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महाराष्ट्र: फज़ीहत के बाद फड़णवीस का इस्तीफ़ा, ठाकरे होगें अगले मुख्यमंत्री!

माना जा रहा है कि देवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार ने इस्तीफ़े का फैसला एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के विधायकों की एकता और आज आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए लिया है। दूसरी ओर भाजपा विधायक कालीदास कोलाम्बकर को महाराष्ट्र विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है।
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Image courtesy: aninews

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बदले राजनीतिक परिदृश्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए शिवसेना-एनसीपी- कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे को अपना संयुक्त नेता चुनने का फैसला किया है। शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने मंगलवार को यह जानकारी दी। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के विधायक बुधवार को शपथ ग्रहण करेंगे, इसके लिए राज्यपाल ने विधानसभा का सत्र बुलाया है।

आपको बता दें कि शिवसेना 56 सीटों के साथ विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। राज्य में देवेंद्र फडणवीस नीत नवगठित भाजपा सरकार ने बहुमत साबित करने से पहले ही मंगलवार को इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद शिवसेना राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से सरकार बनाने का न्यौता पाने की हकदार हो गई है। भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है।

शिवसेना नेता ने कहा, ‘उद्धव ठाकरे मुंबई के होटल में शाम को होने वाली बैठक में तीनों पार्टियों के संयुक्त नेता चुने जाएंगे, ताकि सरकार बनाने का दावा पेश किया जा सके। इसके बाद शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(एनसीपी) और कांग्रेस संयुक्त रूप से सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के समक्ष संयुक्त पत्र सौंपेंगे।’

एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि तीनों पार्टियां- शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस अधिकतर मुद्दों को सुलझा चुकी हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं समझता कि तीनों पार्टियां सरकार बनाने का दावा पेश करने में और समय लेंगी।’

अब शक्ति परीक्षण की जरूरत नहीं

विधान भवन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फड़णवीस के इस्तीफे की घोषणा के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार बुधवार को सदन के पटल पर शक्तिपरीक्षण कराने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इसके बजाय राज्यपाल दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए आमंत्रित करेंगे।’

अधिकारी के मुताबिक इसके लिए राज्यपाल को शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के संयुक्त बयान और विधायकों के हस्ताक्षर वाली सूची की जरूरत होगी। शिवसेना के 56, राकांपा के 54 और कांग्रेस के 44 विधायकों की संयुक्त संख्या 154 होती है जबकि 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए केवल 145 सदस्यों की जरूरत है।

मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तीन दिन बाद मंगलवार को देवेंद्र फड़णवीस ने अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि उप मुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजित पवार के निजी कारणों से इस्तीफा देने के बाद भाजपा के पास सदन में बहुमत नहीं है।

राज्यपाल ने भाजपा के कोलाम्बकर को प्रोटेम स्पीकर बनाया

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मंगलवार को भाजपा विधायक कालीदास कोलाम्बकर को महाराष्ट्र विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया। कोलाम्बकर वडाला से आठ बार के विधायक हैं।

राजभवन के एक अधिकारी ने कहा, “राज्यपाल ने विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर के रूप में कोलाम्बकर को शपथ दिलाई है। कोलाम्बकर विधानसभा सत्र के दौरान शेष बचे 287 विधायकों को शपथ दिलाएंगे।”

इससे पहले दिन में उच्चतम न्यायालय ने फड़णवीस सरकार को बहुमत साबित करने का आदेश देते हुए कोश्यारी से कहा था कि वह एक प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करें और यह सुनिश्चित करें कि बु‍धवार को सभी निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई जाए।

फड़णवीस का इस्तीफा

इससे पहले महाराष्ट्र में एक महीने से चल रहे राजनीतिक ड्रामे में मंगलवार को नया मोड़ आ गया जब भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

फड़णवीस का इस्तीफा उच्चतम न्यायालय के आदेश पर बुधवार को होने वाले शक्ति परीक्षण से पहले आया है।  इससे पहले उपमुख्यमंत्री अजित पवार के इस्तीफा देने के बाद फड़णवीस ने स्वीकार किया कि उनके पास बहुमत नहीं रह गया था।

माना जा रहा है कि देवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार ने इस्तीफे का फैसला एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के विधायकों की एकता और आज आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए लिया है।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए फड़णवीस ने शिवसेना पर आरोप लगाया कि वह मुख्यमंत्री पद के लिए लालायित थी और इसके लिए पार्टी से “हिंदुत्व” के एजेंडे को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के चरणों में रख दिया।

उन्होंने कहा, “राकांपा के अजित पवार ने हमारा सहयोग करने का फैसला किया था। इस चर्चा के अनुसार हमने सरकार बनाई।” उन्होंने आगे कहा, “आज अजित पवार मुझसे मिले और कहा कि वह कुछ व्यक्तिगत कारणों के चलते गठबंधन में आगे नहीं रह सकते। चूंकि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, इसलिए हमारे पास भी बहुमत नहीं है।”

उन्होंने कहा कि उप मुख्यमंत्री पद से अजित पवार के इस्तीफे के बाद हमारे पास बहुमत नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें महसूस हुआ कि हमारे पास संख्या बल नहीं है और हम खरीद-फरोख्त में शामिल नहीं होना चाहते इसलिये यह फैसला किया।

वरिष्ठ भाजपा नेता एकनाथ खडसे ने अजित पवार के इस्तीफे को “इज्जत बचाने की कवायद” करार दिया। खडसे ने संवाददाताओं से कहा, “अजित पवार द्वारा उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना इज्जत बचाने की कोशिश है। अगर वह कल महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत परीक्षण तक इंतजार करते तो उनके लिए अधिक शर्मिंदगी भरा होता।”

उन्होंने कहा कि अगर भाजपा और शिवसेना के बीच कोई समाधान निकल आता, तो यह महाराष्ट्र के लिए बेहतर होता।

अजित पवार महा विकास आघाडी के साथ!

इससे पहले शिवसेना सांसद संजय राउत ने मंगलवार को कहा था कि अजित पवार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। राउत ने कहा, ‘अजित दादा ने इस्तीफा दे दिया है और अब वह हमारे साथ हैं। उद्धव ठाकरे अब अगले पांच वर्ष तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री होंगे।’

महाराष्ट्र में गत शनिवार सुबह आठ बजे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने यहां राजभवन में फडणवीस और पवार को क्रमश: मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवाई थी।

राज्यपाल के फैसले के खिलाफ शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस ने शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसके बाद आज मंगलवार को न्यायालय ने फडणवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को बुधवार पांच बजे तक शक्ति प्रदर्शन करने का निर्देश दिया था।

इस बीच, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने कहा कि उद्धव ठाकरे की पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 162 विधायकों का समर्थन है और ऐसे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पद से इस्तीफा देना चाहिए।

उन्होंने दावा किया कि शक्ति परीक्षण के दौरान शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के महा विकास आघाडी के पास 170 विधायकों का समर्थन होगा।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)  

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