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कर्नाटक: रेप जैसे गंभीर मामले को लेकर भद्दे मज़ाक के लिए क्या छह मिनट का माफ़ीनामा काफ़ी है?

महिला सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करने वाले ये नेता आए दिन अपनी अपनी फूहड़ बातों से महिलाओं की अस्मिता, मान-सम्मान को ठेस पहुंचा रहे हैं और दुख इस बात का है कि सब चुप-चाप तमाशा देख रहे हैं, हंस रहे हैं।
KR-Ramesh
फाइल फोटो।

कर्नाटक के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक केआर रमेश कुमार बीते कई दिनों से सदन के अंदर और बाहर सुर्खियों में बने हुए हैं। वजह उनकी 'रेप' को लेकर की गई एक भद्दी और असंवेदशील टिप्पणी है। हालांकि उनके इस कारनामे में सभी सदनवासी बराबर के जिम्मेदार हैं क्योंकि जब ये बयान दिया गया तब सब इसे मजाक मानकर ज़ोर-ज़ोर से ठहाके लगा रहे थे। बाद में जब माहौल गर्म हुआ और मामले ने तूल पकड़ा तो विधायक जी की माफ़ी सामने आई। माफ़ी मांगने में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष को शुक्रवार, 17 दिसंबर को केवल छह मिनट का समय लगा। क्योंकि वर्तमान अध्यक्ष ने विरोध कर रही महिला सदस्यों को इस मुद्दे पर एक भी शब्द बोलने की अनुमति ही नहीं दी।

बता दें कि इससे पहले भी रमेश कुमार ऐसा ही बयान दे चुके हैं। फ़रवरी 2019 में बतौर विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने भ्रष्टाचार के एक मामले में उनका नाम आने पर कहा था कि वो एक रेप पीड़ित की तरह महसूस कर रहे थे। उन्होंने कहा था कि एक बार मेरा 'रेप' हुआ था। लेकिन हर 'रेप' पीड़ित की तरह ही मुझे भी बार बार यह एहसास होता है कि मेरा 'रेप' कई बार हुआ था।

क्या है पूरा मामला?

बुधवार, 15 दिसंबर को पूर्व विधानसभा केआर रमेश कुमार का 'रेप' वाला बयान तब आया जब विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने हाल ही में आई बाढ़ के कारण फ़सलों को हो रहे नुकसान की समस्या पर सदस्यों की प्रतिक्रिया के बाद अपनी पीड़ा ज़ाहिर की।

इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने ज़ोर देकर कहा, "आप जानते हैं रमेश कुमार मुझे लगता है कि अब मुझे जो कुछ भी हो रहा है बस उसका आनंद लेना चाहिए। मैंने अब स्थिति को संभालने और सुधारने की कोशिश नहीं करने का फ़ैसला किया है। मैं इसके नतीजे देखूंगा।"

इस पर रमेश कुमार खड़े हुए और वो विवादास्पद बयान देते हैं जिसपर विधानसभा अध्यक्ष के साथ ही सदन में मौजूद बाकी सदस्य भी हंसते हैं। रमेश कुमार कहते हैं, "एक बात कही जाती है... जब बलात्कार होना एकदम तय हो तो लेट जाओ और इसका मज़ा लो। यह ठीक वही स्थिति है जिसमें आप अभी हैं।"

ध्यान रहे कि उस वक्त सदन में मौजूद किसी भी सदस्य ने उनके बयान पर आपत्ति नहीं जताई। लेकिन बाद में रमेश कुमार को सोशल मीडिया पर यूजर्स का और सदन में कांग्रेस और बीजेपी की महिला सदस्यों का गुस्सा झेलना पड़ा।

सदन में विरोध

रमेश कुमार के 'रेप' वाले इस बयान के बाद कांग्रेस सदस्य अंजलि निंबालकर ने एक पत्र लिखकर उनसे माफ़ी मांगने की मांग की। कांग्रेस आलाकमान के कई बड़े नेताओं ने भी इस बयान पर अपनी आपत्ति जाहिर की। जिसके चलते पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने उसी दिन 16 दिसंबर को देर रात अपने ट्वीटर हैंडल से एक माफ़ी का ट्वीट करना पड़ा। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि “रेप के बारे में मेरे द्वारा की गई टिप्पणी के लिए मैं सभी से ईमानदारी से माफी मांगता हूं। मेरा इरादा ऐसा नहीं था. मैं आगे से शब्दों का ध्यान रखूंगा”।

