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लेडी श्रीराम कॉलेजः छात्रा को दी गई श्रद्धांजलि, आत्महत्या के एक साल बाद भी नहीं जागा प्रशासन

'ऐश्वर्या की संस्थागत हत्या को एक साल हो गए है। छात्रवृत्ति में देरी के कारण उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा।'
Delhi: One Year After Suicide of LSR Student

सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय(डीयू) के लेडी श्री राम (एलएसआर) कॉलेज परिसर के बाहर छात्र इकट्ठा हुए और विरोध प्रदर्शन किया। पिछले साल इसी कॉलेज में पढ़ने वाली एक छात्रा ऐश्वर्या रेड्डी ने महामारी के कारण पढ़ाई बाधित होने की डर से खुद को फांसी लगा ली थी।

एसएफआई ने कॉलेज के सामने ऐश्वर्या की याद में विरोध प्रदर्शन किया और उसे श्रद्धांजलि दी। कई अन्य कॉलेजों के छात्र भी इस सभा में शामिल हुए। श्रीराम कॉलेज के छात्रों के साथ, एसएफआई के राज्य सचिव प्रीतीश मेनन, एलएसआरएसयू के पूर्व महासचिव उन्नीमाया, एलिजाबेथ, एयूडी छात्र संघ में सीसीसी सदस्य उमेश, जेएनयूएसयू के पूर्व पार्षद और जेएमआई के अरोज़मा ने इस सभा को संबोधित किया।

सभा को संबोधित करते हुए छात्रों ने कहा कि 'ऐश्वर्या की संस्थागत हत्या को एक साल हो गए है। छात्रवृत्ति में देरी के कारण उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा।'

तेलंगाना की रहने वाली ऐश्वर्या बीएससी (गणित) द्वितीय वर्ष की छात्रा थी जिसे मार्च में कोरोना के कारण वापस घर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

घर वापस जाने और ऑनलाइन पढ़ाई के चलते ऐश्वर्या को अपनी पढ़ाई जारी रखना मुश्किल हो गया था क्योंकि उनके घर में लैपटॉप और इंटरनेट की सुविधा नहीं थी। इस बात का दावा उन्होंने कॉलेज के छात्र परिषद सर्वेक्षण में किया था।

उसके पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर थी और छात्रवृत्ति पाने के लिए आवश्यक दस्तावेज न जमा कर पाने के चलते उसे छात्रवृत्ति भी नहीं मिल पाई थी। जबकि केंद्र सरकार की साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च (इंस्पायर) फेलोशिप के तहत वह 5,000रुपये के मासिक छात्रवृत्ति की हकदार थी।

इसके अलावा उसकी परेशानी तब और बढ़ गई जब कॉलेज प्रशासन ने केवल प्रथम वर्ष के छात्रों को छात्रावास आवास देने का निर्णय लिया और अक्टूबर में दूसरे वर्ष के छात्रों, जिनके पास छात्रावास की सीटें थीं, को बाहर करने का नोटिस जारी किया।

उसके परिवार ने तब शिकायत की थी कि इन सब चीजों ने ऐश्वर्या के लिए पढ़ाई को जारी रखना मुश्किल बना दिया। उसकी मां सुमति रेड्डी ने उस समय द टेलीग्राफ इंडिया से बात करते हुए कहा था कि “ख़राब आर्थिक स्थिति ने उस पर बोझ डाल और कॉलेज ने कोई मदद नहीं की।

श्रीराम कॉलेज की एसएफआई की सचिव प्राची ने न्यूज़क्लिक को बताया कि ऐश्वर्या की मृत्यु के एक साल बीत जाने के बाद भी कुछ भी नहीं बदला है। प्राची ने कहा कि उस समय छात्र समूह द्वारा उठाई गई मांगों को कॉलेज प्रशासन द्वारा अभी तक पूरा नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा “हम छात्रों विशेष रूप से वंचित समूहों से संबंधित छात्रों के लिए संसाधन उपलब्धता की देखभाल के लिए एक उचित संस्थागत तंत्र स्थापित करने के लिए एक वर्ष से कॉलेज की मांग कर रहे हैं लेकिन अब तक अब तक नहीं हुआ है।”

उन्होंने कहा कि एलएसआर कॉलेज की विवादिति छात्रावास नीति को भी अभी तक रद्द नहीं किया गया है और न ही किसी आवश्यकता-आधारित छात्रवृत्ति की घोषणा की गई है। इसकी मांग एसएफआई करती रही है।

