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कानपुर: अतिक्रमण हटाने पहुंचा प्रशासन, मां-बेटी की जल कर मौत

कार्यवाही से नाराज़ घर की महिला सदस्यों ने ख़ुद को आग लगाने की धमकी दी। बाद में महिला व उसकी बेटी ने कथित तौर पर ख़ुद को झोपड़ी में बंद कर लिया। कुछ समय बाद झोपड़ी में आग लग गई और महिला व उसकी बेटी ज़िंदा जल गई।
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फ़ोटो साभार: PTI

राजधानी लखनऊ से 100 किलोमीटर दूर कानपुर देहात के मैथा तहसील के मडौली गांव में सोमवार को अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान एक महिला और उसकी किशोरी बेटी की जिंदा जल कर मौत हो गई।

उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार मृतकों की पहचान कृष्ण गोपाल दीक्षित की पत्नी प्रमिला दीक्षित (44) और उनकी बेटी नेहा (19) के रूप में की गई है।

प्राप्त समाचार के अनुसार एक प्रशासनिक टीम गांव में 'ग्राम समाज' (सरकारी) भूमि से अवैध अतिक्रमण हटाने गई थी। अतिक्रमण विरोधी दस्ते द्वारा जिस झोपड़ी को तोड़ा जा रहा था, उसके निवासियों ने मौके पर जाकर विरोध करना शुरू कर दिया।

कार्यवाही से नाराज घर की महिला सदस्यों ने खुद को आग लगाने की धमकी दी। बाद में महिला व उसकी बेटी ने कथित तौर पर खुद को झोपड़ी में बंद कर लिया। कुछ समय बाद झोपड़ी में आग लग गई और महिला व उसकी बेटी जिंदा जल गई।

लेकिन मौक़े पर स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब मृतक प्रमिला के पति कृष्ण गोपाल और उनके पुत्र शिवम ने प्रशासनिक अधिकारियों पर अपने घर में लगे भीषण आग के लिए ज़िम्मेदार होने का आरोप लगाया।

इस घटना की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण मौक़े पर पहुंच गए और जमकर प्रदर्शन किया और घटना के लिए ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई की मांग की। आरोप है कि पीड़ितों के आक्रोशित परिजनों ने मौके पर मौजूद लेखपाल से कथित तौर पर मारपीट भी की।

एडीजी कानपुर जोन आलोक सिंह व पुलिस अधीक्षक बीबीजीटीएस मूर्ति सहित वरिष्ठ अधिकारी मौक़े पर पहुंचे और आक्रोशित परिजनों व ग्रामीणों को कड़ी कार्रवाई व मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया।

पुलिस ने बताया कि मडौली गांव निवासी गेदनलाल ने गांव के कृष्ण गोपाल, अंश और शिवम के खिलाफ़ सरकारी ज़मीन पर कब्जा कर उस पर मकान बनाने की शिकायत की थी। 13 जनवरी 2023 को एसडीएम मैथा के निर्देश पर राजस्व निरीक्षक नंद किशोर व लेखपाल अशोक सिंह चौहान ने कथित तौर पर बुलडोज़र से कृष्ण गोपाल के मकान को गिरा दिया था।

बाद में, कृष्ण गोपाल और उनके बेटे शिवम ने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ "माती" में ज़िला मुख्यालय पर धरना दिया और वैकल्पिक व्यवस्था की मांग की क्योंकि उनके घर को गिरा दिया गया था।

अकबरपुर तहसीलदार रणविजय सिंह ने 14 जनवरी को कृष्ण गोपाल, प्रमिला, शिवम और बेटी नेहा के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज कराया था। वर्तमान में कृष्ण गोपाल अपने परिवार के सदस्यों सहित उक्त भूमि पर छप्पर के मकान में रह रहा था।

सरकारी ज़मीन से अतिक्रमण हटाने के लिए सोमवार को प्रशासनिक अधिकारियों की टीम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंची थी। अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान मां-बेटी जिंदा जल गई।

पीड़ित परिवार का आरोप

मृतक के पति कृष्ण गोपाल ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक अधिकारियों ने गांव के प्रभावशाली लोगों से मिलीभगत कर उनकी झोपड़ी में आग लगा दी है। उन्होंने आरोप लगाया, ''हम तो बच निकलने में सफल रहे, लेकिन मेरी पत्नी और बेटी फंस गईं और जिंदा जल गईं।'' वहीं एसपी ने कहा कि दोपहर में एसडीएम पुलिस बल के साथ गांव में सरकारी ज़मीन से कब्जा हटाने गए थे।

पुलिस का बयान

पुलिस का कहना है कि इसी दौरान एक महिला व उसकी बेटी वहां पहुंची और कुछ देर विरोध करने पर खुद को झोपड़ी में बंद कर लिया और बाद में आग लगा ली।

