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महाराष्ट्रः नहीं थम रहा किसानों की आत्महत्या का मामला, सुसाइड नोट में पीएम को ज़िम्मेदार बताया

फसल की उचित क़ीमत न मिलने और क़र्ज़ से तंग आकर महाराष्ट्र में दशरथ केदारी नाम के एक किसान ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने सुसाइड नोट में पीएम नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और उनको आत्महत्या के लिए ज़िम्मेदार ठहराया। किसान ने पीएम से प्याज़ और अन्य फसलों पर गारंटीकृत एमएसपी देने की बात कही।
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प्रतीकात्मक तस्वीर।

उपज की उचित क़ीमत न मिलने और भारी क़र्ज़ में फंस जाने के चलते किसानों की आत्महत्या का मामला थम नहीं रहा है। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा साल 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही गई थी लेकिन उनकी आय बढ़ने के बजाय वे क़र्ज़ की चपेट में पहले की तरह डूबे हुए हैं और उन्हें अपनी उपज की उचित क़ीमत नहीं मिल रही है। उनकी आय में किसी तरह की वृद्धि नहीं दिख रही है। पीएम मोदी के जन्म दिन पर एक किसान ने आत्महत्या कर ली। महाराष्ट्र के किसान ने आत्महत्या करने से पहले सुसाइड नोट में पीएम मोदी को उनके जन्मदिन की बधाई दी और फसल की गारंटीकृत बाज़ार मूल्य देने की मांग की।

बता दें कि महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के जुन्नार तहसील के रहने वाले 42 वर्षीय एक किसान दशरथ केदारी ने अपनी उपज पर एमएसपी नहीं मिलने से परेशान होकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। 

एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को कहा कि किसान द्वारा कथित रूप से लिखे गए पत्र में सहकारी समिति द्वारा अभद्र भाषा के इस्तेमाल और उधारदाताओं द्वारा धमकी दिए जाने का ज़िक्र किया गया है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ किसान शनिवार को जुन्नार तहसील के वडगांव आनंद गांव में अपने खेत के तालाब में मृत पाए गए।

आलेफाटा पुलिस स्टेशन के पुलिस इंस्पेक्टर प्रमोद क्षीरसागर के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया कि, “किसान ने प्याज़ उगाया था। लेकिन फसल का संतोषजनक मूल्य नहीं मिलने के कारण उन्होंने 1.5 से 2 लाख रुपये की क़ीमत की प्याज़ को स्टोर कर दिया था। उन्होंने अनुमान लगाया था कि इस बार उन्हें बेहतर क़ीमत मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”

उन्होंने कहा कि बारिश से प्याज़ को नुक़सान पहुंचा है और मृतक को सोयाबीन और टमाटर की फसल को भी नुकसान हुआ है।

उनके कपड़ों से बरामद हुए सुसाइड नोट में उन्होंने मराठी भाषा में कथित तौर पर लिखा, “आज, मैं आपकी निष्क्रियता के कारण आत्महत्या करने के लिए मजबूर हूं। कृपया हमें हमारा उचित गारंटीकृत बाज़ार मूल्य दें।”

अधिकारी ने कहा कि सुसाइड नोट पर हस्ताक्षर करने के बाद केदारी ने पत्र के निचले हिस्से पर पीएम मोदी को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं भी दीं।

केदारी ने पूछा कि न्याय के लिए किससे संपर्क करें और कहा कि किसानों की तरह कोई भी जुआ नहीं खेलता है। नोट में यह भी कहा गया है कि जहां प्याज और टमाटर की फसल तो कोई कीमत नहीं मिल रही। वहीं बारिश और कोविड के बाद किसान संकट में है। मृतक किसान ने पीएम मोदी से कृषि उपज के लिए गारंटीकृत मूल्य देने के लिए भी कहा और यह भी कहा कि वह (मोदी) कृषि पर नियंत्रण नहीं रख सकते।

