ही तरह सड़क से सदन तक जन मुद्दों की मुखर आवाज़ बने वाम विधायक विनोद सिंह को मिला ‘बिरसा मुंडा उत्कृष्ट विधायक सम्मान’।
Vinod
जनता की लड़ाई में हमेशा शामिल रहने वाले विधायक विनोद सिंह

वर्तमान की चालू राजनीति में यह किसी नाटक का दृश्य जैसा लग ही सकता है कि किसी राजनेता (विधायक) का वाहन चोरी हो जाय तो उनके क्षेत्र के आम लोग आनन-फानन में घर-घर से चंदा एकत्र करके उन्हें वाहन खरीद कर दे दें और वह भी बिना किसी लोभ-लालच या डर के।

झारखंड प्रदेश के गिरिडीह जिला स्थित बगोदर क्षेत्र की जनता ने इसी कल्पना को उस समय वास्तव में संभव कर दिखाया जब उनके क्षेत्र के लोकप्रिय भाकपा माले विधायक विनोद सिंह की गाड़ी कोलकाता में चोरी हो गयी। यह पता लगते ही क्षेत्र के लोगों ने चंदा करके उन्हें वाहन उपलब्ध करा दिया। उक्त घटना यह साबित करने के लिए काफी है कि कोई राजनेता (विधायक) अपने क्षेत्र के लोगों का इस क़दर चहेता बना हुआ है कि उसकी निजी समस्या को भी लोग अपनी समस्या मानकर उसके त्वरित समाधान में खुद से सक्रिय हो जाते हैं। यह बात यह भी दर्शाती है कि आज भी उस जन राजनीति की महत्ता सर्वोपरी बनी हुई है, जिसमें जनता का सम्बन्ध किसी राजनेता से सिर्फ ‘वोट का रिश्ता’  मात्र नहीं है। यह भी सनद रहे कि बगोदर विधानसभा वह क्षेत्र है जहां के बहुसंख्य मतदाता सत्ता-राजनीति के अखाड़े में धनबल जैसे चुनौतियों का डटकर सामना करते हुए विगत कई वर्षों से इस सीट पर भाकपा माले के वामपंथी जनप्रतिनिधि को ही निर्वाचित करते रहे हैं।

जननायक कहे जाने वाले जुझारू व जनप्रिय राजनेता महेंद्र सिंह की शहादत के बाद से विगत तीन सत्रों से बगोदर विधानसभा से निर्वाचित होने वाले भाकपा माले विधायक विनोद सिंह को झारखंड विधानसभा द्वारा इस वर्ष का ‘बिरसा मुंडा उत्कृष्ट विधायक’ सम्मान दिया गया है।

22 नवम्बर को झारखंड विधानसभा स्थापना की 22वीं वर्षगाँठ पर आयोजित समारोह में प्रदेश के राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया।

सियासी व मीडिया चर्चाओं में यह पहला मौक़ा है जब उत्कृष्ट विधायक का सम्मान एक ऐसे वामपंथी जनप्रतिनिधि को मिला है जिन्हें प्रदेश में जनमुद्दों की मुखर आवाज़ माना जाता है। पूर्ववर्ती भाजपा शासन काल से लेकर वर्तमान की गैर भाजपा सरकार के शासन काल तक में ये इकलौते ऐसे विधायक हैं जो ‘सियासी ग्लैमर’ से दूर आये दिन राज्य व जनता के सवालों को लेकर ‘सदन से लेकर सड़कों’ पर हमेशा सक्रिय देखे जाते हैं।

उक्त जनप्रतिनिधि की जन राजनितिक प्रतिबद्धता इसी से समझी जा सकती है कि जब उन्हें राज्यकीय साम्मान दिया जा रहा था तो उस अवसर पर भी उन्होंने अपने वक्तव्य में धनबाद जिला के बाघमारा कोलियरी में सीआईएसएफ़ द्वारा ‘कोयला चोर’ करार देकर मारे गए तीन निर्दोष ग्रामीण युवाओं की मौत की जांच की मांग उठाते हुए ही अपनी बातें रखीं। अपने चिर परिचित सहज अंदाज़ में विनोद सिंह ने इस अवसर पर विधानसभा सदन को प्रदेश के ‘आखिरी आदमी’ की बातें सुनने पर जोर देते हुए सदन में बैठे सभी विधायकों के साथ साथ सरकार तक को राज्य की जनता व उसकी आकांक्षाओं के प्रति अपने लोकतान्त्रिक दायित्वों को निभाने की आवश्यकता बतायी।

अपने संक्षिप्त संबोधन में सदन के विगत अनुभवों को भी रेखांकित करते हुए विनोद सिंह ने कहा कि- सन 2005 में जब विधानसभा में पहली बार सवाल उठाने का मौक़ा मिला तो उन्होंने राज्य के घाटशिला में तीन निर्दोष आदिवासियों पर मुंबई भागकर रहने वाले एक जीवित आदमी की हत्या के आरोप लगाकर पुलिस द्वारा उनकी बर्बर पिटाई कर 6 माह तक जेल में डाले के खिलाफ सवाल उठाया था। जिसपर बाद में सरकार को संज्ञान लेकर तीनों निर्दोष आदिवासियों रिहा करने, पुलिस उत्पीड़न का मुआवजा देने तथा दोषी पुलिस अधिकारी व अन्य कर्मियों को निलंबित करने का आदेश जारी करना पड़ा।  

