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मध्य प्रदेश : मुस्लिम साथी के घर और दुकानों को प्रशासन द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद अंतर्धार्मिक जोड़े को हाईकोर्ट ने उपलब्ध कराई सुरक्षा

पिछले तीन महीनों में यह चौथा केस है, जहां कोर्ट ने अंतर्धार्मिक जोड़ों को सुरक्षा उपलब्ध कराई है, यह वह जोड़े हैं, जिन्होंने घर से भाग कर शादी की थी।
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भोपाल: 7 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले प्रशासन ने डिंडौरी में आसिफ खान के पिता का घर और तीन दुकानें गिरा दी थीं। यह कार्रवाई आसिफ के साक्षी साहू के साथ प्रेम प्रसंग और शादी के लिए घर से दूर चले जाने के बाद की गई है। प्रशासन ने इन इमारतों को "अवैध" बताते हुए गिराया था। अब सोमवार को उच्च न्यायालय, जबलपुर ने अंतर्धार्मिक जोड़े को सुरक्षा प्रदान की है।

साहू (22) की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नंदिता दुबे ने कहा कि याचिकाकर्ता बालिग है, और वो खान से शादी करना चाहती है। जस्टिस दुबे ने कहा, "भारत का नागरिक होने के नाते उन्हें अपनी पसंद का साथी चुनने का हक है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने साफ़ कहा है कि उसका अपहरण नहीं किया गया था। जबकि लड़की के परिवार वाले उसके अपहरण की बात कह रहे थे। बल्कि लड़की ने साफ़ कहा है कि वह अपनी मंशा से आसिफ के साथ गई थी।"

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आसिफ खान के पिता हालिम खान के खिलाफ़ कार्रवाई, साहू के भाई द्वारा पुलिस में 22 साल के आसिफ के खिलाफ़ "शादी के लिए लड़की को अपह्त करने" के आरोप के तहत शिकायत दर्ज कराने के बाद की गई थी। पिछले तीन महीनों में उच्च न्यायालय ऐसे चार जोड़ों को राहत दे चुका है। खान और साहू इनमें से ही एक हैं। गुलजार खान और आरती साहू ने जनवरी में मुंबई में शादी कर ली थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें जबरदस्ती पकड़कर उनके परिवार वालों के हवाले कर दिया। 10 फरवरी को इटारसी के रहने वाले फैसल अली (23) और दीक्षा उमंग आर्या (19) को भी पुलिस ने सुरक्षा उपलब्ध कराई थी।

इसी तरह हाईकोर्ट ने जबलपुर में बेलबाग के रहने वाले करन बामन (20) को सुरक्षा उपलब्ध कराई थी, एक हफ़्ते पहले करन का प्रेम प्रसंग महबूब खान की बेटी के साथ सामने आया था। खान ने कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि उनकी बेटी उन्हें सौंपी जाए। 24 मार्च को याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा लड़की ने कोर्ट के सामने कहा है कि वह अपनी मनमर्जी से करन के साथ गई है और खान उसके ऊपर गैरजरूरी दबाव नहीं बना सकते। 

मध्य प्रदेश ने पिछले दिनों धार्मिक स्वतंत्रता का अधिनियम, 2021 में जबसे फेरबदल किया है और इसमें शादी के ज़रिए धर्म परिवर्तन या किसी दूसरे फर्जी तरीके से धर्म परिवर्तन के लिए 10 साल की सजा व एक लाख रुपये के दंड का प्रावधान किया है। तभी से अंतर्धार्मिक जोड़ों को कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और वे लगातार स्टे ऑर्डर हासिल करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं।

नए धर्मपरिवर्तन रोधी अधिनियम के तहत दर्ज की गई 21 शिकायतों का न्यूज़क्लिक ने विश्लेषण किया था, जो 20 मार्च 2021 को प्रकाशित हुआ था। उससे पता चलता है कि 43 आरोपी या तो मुस्लिम या फिर ईसाई समुदाय से थे।

साहू के भाई द्वारा शिकायत दर्ज कराने के तीन दिन बाद जिला प्रशासन ने खान के पारिवारिक घर के बाहर स्थित तीन दुकानों को ध्वस्त कर दिया। इसके कुछ घंटों बाद बीजेपी मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे और मंडला बीजेपी जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह राजपूत ने राष्ट्रीय राजमार्ग-45 को बाधित करते हुए धरना शुरू कर दिया और मांग रखी कि खान के घर को गिराया जाए।

धुर्वे और राजपूत ने राजमार्ग को तभी सुचारू होने दिया जब जिला अधिकारियों के एक दल ने खान के घर पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। अगले दिन शाहपुर गांव में स्थित एक मंजिला मकान को गिरा दिया गया, जो हलीम के नाम पर दर्ज था। इस दौरान 500 से ज़्यादा पुलिसवालों की तैनाती थी। हलीम एक छोटे किसान हैं। वे, उनकी पत्नी और तीन बेटे इस गांव में दो दशकों से ज़्यादा वक़्त से रह रहे थे। इस कार्रवाई के बाद परिवार ने घर छोड़ दिया है।

