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झारखंड : ‘संविधान को जानें, मानें और जियें’ का जन अभियान

‘संविधान जागार जतरा’ - इस यात्रा के दौरान पूर्व निर्धारित कार्यकर्मों में सभी स्थानों पर सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया गया और यह संदेश दिया गया कि 'संविधान ही समाधान है।'
Samvidhan Jagar Yatra

केंद्र की सत्ता में काबिज़ मौजूदा शासन की नित नयी नयी कारगुजारियों से आशंका भरी ये चर्चा ज़ोरों पर है कि – क्या हमारा संविधान सुरक्षित रह सकेगा ? जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण देश के नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह के समय भी साफ़ दिखा था। जब उस ऐतिहासिक महत्व के कार्यक्रम में देश की प्रथम नागरिक व राष्ट्रपति महोदया को उक्त आयोजन का कोई निमंत्रण तक नहीं दिए जाने पर पूरे विपक्ष के साथ साथ लोकतंत्र पसंद नागरिक समाज ने कड़ा ऐतराज़ जताया था। प्रधानमंत्री पर देश के संविधान की मर्यादायों का खुला उल्लंघन करार देते हुए उस समारोह का सामूहिक तौर से बहिष्कार कर भी किया था।

झारखण्ड प्रदेश में भी इस सवाल को लेकर नरेंद्र मोदी व उनकी सरकार के साथ साथ भाजपा के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन किया गया था।।

सनद रहे कि इसके पहले से ही झारखण्ड प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में लागू संविधान की पांचवी अनुसूची के उल्लंघन के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाकर विरोध प्रदर्शित होते रहें हैं।

इसी कड़ी में पिछले दिनों राज्य के पांचवीं अनुसूची के इलाकों में ‘संविधान जागार जतरा’ का जन अभियान चलाकर गांव-गांव में संविधान के संकल्पों व अधिकारों को लेकर लोगों को जागरूक बनाने का सफल आयोजन काफी महत्व रखता है। जिसके माध्यम से न सिर्फ आम लोगों को बल्कि उन इलाकों में कार्यरत सभी सरकारी अधिकारी- कर्मचारियों तक को संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ काराया गया। साथ ही उसे ज़मीनी धरातल पर लागू करने के लिए संकल्पबद्ध बनाने का भी संदेश दिया गया।

प्रदेश के पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के चार जिलों – खूंटी, चाईबासा, सिमडेगा व सराइकेला-खरसांवां इलाके के 20 प्रखंडों में स्थित सैंकड़ों गावों में घर घर जाकर छोटी बड़ी जन सभाओं के माध्यम से लोगों को संविधान के अधिकारों व दायित्वों के प्रति स्व-जागरूक बनाया गया।

‘संविधान को जानें, मानें और जियें’ के केन्द्रीय आह्वान के साथ शुरू किये गए इस जन अभियान के प्रथम चरण की यात्रा की शुरुआत खरसांवां स्थित ऐतिहासिक शहीद स्थल से की गयी। इस यात्रा के दौरान पूर्व निर्धारित कार्यकर्मों में सभी स्थानों पर सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया गया। जिसमें विशेष रूप से छात्र-युवाओं को शामिल करते हुए इलाकों में सक्रीय पारंपरिक ग्राम सभाओं के मानिंद प्रतिनिधियों समेत सभी ग्राम वासियों को सक्रिय भागीदार बनाया गया। जिसके सकारात्मक प्रभाव की अभिव्यक्ति इस रूप में भी दिखी कि कई स्थानों पर लोगों ने बड़े उत्साह के साथ 10 रुपये, सहयोग राशि देकर संविधान की मूल प्रस्तावना की प्रति ली और कहा कि घर ले जाकर इसे फ्रेमिंग करवाकर टांगेंगे।

कई स्थानों पर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारियों, सरकारी डाक्टरों व शिक्षकों को भी सभाओं में बुलाकर उन्हें भी प्रस्तावना के सामूहिक पाठ में शामिल करते हुए, संवैधानिक दायित्वों के प्रति संकल्पबद्ध कराया गया। वहीं कई जगहों के प्रशासनिक अधिकारीयों के कार्यालयों में जाकर उन्हें संविधान की प्रस्तावना की प्रति दी गयी।

