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एमपी: अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग कर रहे 6 पत्रकारों के खिलाफ पुलिस ने किया मामला दर्ज

पत्रकार उसी शाम डीएमओ से मिलने गए थे ताकि जिले में बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध खनन और रेत के भंडारण के मुद्दे पर उनकी टिप्पणी हासिल कर सकें।
एमपी: अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग कर रहे 6 पत्रकारों के खिलाफ पुलिस ने किया मामला दर्ज
प्रतीकात्मक तस्वीर। चित्र साभार: उड़ीसापोस्ट

भोपाल: पुलिस के मुताबिक, मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में 2 जुलाई को जिला खनन अधिकारी (डीएमओ) की शिकायत पर कथित तौर पर हंगामा करने और गाली-गलौज करने के आरोप में छह पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। कथित तौर पर, पत्रकार उसी शाम डीएमओ से मिलने गए हुए थे ताकि जिले में बड़े पैमाने पर चल रहे खनन एवं रेत के भंडारण के सिलसिले में उनकी टिप्पणी हासिल की जा सके।

पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, सभी छह पत्रकारों पर डीएमओ सावन चौहान के साथ दुर्व्यवहार करने और गाली-गलौज करने और चौहान जो कि अनुसूचित जाति से आते हैं, के खिलाफ जातिगत टिप्पणी करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। चौहान की शिकायत में कहा गया है कि पत्रकारों के साथ बहस तब शुरू हुई जब उन्हें कार्यालय के बाहर इंतजार करने के लिए कहा गया था।

पत्रकारों के खिलाफ लगाये गये आरोपों में आईपीसी की धारा 147 (दंगा करने के लिए सजा), 294 (किसी भी सार्वजनिक स्थान पर या उसके आस पास किसी भी प्रकार का अश्लील गीत, लोकगीत या शब्दों को सुनाना या गाना), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक शक्ति का इस्तेमाल करना) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम-1989 की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

आरोपी पत्रकार कथित रूप से एनडीटीवी, एबीपी, न्यूज़ नेशन, नेशन टुडे (एक वेब पोर्टल) और स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों से सम्बद्ध हैं। डीएमओ चौहान ने खरगोन से फोन पर न्यूज़क्लिक को बताया “उन्होंने मेरी जाति के आधार पर मेरे साथ मेरे कार्यालय में दुर्व्यवहार और गाली-गलौज किया, जिससे मेरी भावनाएं आहत हुई हैं।”

पुलिस अधीक्षक, शैलेन्द्र सिंह चौहान के अनुसार “डीएमओ द्वारा पुलिस को पेश किये गये तथ्यों और चश्मदीद गवाहों के आधार पर छह पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और जाँच चल रही है।”

मजेदार तथ्य यह है कि, इस घटना के एक दिन बाद कृषि मंत्री और खरगोन के प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए अपनी ही सरकार के साथ-साथ खरगोन के जिलाधिकारी और एसपी को खरी-खोटी सुनाई है। 4 जुलाई को क्षेत्र में एक रैली को संबोधित करते हुए पटेल ने कहा “यदि कोई भी व्यक्ति नर्मदा नदी में पोकलेन मशीनों के साथ अवैध रूप से रेत खनन करते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 के तहत मामला दर्ज किया जायेगा। 
अन्यथा, मैं जिलाधिकारी और एसपी के खिलाफ कार्यवाही करूँगा।” 


उनका आगे कहना था कि “रेत माफिया के खिलाफ कड़ी कार्यवाई करने के बजाय उन पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है जो उन्हें बेनकाब कर रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा “इसके अलावा, आरोपी पत्रकारों में से एक प्रदीप गंगले, जो अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते हैं के द्वारा एससी/एसटी पुलिस थाने में डीएमओ और खनन निरीक्षक रीना पाठक के खिलाफ एक लिखित शिकायत भी दर्ज की गई है, और इस मामले में जांच चल रही है।”

शिकायत में, पत्रकारों ने आरोप लगाया है कि रेत माफिया के दबाव में आकर डीएमओ ने उनके खिलाफ फर्जी मामला बनाया है, जब उनके द्वारा जिले में बड़ी मात्रा में प्रचलित रेत के अवैध खनन, भंडारण और करों की चोरी को मुद्दा बनाया जा रहा था।

नेशन टुडे नामक न्यूज़ वेबसाइट से जुड़े एक आरोपी पत्रकार, प्रवीण गंगले ने बताया “तीन दिन पहले, एनडीटीवी ने जिले में रेत के अवैध खनन और भंडारण को लेकर एक स्टोरी चलाई थी, जिसके चलते ठेकेदार और सरकारी अधिकारी खफा थे।”

एक अन्य आरोपी, पत्रकार वाहिद खान जो न्यूज़ नेशन के लिए काम करते हैं, ने बताया “मुलाकात के लिए समय लेने के बाद जब पत्रकारों का समूह जिला खनन अधिकारी के दफ्तर में पहुंचा तो वहां पर पहले से ही ठेकेदारों में से भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चे के दिनेश यादव, और भाजपा कार्यकर्त्ता अमित भावसार सहित अन्य ठेकेदार मौजूद थे। उनके दबाव में आकर उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया था।”

उन्होंने आगे बताया कि “दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही नेता भाजपा से जुड़े हुए हैं और एफआईआर में चश्मदीद गवाह हैं।”

इसके अलावा, खरगोन की पत्रकारों की एक यूनियन ने भी मामले की निष्पक्ष जांच के लिए जिलाधिकारी को लिखित आवदेन दिया है।

आवेदन में, पत्रकारों की यूनियन के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने दावा किया है कि आरके गुप्ता एंड कंपनी को जिले में रेत खनन का ठेका आवंटित किया गया है और दिनेश यादव एवं अमित भावसार के लिए खरगोन नगर का आवंटन किया गया है। आवेदन पत्र में कहा गया है “वे लोग न सिर्फ अवैध रूप से खनन कार्यों में जुटे हुए थे बल्कि इसका भंडारण भी कर रहे थे, और इन आरोपों पर जब पत्रकारों ने बाइट लेनी चाही तो उल्टे उन्हीं के उपर फर्जी मामले दर्ज कर दिए गये हैं।”

मध्य प्रदेश में पिछले तीन महीनों में करीब 14 पत्रकारों पर कोविड-19 के प्रबंधन में अनियमितताओं को बरतने और दलित अत्याचारों के बारे में रिपोर्टिंग करने पर मामला दर्ज किया जा चुका है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

MP: 6 Journalists Reporting on Illegal Sand Mining Booked by Khargone Police on Complaint of Mining Officer

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