इसके बाद शुक्रवार, 17 दिसंबर को उन्होंने सदन में भी माफ़ी मांगी। जिसके बाद स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े ने कहा कि उन्होंने अपने कहे के लिए माफ़ी मांग ली है और अब इसे और तूल न दिया जाए।

अपनी माफ़ी में क्या कहा रमेश कुमार ने?

माफ़ी मांगते हुए रमेश कुमार ने कहा कि अगर मेरे बयान से महिलाओं की भावनाएं आहत हुई हैं तो मुझे माफ़ी मांगने में कोई दिक़्क़त नहीं है। वे बोले, "कल आपने कहा कि बोलने वालों की संख्या में इजाफ़ा हुआ है और आप भी दर्द महसूस कर रहे हैं। इसलिए मैंने अंग्रेज़ी में केवल एक कहावत कही जिस पर आपने कहा कि हमें बैठ कर इसका आनंद लेना चाहिए। मेरा महिलाओं के अपमान का या सदन की मर्यादा कम करने का कोई इरादा नहीं था और न ही इसके बारे में मजाक करने का। मेरा कोई अप्रत्यक्ष इरादा नहीं था. लेकिन हुआ ये कि जिस प्रसंग में ये बात कही गई वो भुला दिया गया।"

उन्होंने आगे कहा, "मैं अपना बचाव नहीं करूंगा। ऐसी स्थिति में हम अनजाने में ऐसी बयानबाजी करते हैं। जो कुछ मैंने कहा वो किसी को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं था। जैसा कि कन्फ्यूशियस ने कहा था- जब कोई इंसान अपनी ग़लती को सुधारता नहीं है तो वो एक और ग़लती करता है। मुझे महिलाओं समेत उनसे माफ़ी मांगने में कोई हिचक नहीं है जिन्हें मेरे बयान से ठेस पहुंची है। मैं तहे दिल से और बिना कोई शर्त ऐसा करता हूं।"

"आपको (अध्यक्ष) भी इसमें सह आरोपी बनाया गया है। चूंकि मुझे दोषी पाया गया है और फ़ैसला भी सुना दिया गया है, तो मैं माफ़ी मांगता हूं। अब इस मुद्दे को यहीं ख़त्म करते हैं। दुर्भाग्य से आपका भी नाम इसमें है, तो यदि ज़रूरी समझें तो आप इस पर अपना बयान भी दे सकते हैं।"

सदन में चर्चा नहीं करने दी गई

इसके ठीक बाद विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने सदन को संबोधित करना शुरू किया तब एक महिला सदस्य ने बीच में बोलने की कोशिश की, तो उनके अनुरोध को ठुकरा दिया गया।

अध्यक्ष ने कहा, "उन्होंने माफ़ी मांग ली है। हम सभी सदस्य एक परिवार की तरह हैं। कल जो कुछ भी हुआ वो ये था कि मैंने कहा कि हम स्थिति का आनंद ले (जब कई सदस्य बोलना चाहते थे) तब रमेश कुमार ने अपना वो बयान दिया जो कि एक विवाद बन गया।"

अध्यक्ष कागेरी ने कहा, "हम सभी महिलाओं का सम्मान करते हैं और हम सभी यह सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं कि उनकी गरिमा में कोई कमी न आए। मुझे नहीं लगता कि इस मुद्दे को और उठाने और विवाद पैदा करने की ज़रूरत है। मैं अनुरोध करता हूं कि आप बाहर भी इस तरह के शब्द न बोलें। चलिए प्रश्नकाल शुरू करते हैं।"

कुछ महिला सदस्यों को इस मुद्दे को उठाने की कोशिश करते सुना गया लेकिन अध्यक्ष ने प्रश्नकाल के दौरान अपने सवाल पूछने के लिए पहले से सूचीबद्ध किए गए नामों को पुकारना जारी रखा। इससे बीजेपी और कांग्रेस की महिला सदस्यों का सदन में पूर्वनियोजित काला झंडा दिखाने का प्रदर्शन भी धरा का धरा रह गया।

