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खगेंद्र ठाकुर : असहमति के साथ विश्वसनीयता और बर्दाश्त करने का माद्दा

"वे साझा वाम आंदोलन के पक्षधर थे और हमेशा वाम एकजुटता की बात करते थे। उनके लिए आपसी एकजुटता सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। "
Khagendra Thakur

दिल्ली: "आज उन जैसों (खगेंद्र ठाकुर) की जरूरत है जो असहमति बेशक जताएँ लेकिन विश्वसनीयता और बर्दाश्त करने का माद्दा हो क्योंकि लोगों की कहनी और करनी में बहुत अंतर नज़र आता है। जबकि उनकी कहनी और करनी में अंतर नहीं होता था।"

यह कहना है वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी का। वे प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) की दिल्ली इकाई के तत्वावधान में अजय भवन में खगेंद्र ठाकुर की याद में हुई शोकसभा में बोल रहे थे। इस मौक़े पर खगेंद्र जी के क़रीबी मित्र-सहयोगी मौजूद थे।

हिंदी के वरिष्ठ कवि, लेखक, आलोचक खगेंद्र ठाकुर का पिछली 13 जनवरी को पटना के एम्स अस्पताल में निधन हो गया था। वे 83 वर्ष के थे। प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव रहे खगेंद्र ठाकुर पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे।

9 सितंबर 1937 को झारखंड के गोड्डा के मालिनी में जन्में खगेंद्र ठाकुर ने आलोचना के क्षेत्र में विशेष काम किया। इसके अलावा वे व्यंग्य, कविता और संस्मरण के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे।

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प्रगतिशील लेखक संघ, दिल्ली की महासचिव फ़रहत रिज़वी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सभा में विश्वनाथ त्रिपाठी ने पार्टी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को याद करते हुए कहा कि 1964 में पार्टी में बहुत से बदलाव आए, कई बार उन्होंने कड़ी असहमति जताई लेकिन पार्टी लाइन पर उसकी नीतियों पर मज़बूती से खड़े रहे लेखन में भी वही प्रतिबद्धता देखी जा सकती है।

खगेंद्र ठाकुर के सहपाठी रहे मुरली मनोहर प्रसाद सिंह ने कॉलेज के दिनों के निजी मैत्रीपूर्ण और छात्र जीवन के राजनीतिक संघर्ष के संस्मरणों को साझा किया जब उन युवाओं की मित्र जोड़ी को हीरा-मोती कहा जाता था। राजनीतिक मतभेदों के बावजूद ये संबंध खगेंद्र ठाकुर की मौत तक 60 सालों के अंतराल में भी सहज बना रहा। उन्होंने का वे united communist movement (साझा वाम आंदोलन) के पक्षधर थे और हमेशा वाम एकजुटता की बात करते थे। उनके लिए आपसी एकजुटता सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।

इनके अलावा कई अन्य सहयोगियों, लेखकों और सांस्कृतिक कर्मियों ने भी उन्हें याद करते हुए अपने संस्मरण साझा कए। प्रो. गोपेश्वर सिंह, शिव मंगल सिद्वांतकर, लीलाधर मंडलोई, मदन कश्यप, प्रो. सुबोध मालाकार, हीरालाल राजस्थानी, अली जावेद और विनीत तिवारी ने उनके साथ अपनी स्मृतियों को साझा किया।

प्रो. गोपेश्वर ने कहा कि मैं जय प्रकाश आंदोलन में सक्रिय था और कुछ प्रश्न लेकर उनके पास गया था। उस मुलाक़ात ने मेरा दृष्टिकोण ही बदल दिया। वो मेरे वैचारिक गुरू थे।

मदन कश्यप ने उनकी उन विशेषताओं की तरफ़ इशारा किया जिन्हें गुण या खूबियां कहा जाता है। खगेंद्र ठाकुर डिग्री कॉलेज में अध्यापक थे और नौकरी छोड़ कर पार्टी के लिए पूरा जीवन दे दिया। इस शोकसभा में सुजाता माथुर, बाल मुकुंद और विनीत तिवारी ने खगेंद्र ठाकुर की कुछ सामायिक रचनाओं का पाठ करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी

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