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कर्नाटक : कोडागु में लगभग 5,000 प्रवासी मज़दूरों को काग़ज़ात दिखाने को मजबूर किया गया

बजरंग दल से जुड़े एक कॉफ़ी बागान के मालिक की शिकायत के मद्देनज़र  पुलिस ने कथित तौर पर यह पूरी कवायद की है।
karnataka migrants workers
Image Courtesy: Scroll.in

नई दिल्ली: असम, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान से आए लगभग 5,000 प्रवासी मज़दूरों  को कर्नाटक के कोडागु ज़िले में पुलिस ने कार्यवाही के लिए तब घेर लिया जब हिंदुत्ववादी संगठन ने आरोप लगाया कि वे "अवैध बांग्लादेशी प्रवासी" हैं, इसके चलते बाहर से काम करने आए इन मज़दूरों के भीतर आतंक और असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है। ज़िले के अधिकांश कॉफ़ी बागानों में काम करने वाले मज़दूर प्रवासी मज़दूर हैं।

कोडागु के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुमन डी पेनेकर ने बुधवार शाम को राज्य की राजधानी बेंगलुरु से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोडगु में सभी पुलिस थानों को एक दस्तावेज़-सत्यापन का अभियान चलाने का आदेश जारी कर दिया है।

पेनकेयर ने लाइवमिंट के हवाले से कहा, “कोडागु ज़िले में बहुत सारे कॉफ़ी बागान हैं और यहाँ काम करने के लिए राज्य के बाहर से बहुत सारे मज़दूर आते हैं। इसलिए इस पृष्ठभूमि में और स्थानीय स्तर पर अपराधों की नई पैदा हुई पृष्ठभूमि के कारण जो अपराध इन बाहरी लोगों द्वारा किए जाने का आरोप ही, उनकी जांच के संबंध में इनके ठिकाने की जानकारी नहीं होने की स्थिति में यह 'दस्तावेज़ सत्यापन' अभियान चालाया गया है।"

हालांकि, द न्यूज़ मिनट के अनुसार, पुलिस ने बजरंग दल से जुड़े एक बागान मालिक की शिकायत पर 'ग़ैर-क़ानूनी बांग्लादेशी प्रवासियों’ के ज़िले में हाज़िर होने का आरोप लगाया है और प्रवासी मज़दूरों को अब लाइन में खड़ा कर दिया गया है, और उन्हें अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज़ उपलब्ध कराने को कहा गया है।

वास्तव में भाजपा शासित कर्नाटक में दस्तावेज़ सत्यापन अभियान तब चलाया जा रहा है जब ग़ैर-क़ानूनी अप्रवासियों को बेदख़ल करने के लिए बेंगलुरु के एक बाहरी इलाक़े में अप्रवासी मज़दूर बस्ती में अनधिकृत विध्वंस अभियान चलाया गया था और जिसे वहाँ के नगर निगम ने अंजाम दिया था। इस विध्वंस के बाद एक बीजेपी विधायक ने ट्वीट कर इसका वीडियो जारी किया था।

टीएनएम के मुताबिक़, यह सब तब शुरू हुआ जब ''बजरंग दल से जुड़े कॉफ़ी बागान के मालिक दीपू देवैया ने असम से आए कुछ प्रवासी मज़दूरों से संपर्क किया, जो कोडागु के नेपोकोलू में एक लॉज में रह रहे थे, और उनसे अपने बागान में काम करने के लिए कहा।"

ऐसा लगता है कि कि कम वेतन को लेकर दोनों यानी मज़दूरों और मालिक में विवाद हो गया था। दीपू ने टीएनएम को बताया कि उसने मंगलवार की सुबह सभी बागान में काम करने वाली प्रत्येक श्रमिक को 250/-रुपये प्रतिदिन मज़दूरी देने की पेशकश की थी। हालांकि, मज़दूरों ने कहा कि उन्होंने अधिक मज़दूरी की मांग की थी।

ताज़ा मिली रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार की शाम को दीपू ने बजरंग दल के कई सदस्यों के साथ कथित तौर पर उस लॉज में घुसने की कोशिश की थी, जहां ये मज़दूर रह रहे थे। उन्हें कथित तौर पर एक आरटीआई कार्यकर्ता हैरिस और लगभग 40 से 50 प्रदर्शनकारियों ने ऐसा करने से रोक दिया था। ये लोग प्रवासी मज़दूरों की प्रोफ़ाइलिंग के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे थे।

हैरिस ने टीएनएम को बताया, “हमने उन्हें बताया कि उन लोगों के पास निर्दोष लोगों को काम से रोकने और धमकी देने तथा उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का कोई अधिकार नहीं है। हमने उन्हें इसके लिए क़ानूनी रास्ता अख़्तियार करने के लिए कहा।”

टीएनएम की रिपोर्ट के अनुसार, लॉज के बाहर ही बहस छिड़ गई थी, जिसके बाद कुछ ही मीटर की दूरी पर स्थित नेपोकोलू पुलिस हस्तक्षेप करने पहुंच गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि दीपू ने पुलिस से शिकायत की कि ये मज़दूर बांग्लादेश से आए हैं और अवैध रूप से लॉज में रह रहे हैं। 

अगले दिन, पुलिस ने प्रवासी मज़दूरों को घेर लिया और उनसे अपने दस्तावेज़ों को सत्यापन करवाने के लिए कहा।

बाद में, पेनेकर ने कुछ पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनमें से लगभग 500 मज़दूरों को छोड़कर बाकी अधिकांश प्रवासी मज़दूरों के पास दस्तावेज़ हैं, उन्होने आगे कहा कि इन लोगों की जांच की जाएगी और इनकी भी पहचान को सत्यापित किया जाएगा।

राज्य के भीतर आगे-पीछे घाटी इन दो घटनाओं के बाद प्रवासी मज़दूरों के भीतर डर और असुरक्षा का माहौल है, विशेष रूप से बेलंदूर क्षेत्र में नगर निगम द्वारा उनके अस्थाई घरों को ढाए जाने के बाद, यहां तक कि उन्हे तब भी नहीं बख़्शा गया जब उन्होने वैध दस्तावेज़ जैसे आधार और वोटर आईडी कार्ड और असम से लाई गई एनआरसी सूची पेश की, पुलिस ने दावा किया कि कोडागु की घटना का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है।

एक पुलिस अधिकारी ने टीएनएम से कहा, “इसका एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है। पुलिस का यह काम नहीं है। जिन लोगों के पास दस्तावेज़ नहीं थे, हमने उन्हें दस्तावेज़ पेश करने का समय दिया है।”

कर्नाटक में दो ऐसी घटनाएं घटती हैं जो प्रवासी श्रमिकों को निशाना बनाकर की जाती हैं। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के ख़िलाफ़ देश भर में चल रहे व्यापक विरोध के बीच यह घटनाएँ हुई हैं।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Around 5,000 Migrant Workers Lined up for ‘Document Verification’ in Karnataka’s Kodagu

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