प्राची ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने सोमवार को कॉलेज प्रशासन को ज्ञापन देकर इन मांगों को फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि हमें बहुत देरी के बाद ही कॉलेज में प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी क्योंकि प्रशासन ने हमें एलएसआर छात्रों के रूप में पहचानने से इनकार कर दिया था। हमने उन्हें अपना आईडी कार्ड भी दिखाया फिर भी प्रिंसिपल हमसे नहीं मिले।

परिसर को फिर से खोलने की मांग के संबंध में एसएफआई दिल्ली की राज्य कमेटी सदस्य और पूर्व एलएसआर छात्रा ऊनीमाया ने न्यूज़क्लिक को कहा कि "इस विरोध के माध्यम से हम कॉलेज प्रशासन को याद दिलाना चाहते हैं कि परिसर बंद होने के कारण ऐश्वर्या और उनके जैसे कई अन्य छात्र इसी तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं।"

पिछले साल एसएफआई ने छात्रों की लंबित छात्रवृत्ति और फेलोशिप जारी करने के लिए बार-बार भारत सरकार से गुहार लगाई थी लेकिन इसके उलट शैक्षणिक संस्थान महामारी के दौरान भी छात्रों पर बेशर्मी से फीस बढ़ाती रही थी।

एसएफआई ने कॉलेज प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि प्रथम वर्ष की छात्रावास नीति को निरस्त की जाए और द्वितीय वर्ष के छात्रों को केवल शिक्षण शुल्क का भुगतान करने के लिए कहा जाना चाहिए। अन्य भुगतानों के लिए जिन छात्रों ने पहले ही पूरी फीस का भुगतान कर दिया है उन्हें पैसा वापस कराना होगा। उचित प्रतिनिधित्व के साथ छात्रों के लिए संसाधन उपलब्धता की देखभाल के लिए एक समिति का गठन किया जाए। अलग से फ्री-शिप भी केवल आवश्यकता के आधार पर उपलब्ध कराई जानी चाहिए न कि योग्यता के आधार पर। किसी तरह की कोई परीक्षा शुल्क न ली जाए और दिल्ली विश्वविद्यालय अधिनियम धारा-33 का पालन किया जाए जो सभी छात्रों के लिए छात्रावास सुनिश्चित करता है। रिकॉर्डेड क्लास लेक्चर की सुविधा के लिए तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। ऐश्वर्या की स्कॉलरशिप को प्रोसेस कराने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग प्रशासन हस्तक्षेप करे और परिसर को फिर से खोलने के लिए प्रशासन कुलपति पर दबाव बनाए।

इन मांगों को लेकर प्रशासन ने कहा कि इस पर चर्चा के लिए जल्द ही प्राचार्य के साथ बैठक तय की जाएगी।

एसएफआई ने कहा कि समयबद्ध तरीके से मांगें पूरी नहीं हुई तो वह अपना आंदोलन तेज करेगी।

दूसरी तरफ डीयू के आर्ट्स फैक्ल्टी के सामने डीयू को फिर से खोलने की मांग को लेकर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं और धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा भेदभावपूर्ण और गरीब और कमज़ोर तबके के छात्रों को शिक्षा से बाहर करने का एक प्रयास है।

आरोप है कि डीयू को फिर से खोलने के विरोध में धरने पर बैठे छात्रों पर सोमवार शाम को कथित तौर एबीवीपी के सदस्यों ने हमला कर दिया। एसएफआई के बयान के मुताबिक एसएफआई रामजस कॉलेज के सचिव अमन और दो अन्य छात्रों पर गुंडों ने हमला किया।

ध्यान देने की बात है कि एक ओर जहां एबीवीपी ने खुद परिसरों को फिर से खोलने के लिए विरोध प्रदर्शन किया, वहीं दूसरी तरफ वे छात्रों पर इसी मांग को लेकर हमला कर रहे हैं। इस पर एसएफआई ने कहा कि यह साबित करता है कि वे अपने सांकेतिक विरोध के साथ छात्रों को धोखा दे रहे हैं जबकि वास्तव में वे सरकार के पाले हुए गुंडे हैं जिनका एकमात्र एजेंडा छात्रों के आंदोलन को कुचलना है।

एसएफआई नेताओं ने कहा कि डीयू के छात्र पहले सशक्त प्रदर्शन के साथ इस तरह के प्रयासों का विरोध कर चुके हैं। ऐसा फिर से करने का समय आ गया है।

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