मध्य प्रदेश: विधानसभा सत्र ढाई दिन में ही समाप्त, नाराज़ विपक्ष ने शिवराज सरकार को घेरा
मध्य प्रदेश विधानसभा का पांच दिन का मॉनसून सत्र ढाई दिन में ही ख़त्म हो गया। छोटा सत्र बुलाने के कारण कांग्रेस पहले से ही इसका विरोध कर रही थी। इस तरह उसे सरकार पर हमला करने का एक और मौक़ा मिल गया। मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने कहा सरकार भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा से भाग रही है। उधर सरकार ने कहा है कि विपक्ष महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा ही नहीं करना चाहता है।
मध्यप्रदेश विधान सभा का 17 सितंबर तक चलने वाला 2 दिन पहले ही 15 तारीख़ को ही समाप्त कर दिया गया। इस पर वाम दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने कहा ये इसलिए किया गया क्योंकि श्योपुर ज़िले में मोदी के लिए भीड़ जुटाई जा सके। पार्टी ने कहा कि शिवराज सरकार का ये कृत्य अनैतिक ही नहीं बल्कि ग़ैर लोकतांत्रिक भी है। संसदीय लोकतंत्र में विधानसभा जन आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति का मंच होता है और जब सरकार इसे कम करती है कि तो जन आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति पर सीधा हमला होता है।
माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि जुलाई माह में होने वाला वर्षा कालीन सत्र सितंबर में आकर सिर्फ़ पांच दिन के लिए कर दिया गया। इसे भी तीसरे दिन ख़त्म कर विधायकों को प्रश्न करने का अवसर ही नहीं दिया गया है। कुल 4 घंटे 10 मिनट चली विधानसभा में 9517 करोड़ का अनुपूरक बजट सहित कई विधेयक बिना बहस के पारित करवा लिए गए।
माकपा नेता के अनुसार इतना ही नहीं बल्कि चारा घोटाले की तर्ज पर हुए पोषणाहार घोटाले पर चर्चा करने के लिए विधानसभा में लगे 15 स्थगन प्रस्तावों के बावजूद इस पर चर्चा नहीं करवाई गई। जबकि यह घोटाला ऐसे राज्य में हुआ है जहां कुपोषण की स्थिति बेहद गंभीर है।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि संयोग से प्रधानमंत्री भी ऐसे ज़िले में थे, जहां कुपोषण से सबसे ज़्यादा मौतें हो रही हैं। प्रधानमंत्री ने वहां कुपोषण की बजाय पोषण की बात कर पोषणाहार घोटाले की चर्चा पर पर्दा डालने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा है कि प्रश्र सिर्फ़ कुपोषण ही नहीं, यूरिया की क़िल्लत और कालाबाज़ारी, नर्सिंग कॉलेजों में हुए घोटाले, पुलिस और अन्य भर्तियों के घपले और राशन की दुकानों पर गेहूं न मिलने के साथ ही महिलाओं और बच्चियों पर बढ़ती हिंसक घटनाओं पर भी चर्चा सिर्फ़ विधान सभा में ही हो सकती थी, जिसे न करवाकर शिवराज सरकार ने अपने जनविरोधी होने का सबूत पेश किया है।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि विधानसभा की बैठकों का लगातार कम होते जाना और बिना चर्चा के सरकार की ओर से बजट और विधेयक पारित करवा लेना चिंता का विषय है। माकपा ने विधानसभा की कार्यवाही को 200 दिन चलाने की मांग की है।
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