विधानसभा सदस्यों का विरोध

कांग्रेस की महिला सदस्य अंजलि निंबालकर ने मीडिया से कहा, "यह बहुत शर्मनाक है। क़ानून बनाने वाले ही कभी भी ऐसी टिप्पणी करते हैं। सवाल बीजेपी या कांग्रेस का नहीं है। इस तरह उपमा देना अब पूरी तरह से बंद किया जाना चाहिए।"

विधानसभा की बैठक शुरू होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा, "रमेश कुमार ने महिलाओं के प्रति बहुत अपमानजनक टिप्पणी की। यह निंदनीय है। उन्हें सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी चाहिए।"

जब पत्रकारों ने उनसे कहा कि अध्यक्ष भी उनके बयान पर हंस रहे थे तो येदियुरप्पा ने कहा, "इस टिप्पणी के लिए रमेश कुमार ही ज़िम्मेदार हैं।"

बीजेपी की पूर्णिमा श्रीनिवास पत्रकारों से बोलीं, "जब हम विधानसभा में आए तो सदन की समझ के लिए उनकी ओर ताकते थे। अब लगता है कि उनके मन में महिलाओं के प्रति कोई सम्मान नहीं है।। मैं मानती हूं कि अध्यक्ष को भी नहीं हंसना चाहिए था।"

कांग्रेस विधायक रूपा शशिधर ने कहा, "मैं नहीं जानती कि ऐसे शब्दों का इस्तेमाल क्यों किया जाना चाहिए। महिला के लिए इसे स्वीकार करना आसान नहीं होता क्योंकि वह ऐसी परिस्थिति में दर्द और सदमे से गुज़रती है। अगर आप सदन के भीतर या बाहर ऐसे शब्द बोलने की आदत डालेंगे तो ऐसी घटनाएं बार बार होंगी।"

टिप्पणी पर पक्ष-विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रिया

शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया, "वाकई बहुत दुख होता है, क्या यह माफ़ी है? 'इसे तूल न दिया जाए', अध्यक्ष कह रहे हैं क्योंकि वे भी इस पर हंसते हुए पकड़े गए थे?"

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर लिखा, "मैं पूरे दिल से के आर रमेश कुमार द्वारा दिए गए वक्तव्य की निंदा करती हूं। यह समझ से बाहर है कि कोई कैसे इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कर सकता है। इनका बचाव नहीं किया जा सकता। रेप एक शर्मनाक अपराध है। पूर्ण विराम।"

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट करके इस संबंध में टिप्पणी की। उन्होंने लिखा है, "कांग्रेस पार्टी कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक के बीच हुई बेहद आपत्तिजनक बातचीत और असंवेदनशील मज़ाक को पूरी तरह ख़ारिज करती है।"

गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा एक ऐसी घटना का गवाह भी रह चुका है जब तीन बीजेपी सदस्य (सीसी पाटिल, लक्ष्मण सावदी और कृष्णा पालेमर) अपने मोबाइल फ़ोन पर सदन में ही पोर्नोग्राफ़ी देखते हुए पाए गए थे। वैसे देश में सार्वजनिक मंचों पर नेताओं का बेहूदा और अपमानजनक बयान देना कोई नयी बात नहीं है। इससे पहले भी समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तक ने रेप जैसे अपराध पर विवादित बयान दिए हैं। हाथरस कांड को लेकर जब लोग न्याय की गुहार लगाते सड़कों पर प्रदर्शन को मज़बूर थे, तो वहीं कानून व्यवस्था दुरुस्त करने के बजाय बीजेपी के नेता और विधायक महिला विरोधी बेतुके बयानों में व्यस्त थे। महिला सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करने वाले ये नेता आए दिन अपनी अपनी फूहड़ बातों से महिलाओं की अस्मिता, मान-सम्मान को ठेस पहुंचा रहे हैं और सबसे ज्यादा दुखद तो ये है कि सब तमाशा सब चुप-चाप देख रहे हैं, हंस रहे हैं।

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