मध्य प्रदेश : बीजेपी विधायक के ख़िलाफ़ ख़बर दिखाई तो पुलिस ने पत्रकारों को थाने में नंगा खड़ा किया
आज गुरुवार मध्य प्रदेश के सीधी जिले से बेहद ही शर्मनाक तस्वीर आई है जिसमें पत्रकारों को नंगा करके थाने में खड़ा किया गया। पुलिस ने इन्हें थाने में सिर्फ़ अंडरवियर पहनाए रखा। इसके अलावा ये भी आरोप है कि पुलिस ने जानबूझकर ये तस्वीर वायरल कराई जिससे इन पत्रकारों की समाज में बदनामी हो। आरोप है कि इनके साथ ऐसा व्यवहार इसलिए किया गया क्योंकि इन्होंने बीजेपी के विधायक के खिलाफ खबर चलाई थी।
इन पत्रकारों में एक की पहचान कनिष्क तिवारी के तौर पर हुई जिनके बघेली यूट्यूब चैनल पर सवा लाख सब्सक्राइबर हैं। साथ ही उनके समाचार चैनल न्यूज़ नेशन से जुड़े होने का भी दावा किया जा रहा है, उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर लिखित शिकायत भी दर्ज करा दी है।
कनिष्क ने स्थानीय समाचार पत्र पंजाब केसरी मध्य प्रदेश छतीसगढ़ से बातचीत की और पूरे घटनाक्रम पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा पुलिस ने उनसे कहा कि अगर पुलिस और विधायक जी के खिलाफ खबर चलाई, तो अगली बार नंगा करके पूरे शहर में घुमाएंगे!
सुनिए उन्होंने क्या कहा
ये एक गंभीर सवाल है कि कल 6 अप्रैल को ही देश में पत्रकारों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ दिल्ली में कई पत्रकार संगठन एकजुट हुए थे और अपनी आवाज बुलंद की थी। परन्तु वर्तमान सत्ताधारी पार्टी बीजेपी पर इसका कोई असर नहीं दिखा और अभी भी वो पूरी बेशर्मी से लोकतंत्र के प्रहरियों हमले कर रही है। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर पुलिस और मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार की खूब आलोचना हो रही है।
छत्तीसगढ़ में पत्रकार रितेश मिश्रा ने इस घटना के फोटो को ट्वीट करते हुए लिखा, "ये मध्य प्रदेश के सीधी ज़िले के YouTubers हैं। पता नहीं कौन सा अपराध है इनका लेकिन कोई भी अपराध इतना गंभीर नहीं हो सकता इनके द्वारा की थाने में इन्हें ऐसे खड़ा कर दिया जाय। ये मानवाधिकार औरमानव गरिमा का खुला मज़ाक है , कोई गलत है या आरोपी है तो भी ऐसा नहीं होना चाहिए।"
ये मध्य प्रदेश के सीधी ज़िले के YouTubers हैं
पता नहीं कौन सा अपराध है इनका
लेकिन कोई भी अपराध इतना गंभीर नहीं हो सकता इनके द्वारा की थाने में इन्हें ऐसे खड़ा कर दिया जाय
ये human rights और human dignity का खुला मज़ाक है
कोई गलत है या आरोपी है
तो भी ऐसा नहीं होना चाहिए pic.twitter.com/ZXKqrdv8Nv— Ritesh Mishra (@riteshmishraht) April 7, 2022
वरिष्ठ पत्रकार डॉ राकेश पाठक ने भी ट्वीट कर लिखा कि "बताया गया है कि पत्रकारों ने बीजेपी एमएलए केदारनाथ शुक्ला के खिलाफ ख़बरें चलाई थीं जिससे वे नाराज़ थे। उनके कहने पर सीधी पुलिस ने कनिष्क और उनके साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस का कहना है कि ये लोग फर्जी आईडी से बीजेपी सरकार और विधायकों के खिलाफ लिखते और ख़बरें दिखाते हैं।"
२) बताया गया है कि पत्रकारों ने BJP MLA केदारनाथ शुक्ला के खिलाफ ख़बरें चलाई थीं जिससे वे नाराज़ थे। उनके कहने पर सीधी पुलिस ने कनिष्क और उनके साथियों के खिलाफ FIRदर्ज कर ली है।पुलिस का कहना है कि ये लोग फर्जी आईडी से भाजपा सरकार और विधायकों के खिलाफ लिखते और ख़बरें दिखाते हैं।
— Dr.Rakesh Pathak डॉ. राकेश पाठक راکیش (@DrRakeshPathak7) April 7, 2022
इसी तरह राजनेता भी इस घटना की आलोचना कर रहे है। यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री निवास ने लिखा कि तस्वीर मध्यप्रदेश के सीधी पुलिस थाने की है, अर्धनग्न खड़े युवा स्थानीय पत्रकार है। इनका गुनाह है कि BJP MLA के खिलाफ खबर चलाने की हिमाकत इन्होंने की थी.."