गंभीर रूप से झुलसने से दोनों की मौक़े पर ही मौत हो गई। मामले की जांच की जा रही है। दोषियों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई की जाएगी।

कथित तौर पर मौक़े पर हुई मारपीट में लेखपाल को भी चोटें आई हैं और उनका ज़िला अस्पताल में इलाज चल रहा है। एसपी ने कहा कि स्थिति अब सामान्य है, सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पुलिस और पीएसी की भारी तैनाती की गई है। वहीं कानपुर पुलिस ने सोशल मीडिया साइट "ट्विटर" पर लिखा है, "जनपद कानपुर देहात के थाना रुरा क्षेत्रान्तर्गत ग्राम मंडौली में ग्राम समाज की भूमि पर ज़िला प्रशासन द्वारा अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के दौरान घटित दुःखद घटना के संबंध में तथ्यात्मक स्थिति।"

पुलिस ने एक ट्वीट में घटना के बारे में लिखा, "एसडीएम मैथा कानपुर देहात के नेतृत्व में राजस्व विभाग की टीम द्वारा स्थानीय सुरक्षा कर्मियों के साथ ग्राम मंडौली अंतर्गत ग्राम समाज की भूमिपर अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के दौरान श्री कृष्ण गोपाल के परिजनों (पत्नी एवं पुत्री) की दुःखद परिस्थितियों में आग से झुलस कर मृत्यु हो गयी।

उक्त ग्राम समाज की भूमि पर श्री कृष्ण गोपाल द्वारा किये गये अवैध क़ब्ज़े को 13 जनवरी को हटवा कर स्थानीय प्रशासन द्वारा प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी थी। मौके पर मंडलायुक्त, एडीजी ज़ोन, आईजी रेंज, जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक मौजूद हैं। प्रकरण में तत्काल जांच कर दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही अमल में लायी जायेगी।"

योगी सरकार का ब्राह्मण परिवार निशाना

उधर मामले ने सियासी रंग भी ले लिया है। योगी आदित्य नाथ सरकार को निशाना बनाते हुए समाजवादी पार्टी के आईटी सेल ने लिखा "योगी जी आपके जल्लाद और बेरहम तथा अमानवीय प्रशासन द्वारा की गई ये हत्या है। योगी सरकार में लगातार ब्राह्मण परिवार निशाना बनाए जा रहे। लगातार चुन चुन कर ब्राह्मणों के साथ घटनाएं घटित हो रही हैं। दलित पिछड़ा के साथ साथ ब्राह्मण भी भाजपा शासित योगी सरकार के अत्याचार का निशाना बन रहे।" इस पोस्ट को सपा अध्यक्ष ने भी साझा किया है।

प्रशासन निर्दोषों की मौत कारण

सोशल मीडिया पर दूसरी पोस्ट में मुआवज़े की मांग करते हुए प्रमुख विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी ने लिखा "कानपुर के मैथा में डीएम, एसडीएम, लेखपाल के शोषण और बुल्डोजर का शिकार होकर प्रमिला दीक्षित, कृष्ण गोपाल दीक्षित व नेहा दीक्षित ने खुद को किया आग के हवाले। पुलिस प्रशासन ने कानपुर में बलवंत सिंह की हत्या कर दी थी, अब भी प्रशासन निर्दोषों की मौत का बन रहा कारण। शर्मनाक! मुआवज़ा दे सरकार।"

अतिक्रमण हटाने का यह कौन-सा तरीका?

उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने योगी सरकार की बुलडोज़र नीति को इस घटना का ज़िम्मेदार बताया है। प्रदेश कांग्रेस का कहना है "कानपुर में अतिक्रमण हटाने पहुंची प्रशासन की टीम के सामने ही मां-बेटी ने आग लगाकर जान दे दी। और पुलिस तमाशबीन बनी रही। अतिक्रमण हटाने का यह कौन-सा तरीका है कि लोग दुनिया से ही हट जाएं? बाबा! अपनी बुलडोजर नीति को अब भी संभालिए या इस खूबसूरत धरती को श्मसान बना कर ही मानेंगे?"

बुलडोजर नीति ने 2 जान ले ली

कांग्रेस के राष्ट्रीय ट्विटर हैंडल से भी कानपुर घटना की निंदा करते हुए लिखा गया है कि "योगी की बुलडोजर नीति ने 2 जान ले ली। यूपी के कानपुर में ब्राह्मण परिवार के घर पर योगी सरकार का बुलडोजर चल गया। घर गिराने से क्षुब्ध मां-बेटी ने खुद को आग लगाकर जान दे दी। कितना वीभत्स है ये सब।"

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