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मप्र: कांग्रेस का आरोप ‘पटवारी भर्ती परीक्षा में व्यापम जैसा घोटाला’

विपक्ष ने आरोप लगाया कि इस घोटाले के तार बीजेपी नेताओं से जुड़े हैं और साथ ही स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग की।
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भोपाल: जैसे ही ग्रेड-2, सब-ग्रेड 4 और पटवारी भर्ती में अनियमितताओं का आरोप सामने आया, कांग्रेस ने सत्ता में आने पर परीक्षा में घोटाले को रोकने के लिए एक सख्त कानून का ड्राफ्ट तैयार करने की घोषणा की।

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि ग्वालियर जिले में मौजूदा बीजेपी विधायक संजीव कुशवाह के स्वामित्व वाले एक कॉलेज से 10 में से 7 टॉपर्स हुए, इसके अलावा उस सेंटर से परीक्षा में बैठने वाले 140 से अधिक अभ्यर्थी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए।

“10 में से 7 टॉपर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह कृषि अधिकारी भर्ती परीक्षा 2021 घोटाले के वक़्त हुआ था, जिसमें सभी टॉपर न केवल एक ही क्षेत्र के थे, बल्कि उनकी जाति, उनके कॉलेज और शैक्षणिक प्रदर्शन भी एक समान थे, इसके अलावा उन्होंने परीक्षा में भी एक जैसी ही गलतियां की थीं जिसे जांच के बाद रद्द कर दिया गया था।”

बता दें की भिंड से मौजूदा विधायक कुशवाह बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के पूर्व नेता हैं, जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं।

कांग्रेस नेता ने आगे आरोप लगाया कि "एक परिवार के छह सदस्यों ने परीक्षा पास की, और वे उम्मेदवार जिन्होंने अंग्रेज़ी में 25 में से 25 अंक हासिल किए, उन्होंने अपनी कॉपियों पर हिंदी में हस्ताक्षर किए, जिससे व्यापम जैसे घोटाले का संदेह पैदा होता है।"

"इतने सालों में व्यापम का नाम तीन बार बदला गया लेकिन भ्रष्टाचार बदस्तूर जारी है।"

फरवरी 2021 में, जब व्यापम, जिसे उस समय मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्ज़ामिनेशन बोर्ड (MPPEB) के नाम से जाना जाता था, ने 862 पदों पर कृषि अधिकारी की भर्ती के लिए परिणाम घोषित किया और उम्मीदवारों ने इस पर संदेह जताया, तब सरकार ने इसकी जांच कराई और जांच के बाद परीक्षा रद्द कर दी।

ग्रेड-2, सब ग्रेड-4 और पटवारी की 6000 वेकेंसी के लिए, मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड को 12.34 लाख आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 9.74 लाख अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे।

MPESB, जिसने परीक्षा आयोजित करने के लिए बैंगलोर स्थित कंपनी, एडुक्विटी करियर टेक्नो प्राइवेट लिमिटेड को शामिल किया, ने 15 मार्च, 2023 से 26 अप्रैल, 2023 के बीच ऑनलाइन परीक्षा ली। कंपनी एक उम्मीदवार के लिए MPESB से 168 रुपये का शुल्क लेती है।

परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थी सुरेंद्र यादव (25) ने परीक्षा में अनियमितताओं की आशंका जताते हुए कहा, "MPESB द्वारा परिणाम घोषित किए हुए दो दिन हो गए हैं। फिर भी, टॉपर्स का पता नहीं चल पाया है। परीक्षा में टॉप करने वाली एक महिला 40 साल की है और दूसरी 19 साल की है; उसका भी पता नहीं चल पा रहा है। इसके अलावा, सभी टॉपर्स ने परीक्षा पेपर में एक जैसी गलती की।"

जैसे ही 10 जुलाई को परिणाम घोषित हुए, उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया पर परीक्षा में अनियमितताओं को उजागर किया। कांग्रेस ने तुरंत इस मुद्दे को उठाया और कथित घोटाले की जांच की मांग की।

