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लुधियाना गैस लीक मामला: “सरकारी अमला उद्योग मालिकों के आगे नतमस्तक है”

“...लेकिन कभी किसी प्रबंधन के ख़िलाफ़ कोई सख़्त कार्रवाई नहीं हुई, इसी का परिणाम है जो इस तरह के हादसे हो रहे हैं और मज़दूरों की ज़िंदगी लील रहे हैं।”
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फ़ोटो साभार: PTI

अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस यानी मई दिवस के एक दिन पहले पंजाब के लुधियाना में ज़हरीली गैस रिसाव के चपेटे में आने से 11 मज़दूरों की मौत हो गई जबकि कई मज़दूर गंभीर रूप से घायल हैं। हादसे के दो दिन बीत जाने के बाद भी प्रशासन इस घटना के आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई। सरकार पर इस बार भी एक जांच कमेंटी बना कर अपनी औपचारिकता पूरा करने का आरोप लग रहा है। इस पूरे हादसे को लेकर ट्रेड यूनियनों ने सरकार की कड़ी आलोचना की और इसे"सरकारी लापरवाही और मालिकों के मुनाफे-लालच का नतीजा बताया।"

यूनियन का कहना है कि, "ये कोई पहला हादसा नहीं है। बीते दिनों में इस शहर में कई औद्योगिक हादसे हो चुके हैं लेकिन कभी किसी प्रबंधन के ख़िलाफ़ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई, इसी का परिणाम है जो इस तरह के हादसे हो रहे हैं और मज़दूरों की ज़िंदगी लील रहे हैं।”

पंजाब के लुधियाना में रविवार को एक भयावह घटना घटी। एक उद्योग से निकलने वाली ज़हरीली गैस के कैमिकल को सीवर में डाल दिया गया जिसके बाद लुधियाना शहर के ग्यासपुरा में इसका रिसाव हो गया। इससे आस-पास का पूरा इलाका ज़हरीला हो गया और ज़हरीली गैस के चपेट में वहां रहने वाले मज़दूर परिवार आ गए। बता दें कि ग्यासपुरा प्रवासी आबादी के साथ एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है। यहां अधिकतर यूपी और बिहार जैसे राज्यों के प्रवासी मज़दूर परिवार समेत रहते हैं। यहां कई औद्योगिक और आवासीय भवन हैं। घटना की चपेट में आए ज़्यादातर लोग उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले थे जो लुधियाना में काम कर रहे थे।

इस गंभीर हादसे में जान गंवाने वाले यूपी के एक प्रवासी मज़दूर सौरव का पूरा परिवार ही ख़त्म हो गया, किसी तरह से उनका आठ महीने का बेटा बच गया जिसके हाथों से पिता सौरभ, मां प्रीति और दादी को मुखाग्नि दिलाई गई। यह नवजात शिशु पूरी घटना के मर्म से अनजान था और उसकी मौसी अपनी गोद में लेकर उससे अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करा रही थी। इस दृश्य को देख शमशान में मौजूद सभी की आंखें नम थी।सौरभ के बड़े भाई गौरव (50) का भी सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा है।

इसके अलावा ग्यासपुरा इलाके में ज़हरीली गैस की चपेट में आने से 40 वर्षीय कविलाश, उनकी पत्नी वर्षा (35) और उनके तीनों बच्चों - कल्पना (16), अभय (13) और आर्यन (10) की मौत हो गई।

बिहार के गया के रहने वाले कविलाश पिछले 25 वर्षों से ग्यासपुरा में अपना क्लीनिक चला रहे थे। जबकि इस दर्दनाक घटना में एक अन्य परिवार के दो सदस्य नवनीत कुमार (39) और उनकी पत्नी नीतू देवी (37) की भी मौत हो गई।

पुलिस ने कहा था कि इस घटना में तीन बच्चों समेत कुल 11 लोगों की मौत हुई है और चार अन्य लोग बीमार हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।

बता दें कि 11 मृतकों में से7 लोग बिहार से हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस हादसे पर दुख जताया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "पंजाब के लुधियाना के ग्यासपुरा में ज़हरीली गैस लीक से हुई मौत की घटना अत्यंत दुःखद है। घटना में बिहार के गया ज़िले के रहने वाले एक ही परिवार के 5 लोगों की मृत्यु हुई है। बिहार के मृतकों के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 2-2 लाख रूपये अनुग्रह अनुदान दिया जाएगा। स्थानिक आयुक्त, नई दिल्ली को पंजाब सरकार से आवश्यक समन्वय स्थापित कर मृतकों के पार्थिव शरीर को उनके घर तक लाने की समुचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया है।”

