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विपक्षी दलों के सांसदों ने महंगाई को लेकर संसद परिसर में धरना दिया,  राज्यसभा हंगामे के बीच दो बजे तक के लिए स्थगित

इन सांसदों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया। इन लोगों ने एक बैनर भी ले रखा था जिस पर गैस सिलेंडर की तस्वीर थी और लिखा था ‘‘दाम बढ़ने से आम नागरिकों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, वे कैसे जीवन यापन करेंगे?’’
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नयी दिल्ली: राहुल गांधी समेत कांग्रेस और कुछ अन्य सहयोगी दलों के सांसदों ने महंगाई और कई जरूरी खाद्य वस्तुओं को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाए जाने के विरोध में मंगलवार को संसद भवन परिसर में धरना दिया।

इन सांसदों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया। इन लोगों ने एक बैनर भी ले रखा था जिस पर गैस सिलेंडर की तस्वीर थी और लिखा था ‘‘दाम बढ़ने से आम नागरिकों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, वे कैसे जीवन यापन करेंगे?’’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले, शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और कई अन्य विपक्षी सांसद इस धरने में शामिल हुए।

विपक्षी सांसदों ने ‘दूध-दही पर जीएसटी वापस लो’ के नारे भी लगाए।

जीएसटी परिषद के फैसले लागू होने के बाद सोमवार से कई खाद्य वस्तुएं महंगी हो गईं। इनमें पहले से पैक और लेबल वाले खाद्य पदार्थ जैसे आटा, पनीर और दही शामिल हैं, जिन पर पांच प्रतिशत जीएसटी देना होगा।

आपको बता दें कि हाल ही में  राज्यसभा सचिवालय ने एक बुलेटिन जारी कर कहा था कि संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिये नहीं किया जा सकता।
     
धरना, प्रदर्शन को लेकर यह बुलेटिन ऐसे समय में सामने आया था जब एक दिन पहले ही लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी असंसदीय शब्दों के संकलन को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा था ।
     
मानसून सत्र से पहले राज्यसभा के महासचिव पी सी मोदी द्वारा जारी बुलेटिन में इस विषय पर सदस्यों से सहयोग का अनुरोध किया गया था।
     
बुलेटिन में कहा गया है कि, ‘‘ सदस्य संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिये नहीं कर सकते । ’’

राज्यसभा में विपक्षी दलों का हंगामा, बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित

कुछ आवश्यक खाद्य पदार्थों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाए जाने और रक्षा सेवाओं में भर्ती की अग्निपथ योजना जैसे मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही आरंभ होने के पांच मिनट के भीतर ही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

सुबह जैसे ही उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कुछ कहना चाहा। लेकिन सभापति एम वेंकैया नायडू ने उन्हें अनुमति नहीं दी।

इसके बाद सभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।

नायडू ने बताया कि नियम 267 के तहत खड़गे सहित कई अन्य सदस्यों ने महंगाई और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस दिए हैं लेकिन उन्होंने उन्हें स्वीकार नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि अन्य मौकों पर इन मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है।

इस पर विरोध जताते हुए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया।

हंगामे के कारण नायडू ने 11 बज कर करीब पांच मिनट पर सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

ज्ञात हो कि सोमवार को सत्र के पहले दिन भी इन्हीं सब मुद्दों पर हंगामे की वजह से राज्यसभा की कार्यवाही एक घंटे के भीतर ही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई थी।

कांग्रेस के खड़गे सहित कुछ अन्य नेताओं और द्रविड़ मुनेत्र कषगम के तिरूची शिवा तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एलामारम करीम ने महंगाई, पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्यों में वृद्धि और हाल ही में दूध और दही सहित कई खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाए जाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिस दिए थे।

कांग्रेस के ही दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने अग्निपथ योजना के मुद्दे पर चर्चा के लिए कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था जबकि राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने अग्निपथ योजना के असर और रेलवे में भर्ती के अवसरों से युवाओं को वंचित करने के मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया।

आम आदमी पार्टी के राघव चड्डा ने केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर गठित समिति के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था।

संसद के मानसून सत्र की सोमवार को हंगामेदार शुरुआत हुई थी। विपक्षी सदस्यों ने इन्हीं सब मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग करते हुए कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिस दिए थे। हालांकि सभापति एम वेंकैया नायडू ने इन्हें अस्वीकार कर दिया था।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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