विनोद सिंह ने यह भी रखांकित किया कि आज हम जिस सदन से आते हैं उसके पिछले 22 वर्षों के सवालों को देखें तो पायेंगे कि आज भी हम अधिकार, पहचान और अस्तित्व की लड़ाई लड़ ही रहें हैं। झारखंड विधानसभा के इन 22 वर्षों का अनुभव सबसे अधिक इसी पहलू की ओर ध्यान दिलाता है कि- सरकार जो भी हो, विधानसभा में यदि उसकी ओर से कोई आश्वासन दिया जाता है तो वह उसको लेकर गंभीर बने और उसे लागू करने की करगर प्रक्रिया को मजबूत करे। सदन की विधायी प्रक्रिया को और भी अधिक पारदर्शी बनाने की आवश्यकता बताते हुए हुए कहा कि राज्य और जनहित से जुड़े किसी भी विधान व नीति इत्यादि बनाने के क्रम में सदन से बाहर सड़कों पर जनता के सवालों को लेकर आंदोलन कर रहे सक्रिय लोगों से भी राय-विमर्श करे।

सदन में जन मुद्दों को प्रमुखता से उठाने के लिए राज्य के तमाम आन्दोलनकारी संगठनों-कार्यकर्त्ताओं के साथ साथ ज़मीनी पत्रकारों का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश की सड़कों पर जो आवाज़ें उठती रहीं हैं, एक जनप्रतिनिधि के रूप में उसे उठाने का दायित्व भर निभाया है। सबसे अधिक सम्मान के योग्य वे सभी आन्दोलनकारी संगठन, उनके एक्टिविस्ट और ज़मीनी पत्रकार गण हैं, जो सड़कों पर निरंतर जनता के सवालों और सरोकारों के लिए सतत सक्रिय रहते हैं।

गौरतलब है कि विगत भाजपा के शासन काल और वर्तमान के हेमंत सोरेन सरकार के शासन काल में राज्य के जल जंगल ज़मीन के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले आदिवासी-मूलवासी समुदायों से लेकर रोजमर्रे के सवालों पर आन्दोलन कर रही ताकतें, विनोद सिंह को अपना सबसे भरोसेमंद राजनेता मानती हैं।

पिछले दिनों नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी आन्दोलन व खूंटी के चर्चित पत्थलगड़ी-आन्दोलन और ‘ड्रोन सर्वे विरोध’ के अलावा झारखंड में मॉब लिंचिंग, भूख से मौत, मनरेगा राशि घोटाला, पारा शिक्षकों-सहिया समेत सभी संविदाकर्मियों के सवालों इत्यादि मुद्दों पर सड़कों के अभियानों के साथ साथ विधानसभा सदन में सबसे सक्रिय विधायक के रूप में लोग विनोद सिंह को ही मानते हैं। दूसरे देशों व राज्यों में काम करने गए झारखंड के प्रवासी मजदूरों के सवालों पर सबसे संवेदनशील व सक्रिय रहने वाले राज्य के 81 विधायकों में सिर्फ विनोद सिंह को ही सभी प्रवासी मजदूर अपना भरोसेमंद साथी मानते हैं। पिछले दिनों जब हेमंत सोरेन सरकार को अस्थिर करने व उनके विधायकों की खरीद फरोख्त कर सरकार गिराने की साजिशें सामने आयीं तो विनोद सिंह ने पूरी मुखरता के साथ भाजपा की संदिग्ध भूमिका के लिए उसे आड़े हाथ लिया था। प्रतिक्रिया में जब उन्हें व उनकी पार्टी भाकपा माले को हेमंत सोरेन सरकार समर्थक होने का प्रचार किया गया तो उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा— देश के संविधान व लोकतंत्र विरोधी भाजपा को रोकने के सवाल पर वे और उनकी पार्टी इस सरकार के साथ है। बाकी, वह सदन में हमेशा ही प्रदेश की जनता की आवाज़ बनने की भूमिका निभाने को कृतसंकल्प हैं।

झारखंड विधानसभा के पूर्व सदस्य रहे अपने पिता शहीद महेंद्र सिंह की क्रांतिकारी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए विनोद सिंह आज भी विधायकों के वेतन-भत्ता बढ़ोत्तरी व सरकार द्वारा उन्हें उपहार दिए जाने इत्यादि के प्रबल विरोधी हैं।

गत 19 नवंबर को भी राजधानी में पीपुल्स फोरम और ‘लहू बोलेगा संस्था’ के तत्वावधान में राज्य के आन्दोलनकारी जनसंगठनों, एक्टिविस्टों तथा नागरिक समाज के लोगों द्वारा उनका ‘इस्तेक़बाल’ कार्यक्रम किया गया। उक्त आयोजन के दौरान अंजुमन प्लाजा के मुसाफिरखाना सभागार में उपस्थित लोग भी उस समय बेहद भावुक हो गए जब, अपना सम्मान किये जाने पर विनोद सिंह ने अपनी झेंप को प्रकट करते हुए कह डाला कि- यह मेरे लिए काफी असहजता भरा है। क्योंकि यहाँ उपस्थित हम सारे ही लोग आन्दोलन के साथी हैं जिसमें सबका एकसमान महत्व है। ऐसे में आपके द्वारा सिर्फ मुझे सम्मानित किया जाना मुझे काफी असहज बना रहा है। मेरा हमेशा से यही संकल्प रहा है कि जब एक बेहतर राज-समाज के निर्माण के लिए हजारों हाथ उठ रहें हों तो उसमें एक हाथ हमारा भी हो। हजारों कंधे जब एक साथ चल रहे हों तो उसमें एक कंधा मेरा भी हो!

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