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महाराष्ट्र : कोरोना ने जेलों में भी दी दस्तक, न्यायलय ने जताई चिंता!

अदालत ने पूछा कि क्या जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए बड़ी संख्या में कैदियों को आपातकालीन पैरोल दी जा सकती है और क्या 45 वर्ष से अधिक उम्र के कैदियों को टीका लगाया जा सकता है।
महाराष्ट्र : कोरोना ने जेलों में भी दी दस्तक, न्यायलय ने जताई चिंता!

देश के कई राज्यों में कोरोना माहमारी ने जेलों में भी दस्तक दे दी है। दिल्ली की तिहाड़ जेल सहित महाराष्ट्र, मध्यप्रदेशछत्तीसगढ़ जैसे कई राज्यों में जेलों के भीतर संक्रमण के मामले मिल रहे हैं। इन सब में सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र की जेलों से मिल रहे हैं।

कल मंगलवार को नागपुर के केन्द्रीय कारागार में कोरोना वायरस से संक्रमित 77 वर्षीय उपचाराधीन कैदी की मौत भी हो गई है। इन सभी मामलों के देखते हुए बम्बई उच्च न्यायालय ने भी चिंता जताई और सरकार से पूछा इसके बचाव के लिए वो क्या उपाय कर रही है। 

एक अधिकारी ने कहा कि सुरक्षाकर्मी मुहैया कराने वाली एक कंपनी चलाने वाले ‍उस व्यक्ति को धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया था। 15 अप्रैल को उसे जेल से यहां राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल लाया गया था।

अधिकारी ने कहा कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद जेल में उसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिरने लगा और सोमवार को उसकी मौत हो गई।

इसी तरह महाराष्ट्र के ठाणे जिले में कल्याण शहर के आधारवाड़ी जेल के कम से कम 30 कैदियों को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

ठाणे सिविल अस्पताल के अधिकारी ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि वर्तमान में, 1,800 से अधिक कैदी जेल में बंद हैं।

उन्होंने बताया कि जेल के सभी कैदियों की हाल ही में जांच की गई थी और उनमें से 30 को संक्रमित पाया गया।

उन्होंने बताया कि उन्हें सोमवार को ठाणे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से जेलों में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के कदम के बारे में पूछा।

महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार ने बम्बई उच्च न्यायालय को सूचित किया कि राज्य की जेलों में 23,127 कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन वर्तमान में 47 जेलों में 35,124 कैदी बंद हैं।

राज्य की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने अदालत को बताया कि 18 अप्रैल की स्थिति के अनुसार राज्य में 188 कैदी जांच में कोविड-19 से संक्रमित पाये गए हैं।

कुंभकोनी ने यह बात मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ के समक्ष कही।

पीठ ने राज्य की जेलों में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बारे में समाचार पत्रों में आयी खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया था और इस मुद्दे को एक आपराधिक जनहित याचिका में शामिल किया था।

पीठ ने जेलों में संक्रमण को नियंत्रित करने के तरीकों के बारे में राज्य से मंगलवार को कई सवाल किये।

अदालत ने पूछा कि क्या जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए बड़ी संख्या में कैदियों को आपातकालीन पैरोल दी जा सकती है और क्या 45 वर्ष से अधिक उम्र के कैदियों को टीका लगाया जा सकता है।

पीठ ने राज्य से यह भी पूछा कि क्या वह यह सुनिश्चित कर सकता है कि जिन व्यक्तियों को अभी गिरफ्तार किया जा रहा हैउनकी कोविड-19 जांच की जाए और यदि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आये तो ही उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए।

पीठ ने साथ ही यह भी जानना चाहा कि क्या 45 साल से अधिक उम्र के कैदियों को टीका लगाना राज्य के लिए संभव होगा।

पीठ ने राज्य को निर्देश दिया कि वह बृहस्पतिवार को सुनवाई की अगली तारीख तक उसके प्रश्नों का उत्तर दे और संक्रमण के प्रसार को कम करने के लिए अपने सुझाव भी दे।

अदालत ने पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और उसके वकील मिहिर देसाई को भी अदालत की सहायता के लिए जनहित याचिका में पक्षकार के तौर पर शामिल करने की अनुमति दी।

पीयूसीएल ने पिछले साल जेल में कैदियों और कर्मचारियों के बीच कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी।

बम्बई उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने उस समय जेलों के लिए दिशानिर्देशों और मानक संचालन प्रक्रिया जारी की थी।

महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि पात्र कैदियों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम पहले से ही चल रहा है।

उन्होंने कहा कि पिछले साल महामारी के कारण जमानत पर या आपातकालीन पैरोल पर रिहा किए गए कैदी अभी भी बाहर हैं। उन्होंने कहा कि राज्य फिर से आपातकालीन पैरोल पर पात्र कैदियों को रिहा करना शुरू करने वाला है।

कुंभकोनी ने कहा कि पिछले साल राज्य ने मौजूदा जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में 36 अस्थायी जेलों का निर्माण किया था और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें भंग कर दिया गया था।

उन्होंने कहा कि हालांकिराज्य अब अस्थायी जेलों को वापस हासिल कर रहा है और उसने 14 का अधिग्रहण किया है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा राज्य ने फैसला किया है कि कोविड-19 जांच के बिना किसी नए कैदी को जेल में बंद नहीं किया जाएगा।

अदालत ने राज्य को यह भी सूचित करने का निर्देश दिया कि क्या 14 अप्रैल के बाद से अपराध दर में कोई कमी आई हैजब मुख्यमंत्री द्वारा कड़े कोविड-19 दिशानिर्देशों की घोषणा की गई थी।

 (समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

 

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