तस्वीर मध्यप्रदेश के सीधी पुलिस थाने की है,
अर्धनग्न खड़े युवा स्थानीय पत्रकार है
इनका गुनाह है कि BJP MLA के खिलाफ खबर चलाने की हिमाकत इन्होंने की थी.. pic.twitter.com/b7oNpiiRYp— Srinivas BV (@srinivasiyc) April 7, 2022
इसी तरह कांग्रेस के माइनॉरिटी विंग के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी ने लिखा "नये भारत के मध्य वाले प्रदेश में पत्रकारों की स्थिति"
मध्यप्रदेश में एक के बाद एक करके घट रही घटनाएं साफ़ उदाहरण है कि प्रदेश सरकार संविधान, लोकतंत्र और मानवीय गरिमा सब कुछ को अंगूठा दिखाकर शुद्ध तानाशाही का राज कायम करना चाहती है।
वामपंथी पार्टी भारत की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) यानी माकपा की राज्य कमेटी ने इस घटना पर निंदा करते हुए बयाना जारी किया।
माकपा ने कहा कि भृष्ट और अशिष्ट आचरण के लिए चर्चित सत्ता पार्टी के विधायक के कहने पर सीधी जिले में पहले नाट्यकर्मियों और अब स्थानीय पत्रकारों की गिरफ्तारी किया जाना और थाने में उन्हें नंगा करके जलील करने की शर्मनाक हरकत करना भाजपा की हताशा का प्रतीक है।
"इसी तरह सागर विश्वविद्यालय की प्रावीण्य सूची में आने वाली छात्रा के किसी खाली कमरे में नमाज़ पढ़ने को लेकर खड़े किये जा रहे तूमार के बहाने सत्ता पार्टी से जुड़े नफरती गिरोह इस केंद्रीय विश्वविद्यालय के वातावरण को भी दूषित करने पर आमादा हैं। एक छात्रा की निजता का वीडियो बनाकर उसे वायरल करने के दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की बजाय उसे ही प्रताड़ित करने की कोशिश की जा रही है।
वहीं दूसरी तरफ जनजातियों के लिए बने अमरकंटक के आदिवासी केंद्रीय विश्वविद्यालय में सुंदरकांड और हनुमान चालीसा के नाम पर यही गिरोह अपना अजेंडा आगे बढ़ाने के काम में लगा है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी इन हरकतों का विरोध करती है। इन पर तत्काल रोक लगाए जाने के लिए जरूरी कदम उठाये जाने की मांग करती है।"
वरिष्ठ पत्रकार आवेश तिवारी ने अपने फेसबुक पर लिखा कि यह नया भारत है। "यह लोग जो थाने में अर्धनग्न अवस्था में खड़े हैं यह सब पत्रकार हैं। इनमे सबसे बॉएँ खड़े दाढ़ी वाले भाई कनिष्क तिवारी के यूट्यूब चैनल के सवा लाख सब्सक्राइबर हैं। अब इन्होंने गलती यह कर दी कि पहले मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में भाजपा के ही विधायक केदारनाथ शुक्ला के खिलाफ खबर लिख दी थी और अब शुक्ला के कहने पर सीधी पुलिस ने कनिष्क और उनके साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी है। जब कनिष्क और उनके साथियों ने पुलिस से पूछा कि हमारा कुसूर क्या है तो उनसे कहा गया कि फर्जी आईडी से आप लोग भाजपा सरकार और विद्यायकों के खिलाफ लिखते हैं।"
किसी भी लोकतंत्र में स्वतंत्र पत्रकारिता की अहम भूमिका होती है परन्तु बीते कुछ सालों में भारत में पत्रकारिता अपने सबसे मुश्किल समय से गुजर रही है। अभी हाल ही में बलिया में पत्रकारों पर पेपर लीक की खबर चलाने के बाद उन्हें ही दोषी बताकर जेल में बंद कर दिया गया। इसी तरह दिल्ली में हुए हिन्दू महापंचायत में पत्रकारों को उनके धार्मिक पहचान और काम से रोकने के लिए हमला किया गया। प्रेस की आजादी के मामले में भारत 142वें नंबर पर है। इसी तरह केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को पिछले कई महीनों से यूपी सरकार ने जेल में बंद कर रखा है उनका कसूर यह था कि वो प्रदेश में हुए जघन्य रेप केस हाथरस कांड को कवर करने जा रहे थे। और कश्मीर में भी कई पत्रकारों पर उनके काम से रोकने के लिए कई बार हमला किया गया है।
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