जतरा-यात्रा के दौरान कई स्कूलों में जाकर वहां के छात्र-छात्राओं को संविधान में निहित मूल्यों व मौलिक अधिकारों के साथ साथ संविधान में निर्दिष्ट पांचवीं अनुसूची के बारे में विस्तार से जानकारी भी दी गयी। क्योंकि 10 दिनों तक चली इस यात्रा का एक प्रमुख उद्देश्य यह भी था कि नयी पीढी व देश के भावी नागरिकों को संविधान की महत्ता से परिचित कराया जाय और यह प्रयास काफी हद तक प्रभावी भी रहा।

इसके साथ साथ ग्राम सभा के प्रतिनिधियों और आदिवासी गावों में सक्रिय पारंपरिक मानकी-मुंडा स्वशासन संस्थाओं के लोगों को भी उनके संविधानिक अधिकारों व दायित्वों से परिचय कराया गया।

50 से लेकर 500 की संख्या में आयोजित सैंकड़ों छोटी बड़ी सभाओं के माध्यम से विभिन्न स्थानों पर संविधान निर्माण प्रक्रिया पर बनी डाक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गयी।

प्रतिरोध के नायक बिरसा मुंडा के शहादत दिवस 9 जून से शुरू किया गए ‘संविधान जागार जतरा’ जन अभियान का समापन 18 जून को खूंटी में आयोजित जन सभा के माध्यम से किया गया।

सभाओं में यात्रा-अभियान का नेतृत्व कर रहे आदिवासी व अन्य सोशल एक्टिविस्‍टों ने अपने संबोधनों में लोगों से उनकी समस्याओं और सरकार-प्रशासन द्वारा की जा रही उपेक्षाओं पर भी गहन चर्चा करते हुए संवैधानिक समाधान के महत्व की स्थितियों पर खुलकर चर्चा की। यह भी बताया कि- आज दुनिया जलवायु संकट जैसी गंभीर चुनौतयों का सामना कर रही। तो इसका भी स्थायी समाधान संविधान में निर्दिष्ट निर्देशों-सुझावों के माध्यम से किया जा सकता है। जिसे आदिवासी समुदाय के लोग भले ही अक्षरों के माध्यम से नहीं जानते हैं लेकिन संविधान के मूल्यों को पीढ़ी दर पीढ़ी आत्मसात किये हुए हैं।

यात्रा के तीसरे दिन खूंटी जिला से सटे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बानो स्थित देश के संविधान सभा के प्रमुख सदस्य जयपाल सिंह मुंडा के मूल निवास ग्राम में जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी। उन्हीं के नाम पर बनाए गए खेल मैदान में आयोजित सभा में जोर देकर समझाया गया कि ‘संविधान ही समाधान’ है।

उक्त सन्दर्भ में ग्राम चर्चाओं लोगों से बातचीत में एक कॉमन बात यह भी आई कि सरकार व प्रशासन द्वारा व्यापक रूप से संविधान प्रदत्त विशेष प्रावधानों व अधिकारों का कई स्तरों पर खुलकर उल्लंघन करना लगातार जारी है। जिस पर लगाम नहीं लगाए जाने के कारण इन इलाकों की स्थिति दिनों दिन जटिल और गंभीर बनती जा रही है।

चर्चाओं में यह भी लोगों की आम समझ बनी कि- संविधान में बेशक हमारी सारी आकांक्षाएं शामिल नहीं है, लेकिन इसके निर्माण में देश के सभी वर्ग व समुदाय के लोगों के व्यापक हितों को ध्यान में रखा गया है।

यात्रा के दौरान यह भी खबर आई कि यात्रा में लोगों की उत्साहपूर्ण भागीदारी को देखते हुए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने भी सरकारी तौर पर इस यात्रा को अपनी सरकार की ओर से समर्थन देने की घोषणा कर दी। इस बाबत संबंधित सभी जिला मुख्यालयों को विशेष सूचना देते हुए ये निर्देश दिया कि जागार-जतरा को हर संभव मदद दी जाय।

बताया जा रहा है कि प्रथम चरण की प्रभावपूर्ण सफलता को देखते हुए, ज़ल्द ही दूसरे चरण के अभियान की भी शुरुआत की जायेगी।      

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