सेंट्रल ट्रेड यूनियन एटक ने इस हादसे में जान गंवाने वाले लोगों और घायलों को लेकर दुख व्यक्त किया और कहा कि विडंबना यह है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस यानी मई दिवस के एक दिन पहले हुई।

इस तरह के हादसे लगातार हो रहे हैं। कुछ दिन पहले पंजाब के डेराबस्सी में फेडरल मीट प्लांट में ग्रीस टैंक की सफाई के दौरान चार मज़दूरों की मौत हुई थी। शहर अभी इनकी मौत से उबरा भी नहीं था कि लुधियाना की इस घटना ने लोगों को हिलाकर रख दिया। बता दें कि डेराबस्सी में मीट प्लांट में चर्बी के टैंक की सफाई करने उतरे चार कर्मचारियों की ज़हरीली गैस के चलते मौत हो गई थी। यह हादसा शुक्रवार को हुआ था। घटना उस वक्त हुई जब चार मज़दूर एक के बाद एक ग्रीस टैंक में घुस गए। टंकी की सफाई के दौरान ज़हरीला धुंआ उनके अंदर चला गया और दम घुटने की वजह से इन चारों की मौत हो गई। जबकि पिछले साल भी नवांशहर के बलाचौर में गांव खमाचों के रहने वाले पुरुषोतम लाल (40) व शुभम की सीवर की गैस की वजह से मौत हो गई थी।

मज़दूर संगठन सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन के राज्य सचिव आतींद्र पाल ने कहा, "ये हादसे इस लिए हो रहे हैं क्योंकि सरकारी अमला, श्रम अधिकारी से लेकर प्रदूषण कंट्रोल विभाग, सभी मालिकों के आगे नतमस्तक हैं। इसलिए पंजाब की इंडस्ट्री वाले डाइंग, शराब व चमड़े को खुलेआम सीवरेज में डाल रहे हैं। ये हादसे की वजह बन रहा है।"

सीटू नेताओं ने मांग की कि मृतकों के वारिसों को 20-20 लाख रुपये की शोक सहायता और घायलों के लिए मुफ्त इलाज और नकद राशि प्रदान की जाए।

पाल ने बताया, "इस तरह के हादसे अब आम हो गए हैं लेकिन सरकार और प्रशासन को मज़दूरों की कोई सुध नहीं है। इस तरह के हादसों में बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर शिकार होते हैं। हम इन घटनाओं को लेकर कई बार श्रम विभाग और सरकार को लिखित में शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है।"

पाल ने सरकार से सभी मृतकों को 20 लाख मुआवज़ा देने और दोषियों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।

इसके अलावा एटक ने भी श्रम कानूनों के उल्लंघन और कार्यस्थलों पर मौजूदा सुरक्षा नियमों को लागू न करने को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया। साथ ही उद्योगों के ज़हरीले कचरे से जल संसाधनों और वायु को प्रदूषण से बचाने में सरकारों की विफलता की निंदा करते हुए कहा कि "हमने बार-बार इस मुद्दे को उठाया है कि व्यवसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य मानदंडों (OSH मानदंड) का उल्लंघन, कर्मचारियों और आस-पास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है। साल 2021, विशाखापत्तनम में एक विदेशी कंपनी में, ज़हरीली गैस रिसाव से हुई दुर्घटना ने ऐसे उल्लंघनों को उजागर किया कि कंपनी ने पर्यावरण मंज़ूरी के लिए भी आवेदन नहीं किया था। अधिकांश कार्यस्थलों पर, विशेषकर सीवेज निकासी, निर्माण और वृक्षारोपण क्षेत्र में, सुरक्षा उपायों की कमी के कारण मज़दूरों की मौत हो रही है।”

एटक महासचिव अमरजीत कौर ने अपने बयान में कहा, "विभिन्न कारखानों में श्रमिकों के जान गंवाने की घटना और मौजूदा कानून के उल्लंघन की कई घटनाओं की कठोर वास्तविकता को जानते हुए भी केंद्र सरकार ने मज़दूरों के विरोध के बावजूद स्टार्टअप और विदेशी निवेश के प्रोजेक्ट्स के लिए तीन साल के लिए पर्यावरण मंज़ूरी की आवश्यकता को ख़त्म कर दिया।”

कौर ने भी लुधियाना कांड के दोषियों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए केंद्र सरकार से कहा कि OSH कोड के वर्तमान स्वरूप को वापस लिया जाए।

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