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खोरी पुनर्वास संकट: कोर्ट ने कहा- प्रोविजनल एलॉटमेंट के समय कोई पैसा नहीं लिया जाएगा, फ़ाइनल एलॉटमेंट पर तय होगी किस्त 

मजदूर आवास संघर्ष समिति ने कहा कि अस्वीकृत आवेदन की प्रकिया में अपारदर्शिता है एवं प्रार्थी को अपील का मौका न देना सरासर अत्याचार एवं धोखा है।
Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फरीदाबाद की अरावली की पहाड़ियों के बीच बसे खोरी गांव को नगर निगम फरीदाबाद द्वारा पिछले 3 माह पूर्व बुलडोजर लेकर रौंद दिया गया था। जिसमें 10000 से ज्यादा परिवार बेदखल हो गए थे, जो आज भी पुनर्वास के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। 

मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के राष्ट्रीय संयोजक निर्मल गोराना ने बताया कि 22 अक्टूबर 2021 को माननीय सुप्रीम कोर्ट में खोरी गांव रेजिडेंट वेलफेयर एससिएशन वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया एवं सरीना सरकार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में सुनवाई हुई। इस सुनवाई में दो बातों पर मुख्य रूप से चर्चा हुई पहली चर्चा पीएलपीए लैंड के संबंध में थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत चर्चा हेतु 15 नवंबर को सुनवाई की तारीख तय की। 

इसी क्रम में मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य मोहम्मद शकील ने बताया कि पुनर्वास के मामले में जो चर्चा हुई उसमें नगर निगम ने आवास आवंटन की प्रथम किस्त 17000 से 10,000 बताई किंतु यह किस्त फाइनल आवंटन के समय ली जानी बताई जा रही है और अभी विस्थापित परिवारों को कोई भी राशि या किस्त प्रोविजनल एलॉटमेंट के समय नहीं देनी है। जबकि नगर निगम की तरफ से खोरी गांव से विस्थापित मजदूर परिवारों को 17000 रुपये की प्रथम किस्त नगर निगम में जमा कराने हेतु आदेश जारी किए गए हैं जो कि मजदूर परिवारों के लिए वर्तमान में असंभव है। 

निर्मल गोराना ने बताया कि पिछले 3 दिन से नगर निगम फरीदाबाद खोरी गांव में मलबे के ढेर पर रह रहे विस्थापित परिवारों को बेदखल करने के लिए भरकर प्रयास कर रही है और इसी दौरान मलबे के ढेर से कई परिवारों को बेदखल कर दिया गया है जबकि यह तमाम परिवार अपने आवश्यक दस्तावेज नगर निगम को जमा करवा चुके हैं फिर भी इन्हें प्रोविजनल एलॉटमेंट के रूप में भी आवास नहीं मिला है व इस मुद्दे पर नगर निगम कान में तेल डाल कर बैठ गई है। 

आगे उन्होंने बताया कि जबकि नगर निगम को 3764 आवेदन खोरी गांव की ओर से प्राप्त हो चुके हैं और नगर निगम ने 1481 आवेदन अस्वीकृत कर दिये हैं और 771 को नगर निगम ने स्वीकृत किया है। मजदूर आवास संघर्ष समिति यह मांग करती है कि 1481 आवेदन जो अस्वीकृत किए गए हैं उन आवेदनकर्ता परिवारों को अस्वीकृति के संबंध में आदेश जारी किए जाने चाहिए ताकि जिन परिवारों के आवेदन अस्वीकृत हुए हैं या रिजेक्ट हुए हैं उन्हें भी अपील करने का मौका मिले किंतु अपारदर्शिता के चलते नगर निगम विस्थापित परिवारों के साथ धोखा एवं अत्याचार कर रही है जिसका मजदूर आवास संघर्ष समिति विरोध करेगी। 

फरीदाबाद नगर निगम के वकील ने न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ को बताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि भुगतान करने से संबंधित कुछ पत्र अनजाने में जारी हो गए हैं और उन्हें तुरंत वापस ले लिया जाएगा।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, "नवीनतम योजना के अनुसार लॉटरी के ड्रा के बाद अंतिम आवंटन पत्र जारी होने पर ही संबंधित आवंटियों से अग्रिम राशि एकत्र की जाएगी।"

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि ड्रा के उपरांत अंतिम आवंटन होने के बाद ही भुगतान का सवाल उठेगा।

पारिख ने कहा कि दूसरा मुद्दा पात्र आवेदकों के छह महीने तक 2,000 रुपये प्रति माह के भुगतान के संबंध में है, जिन्हें अस्थायी आवास नहीं दिया जा रहा है।

इस मुद्दे पर, नगर निगम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज ने कहा कि शिकायत पर गौर किया जाएगा और यदि भुगतान न करने का मामला सत्यापन का विषय है तो सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।

भारद्वाज ने पीठ से कहा कि याचिकाकर्ता अदालत में आवेदन दायर करने से पहले मुद्दों पर उनके साथ संवाद कर सकते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वह नगर निकाय को उचित कदम उठाने की सलाह दे सकें।

पीठ ने उनके रुख की सराहना की और कहा कि भविष्य में याचिकाकर्ताओं को उस मुद्दे के बारे में निगम के वकील को सूचित करना चाहिए जिसके संबंध में निवारण की मांग की जा रही है।

न्यायालय ने कहा कि यदि मामला सूचना की तारीख से दो सप्ताह से अधिक समय तक अनसुलझा रहता है, तो याचिकाकर्ता इस संबंध में अदालत के समक्ष आवेदन कर सकते हैं।

मामले में अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।

पीठ ने वन भूमि के मुद्दे से संबंधित मामले को भी देखा जिसमें हरियाणा सरकार ने बृहस्पतिवार को हलफनामा दायर किया था।

न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले में 15 नवंबर को दलीलें सुनेगा।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ )

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