इस कार्रवाई को न्यायोचित ठहराते हुए डिंडौरी के एसडीएम बलबीर रमन ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "घर को इसलिए गिराया गया, क्योंकि तहसीलदार ने उसे गैरकानूनी पाया था। गांव में सांप्रदायिक तनाव भी था। लोग चाहते थे कि घर को गिरा दिया जाए।"

जब इंडियन एक्सप्रेस ने तहसीलदार बीएस ठाकुर से बात की, तो उन्होंने कहा कि वे "20 दिन की छुट्टी पर हैं." ठाकुर की अनुपस्थिति में प्रभाव संभालने वाले जीआर साल्वे ने कहा, "जिन परिस्थितियों के तहत घर गिराया गया, उनका जिक्र तहसीलदार के आदेश में किया गया है। कृप्या लोकसेवा केंद्र में एक प्रति के लिए आवेदन करिए और तीन कार्य वाले दिनों के भीतर वह आपको उपलब्ध करवा दी जाएगी।"

घर को गिराए जाने के एक दिन बाद साहू का वीडियो सामने आया, जिसमें वह कह रही है कि वो अपनी स्वेच्छा से खान के साथ गई है और वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और डिंडौरी के एसपी से मदद की गुहार लगा रही थी।

साक्षी वीडियो में कहती हैं, "मैं साक्षी साहू हूं, डिंडौरी में शाहपुरा गांव की रहने वाली हूं। मैंने मुस्लिम रीति रिवाजों से अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ़ आसिफ खान से शादी की है। मेरे पति के परिवार को गलत तरीके से फंसाया जा रहा है। मैंने अपनी मर्जी से उनसे शादी की है, लेकिन मेरा परिवार तथ्यों का गलत इस्तेमाल कर रहा है और उनके परिवार को निशाना बना रहा है। उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और उनके घर व दुकानों को गिरा दिया गया है। मैं मुख्यमंत्री से मेरी मदद की अपील करती हूं, नहीं तो मैं और मेरे पति, हम दोनों आत्महत्या कर लेंगे।"

गांव के मुस्लिमों ने 7 अप्रैल को कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा था और प्रशासन से घर को ना गिराए जाने की अपील की थी। इसके बावजूद घर को गिरा दिया गया। ज्ञापन में कहा गया, "साहू के रिश्तेदारों की शिकायत पर आसिफ खान के खिलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है, लेकिन अब तक कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। बल्कि साक्षी, आसिफ को अपने साथ लेकर गई थी। नियम के मुताबिक़ उनकी खोज कर, उन्हें कोर्ट में पेश किया जाना चाहिए। लेकिन जिला प्रशासन अवैधानिक ढंग से ताकत का इस्तेमाल कर, आसिफ के पिता हलीम द्वारा मेहनत-मज़दूरी कर बनाए गए घर को गिरा रहा है।

ज्ञापन में आगे कहा गया कि ऐसा मालूम हुआ है कि "एक समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें उत्पीड़ित किया जा रहा है।" हलीम को पुलिस थाने में जबरदस्ती हिरासत में लेने की बात की तरफ ध्यान दिलाते हुए ज्ञापन में लिखा गया, "जब एक अपराध दर्ज किया जाता है, तो उसके बारे में फ़ैसला करने का अधिकार एक स्वतंत्र और सुचारू न्यायपालिका के पास होता है। लेकिन इस मामले में हर व्यक्ति अपने हाथ में कानून-व्यवस्था ले रहा है।"

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ज्ञापन सौंपने वाली जामा मस्ज़िद समिति के सदस्य इरफ़ान मलिक ने न्यूज़क्लिक को बताया, "हलीम का घर गैरकानूनी नहीं था, बल्कि उस पट्टे पर बना था, जो उन्हें राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत दिया गया था। हमारे पास कागज़ातों की प्रति है। घर को अवैधानिक तरीके से गिराया गया है।"

मलिक ने आगे कहा, "एक आदिवासी महिला का रेप किया गया, कश्पय समुदाय की एक महिला का नामदेव समाज के एक पुरुष के साथ प्रेम प्रसंग सामने आया। लेकिन जिला प्रशासन ने उनके घर नहीं गिराए। जब 8 सितंबर, 2021 को डिंडौरी के एक बीजेपी पदाधिकारी को भोपाल में एक अव्यस्क लड़की के रेप के आरोप में गिरफ़्तार किया गया, तब तो उसके होटल और रेस्त्रां नहीं गिराए गए। यहां साफ़ है कि एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।"

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पड़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

MP High Court Grants Protection to Interfaith Couple After Muslim Partner’s House, Shops Razed

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