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किसान सम्मान निधि: योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़ी? किसे पहुंचाया जा रहा फ़ायदा?

किसी भी सरकारी योजना की सफलता तभी है, जब उसका लाभ टार्गेटेड लाभार्थियों तक पहुंचे। किसान सम्मान निधि को लेकर आए दिन जो ख़बरें और कैग की रिपोर्ट्स आ रही हैं, वो इस स्कीम में भारी लीकेज की तरफ़ इशारा कर रही हैं।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। फ़ोटो साभार : Istock

किसान सम्मान निधि कथित तौर पर किसानों की बेहतरी के लिए लाई गई एक योजना थी। लेकिन, जब आयकरदाता तक इस योजना का लाभ उठाने लगे, ऐसे लोग इस योजना का लाभ लेने लगे जिनके पास ज़मीन तक नहीं हैं, फिर इस योजना के औचित्य और सार्थकता पर सवाल उठाना लाज़मी है। और, ये सवाल कोई और नहीं, बल्कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) कार्यालय की तरफ से लगातार उठाए जा रहे हैं। हरियाणा, अरूणाचल प्रदेश को ले कर कैग की रिपोर्ट में इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर काफी गंभीर चिंताएं उठाई गई हैं। दूसरी तरफ, बिहार से ऐसी खबरें आ रही है कि बड़ी संख्या में आयकरदाता गलत जानकारी दे कर इस योजना का लाभ ले रहे हैं और अब जांच में पकड़े जाने के बाद, भुगतान की गई रकम की रिकवरी की कोशिश की जा रही हैं।

अकेले बिहार में ढाई लाख ऐसे “किसान”

सरकार ने तमाम दावे किए कि अब डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की वजह से सरकारी योजनाओं में लीकेज नहीं होती। लेकिन, क्या सचमुच ऐसा है? बिहार में ढाई लाख से अधिक किसानों से अब सरकार करीब साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये रिकवर करने जा रही है। जांच के अनुसार, इन किसानों ने आयकरदाता होने के बाद भी सरकार से इस स्कीम के तहत पैसा लिया हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से हर साल 6 हज़ार रुपये सम्मान के तौर पर किसानों को दिए जाते हैं। लेकिन इस सम्मान को पाने के लिए कुछ नियम हैं, जिनमें आयकरदाता न होना भी एक नियम है। बिहार एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के अनुसार, बिहार में 2 लाख 57 हज़ार ऐसे किसानों को चिन्हित किया गया है जिन्होंने इस स्कीम के तहत 347 करोड़ रुपये उठाएं हैं, लेकिन वे इस स्कीम के तहत योग्य नहीं है। बिहार सरकार के एग्रीकल्चर डायरेक्टर ने बैंकों को ऐसे किसानों से लिए गए पैसे वसूल करने का आदेश जारी कर दिया है। एग्रीकल्चर डायरेक्टर आलोक रंजन घोष ने बिहार के बैंक प्रतिनिधियों के साथ बैठक में ऐसे किसानों के अकाउंट से ईख़ाआ का आदेश दिया है। यह खुलासा तब हुआ जब पैन से लिंक्ड आधार कार्ड की जांच की गई। पहले 1,12,000 किसान आयकरदाता पाए गए जबकि 1,45,000 किसान फिजिकल वेरिफिकेशन में अयोग्य पाए गए।