"जो उम्मीदवार हिंदी में ठीक से हस्ताक्षर नहीं कर सकता, उसने न केवल अंग्रेज़ी में पूरे अंक हासिल किए हैं, बल्कि सभी विषयों में टॉप स्कोरर भी बन गया है। यह हैरानी वाली बात नहीं है?" सुरेंद्र यादव ने दुःख ज़ाहिर करते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।

एक सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता अरुण यादव ने कहा कि अगर वे सत्ता में आए तो राजस्थान और उत्तराखंड की तर्ज पर मध्य प्रदेश भी इन घोटालों को खत्म करने के लिए एक कानून का ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा।

MPESB, जिसे पहले व्यापम के नाम से जाना जाता था और जो 2013-14 में मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षाओं में धांधली के लिए कुख्यात है, पिछले दशक में तीन बार इसका नाम बदला गया था।

व्यापम, जो अब MPESB है, ने 2015 से 2022 के बीच 106 परीक्षाएं आयोजित की हैं और 24 परीक्षाओं में अनियमितताएं सामने आने और व्यक्तियों और अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद जांच एजेंसियों के रडार पर है।

विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, फॉर्म भराकर भर्ती एजेंसी ने 2014-15 के बीच उम्मीदवारों से 607 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है।

सामने आए नए घोटाले पर, 2009 के व्यापम व्हिसलब्लोअर पारस सकलेचा ने कहा, “व्यापम द्वारा 2014-2022 के बीच आयोजित दो दर्जन परीक्षाएं पुलिस की जांच के दायरे में हैं। सीबीआई, व्यापम द्वारा आयोजित 12 परीक्षाओं की जांच कर रही है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और आरएसएस नेता सुदर्शन को आरोपी बनाया गया था।"

उन्होंने आगे कहा, "भले ही व्यापम परीक्षाओं में घोटालों की सीरीज़ संगठित सिंडिकेट की ओर इशारा करती है, लेकिन भाजपा सरकार ने कभी इसकी जांच नहीं की क्योंकि वे मेधावी उम्मीदवारों के बजाय सरकारी नौकरियों में आरएसएस के लोगों को भर्ती करना चाहते थे।"

कांग्रेस में शामिल हुए सकलेचा ने मुख्यमंत्री पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया, “मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान MPESB के मंत्री हैं और जब भी घोटाला सामने आया, तब वे ही विभाग का नेतृत्व कर रहे थे। फिर भी, वह हमेशा अपना नाम क्लियर कर देते हैं। अगर कांग्रेस 2023 में सत्ता में आई तो सरकार सीएम शिवराज सिंह चौहान के शासन में हुए सभी घोटालों की जांच करेगी।"

"व्यापम ने परीक्षा आयोजित करने के लिए 2017-18 से चार कंपनियां बदली हैं। फिर भी, घोटाला जारी है।"

कथित घोटाले पर सवाल पूछे जाने पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, जो सरकार के प्रवक्ता हैं, ने बुधवार को कहा, “परिणाम मई और जून में घोषित किए गए थे लेकिन किसी ने कोई शिकायत नहीं की। जब विधानसभा सत्र चल रहा होता है तो कांग्रेस हंगामा करती है। जो लोग ट्वीट कर रहे हैं वे कांग्रेस से जुड़े हुए हैं।”

कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट किया, "पटवारी भर्ती घोटाले में गड़बड़ी की खबरें सामने आ रही हैं और एक बार फिर इसका कनेक्शन बीजेपी से जुड़ा हुआ है।"

"व्यापम, नर्सिंग, कांस्टेबल भर्ती, कृषि अधिकारी और अन्य घोटाले शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार के सिग्नेचर बन गए हैं। इस सरकार में जांच की मांग करना भी एक मज़ाक है क्योंकि वे सरगना को बचाते हैं। मैं एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग करता हूं।”

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

MP: Congress Alleges Vyapam-like Scam in Patwari Recruitment Exam

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