विपक्ष का केंद्र सरकार पर हमला

इस घटना के बाद कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला है। उन्होंने अपने ट्वीटर अकाउंट पर पोस्ट किए गए वीडियो में आत्महत्या करने वाले किसान केदारी के लिखे पत्र के कुछ हिस्से का ज़िक्र किया। उन्होंने मृतक किसान के हवाले से कहा कि, “मोदी जी सिर्फ़ आप अपने बारे में सोचते हैं। साहूकार सुनता नहीं है, पैसे मेरे पास है नहीं, और आपकी निष्क्रियता के चलते मैं अपनी जान देने को मजबूर हूं…”

उधर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन (17 सितंबर) को पुणे ज़िले के जुन्नार में के एक किसान दशरथ लक्ष्मण केदारी ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने देश में संकट में फंसे किसानों के लिए मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया। हम मोदी सरकार की निंदा करते हैं। जब अन्नदाता आत्महत्या करता है, तो सरकार को इसका स्पष्टीकरण देना होगा।”

एक दिन में छह किसानों ने की थी आत्महत्या

ज्ञात हो कि इस महीने की शुरूआत में महाराष्ट्र के विदर्भ में एक दिन में छह किसानों ने आत्महत्या कर ली थी। बताया जाता है कि आत्महत्या करने वाले ये सभी किसान भारी क़र्ज़ में डूबे हुए थे। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या का मामला पिछले दो वर्षों में विदर्भ सबसे ज़्यादा रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक़ जुलाई और अगस्त में भारी बारिश के चलते इन किसानों की फसलें बह गई थीं। वहीं खरीफ सीजन के लिए फसल बोने के लिए इन किसानों के पास पैसे नहीं थे और भारी क़र्ज़ में डूबे होने के चलते उन्हें क़र्ज़ भी नहीं मिल पाया था। इसी से तंग आकर किसानों ने अपनी लीला समाप्त कर ली।

वहीं पिछले महीने के आख़िरी सप्ताह में यवतमाल के नरसाला गांव के एक किसान ने आत्महत्या कर ली थी। किसान अपने तीन एकड़ कृषि भूमि में कपास और सोयाबीन की खेती करते थे।

महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा किसानों ने की आत्महत्या

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड की ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक़ बीते साल देश भर में सबसे ज़्यादा महाराष्ट्र में 2,640 किसानों ने आत्महत्या की थी। इनमें अपनी भूमि कृषि करने वालों के साथ साथ पट्टे पर भूमि लेकर कृषि करने वाले किसान भी शामिल हैं। 2021 में कृषि क्षेत्र से संबद्ध कुल 10,881 लोगों ने आत्महत्या की जो देश में कुल आत्महत्या (1,64,033) का 6.6 प्रतिशत है। पिछले साल कृषि क्षेत्र से जुड़े कुल 10,881 लोगों ने आत्महत्या की जिनमें 5,318 किसान थे। और 5,563 कृषि मजदूरों थे। आत्महत्या करने वाले 5,318 किसानों में से 5,107 पुरुष थे और 211 महिलाएं थीं।

बता दें कि बीते साल महाराष्ट्र में 5 महीने में 1 हज़ार 76 किसानों ने आत्महत्या कर ली थी इस बात की जानकारी महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में दी थी। किसानों की खुदकुशी का ये आंकड़ा बीते साल जून से अक्टूबर महीने का था। इस हिसाब से इन 5 महीनों में हर दिन औसतन 7 किसानों ने खुदकुशी की।

महाराष्ट्र में वर्ष 2020 में 2,547 क़र्ज़ में डूबे किसानों ने आत्महत्या की थी वहीं 2019 में 2,808 किसानों ने आत्महत्या की थी। जबकि 2018 में 2,761 किसानों ने मौत को गले लगाया वहीं साल 2017 में 2,917 किसानों ने खुदकुशी की थी जबकि 2016 में 3,052 किसानों ने और 2015 में 3,228 किसानों ने आत्महत्या की थी।

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