अरूणाचल : लाभार्थी कम, पंजीकृत ज़्यादा

सितंबर के पहले सप्ताह में ही भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट राज्य में किसान सम्मान निधि के क्रियान्वयन को लेकर आई है। यह रिपोर्ट इस स्कीम को लेकर कुछ गंभीर सवाल उठाती है। मसलन, कैग का कहना है कि राज्य के गाइडलाइन के मुताबिक़, लाभार्थियों की पहचान के लिए कोई विधिवत अनुमोदित वैकल्पिक तंत्र नहीं होने से योजना के सही क्रियान्वयन में बाधा आ रही है। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि नोडल विभाग राज्य में संभावित लाभार्थियों को निर्धारित करने के लिए आधार प्रदान नहीं कर सका और यह भी पाया गया है कि चार सैंपल जिलों में से दो में कुल उपलब्ध लाभार्थियों से अधिक लोग पंजीकृत हैं। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में “सेल्फ रजिस्ट्रेशन” प्रक्रिया को ठीक से लागू नहीं किया गया, जिसके कारण गलत तरीके से पंजीकरण निरस्त किये गये और 90 फीसदी पंजीकरण वेरिफिकेशन के लिए अभी भी पेंडिंग हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़, “उपयुक्त प्राधिकारियों के वेरिफिकेशन के बिना 373 लाभार्थियों को रजिस्टर्ड किया गया था और अन-वेरिफाइड लाभार्थियों को 28.22 लाख रुपये का लाभ पहले ही दिया जा चुका है। 572 योग्य लाभार्थियों को कुल 46.98 लाख रुपये का लाभ दिया गया है।”

हरियाणा: मृतकों को भी मिल गई 'सम्मान निधि' ?

इसी साल 22 मार्च को हरियाणा विधानसभा में कैग की रिपोर्ट पेश की गई थी। कैग ने अपनी रिपोर्ट में पाया था कि राज्य में आयकरदाताओं, राज्य सरकार के पेंशनभोगियों, मृत किसानों और जिनके पास ज़मीन नहीं है, उन्हें भी इस योजना के तहत करीब 42 करोड़ रुपये से अधिक दे दिया गया। कैग की यह खबर मार्च महीने में मीडिया की सुर्खियाँ बनी थी। कैग ने अपने ऑडिट के लिए, हरियाणा के 22 जिलों, 140 ब्लॉकों और 7,356 गांवों में से सात जिलों, 14 ब्लॉक (प्रत्येक चयनित जिले से दो ब्लॉक) और 84 गांवों (प्रत्येक चयनित ब्लॉक से छह गांव) को चुना था। कैग रिपोर्ट के अनुसार, 1 जून, 2021 तक की ऑडिट में पाया गया कि 3,131 अयोग्य किसानों को 2,000 रुपये की 16,802 किश्तें मिलीं, जिनकी राशि 3.36 करोड़ रुपये थी। इनमें से केवल 51 किसानों ने 207 किश्तों में 4.14 लाख रुपये वापस किए थे। इसके अलावा, 38,109 आयकरदाताओं को 2,000 रुपये की 1,86,677 किश्तें मिलीं, जिनकी राशि 37.34 करोड़ रुपये थी। सीएजी के मुताबिक़, इस तरह अयोग्य और आयकरदाताओं को 40.70 करोड़ रुपये की राशि दी गई। उस वक्त तक, इस राशि में से मात्र 4.60 लाख रुपये की रिकवरी हो सकी थी और और 40.65 करोड़ रुपये की राशि अभी भी रिकवर की जानी है। कैग ने अपने ऑडिट रिपोर्ट में 66 मृत लाभार्थियों की भी पहचान की है।

गौरतलब है कि 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले लांच सम्मान निधि योजना को भाजपा ने अपने लिए मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा था और उसे फ़ायदा भी हुआ था। लेकिन, सवाल वही है कि कोई भी सरकारी योजना किसी राजनीतिक दल के चुनावी फायदे के लिए होते हैं या आम लोगों के लिए, उनके लिए जिनके लिए योजना बनाई जाती है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के क्रियान्वयन को ले कर कैग की जो रिपोर्ट्स आ रही हैं, उसे देखते हुए बहुत ही आसानी से कहा जा सकता है कि यह योजना लक्षित समूह तक पहुँचने में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रही हैं। तो सवाल है कि आखिर इसका गलत फ़ायदा किसे और क्यों पहुंचाया जा रहा है?

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