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महाराष्ट्र: जलगांव के हॉस्टल में लड़कियों से अभद्रता हमारे सिस्टम पर कई सवाल खड़े करती है!

एक सरकारी हॉस्टल में लड़कियों से जबरन कपड़े उतरवाकर डांस करवाने का बड़ा आरोप पुलिस-प्रशासन पर लग रहा है। देश में लगातार आश्रय गृहों, हॉस्टलों में महिलाओँ के शोषण-उत्पीड़न की खबरें सुर्खियां बन रही हैं, ऐसे में बड़ा सवाल है कि आख़िर हम सुरक्षित कहां हैं?
महाराष्ट्र: जलगांव के हॉस्टल में लड़कियों से अभद्रता हमारे सिस्टम पर कई सवाल खड़े करती है!

देश के कई आश्रय गृहों में शोषण-उत्पीड़न का भंडाफोड़ होने के बाद अब महाराष्ट्र के जलगांव से एक हैरान करने वाल मामला सामने आया है। यहां सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि एक सरकारी गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों को कपड़े उतार कर पुरुषों के सामने डांस करने के लिए मजबूर किया जाता है। कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये आरोप पुलिसकर्मियों पर लगे हैं कि उन्होंने लड़कियों के कपड़े उतरवाकर उनसे डांस करवाया और वीडियो भी रिकॉर्ड किया।

विपक्ष ने इस मुद्दे को राज्य के मौजूदा बजट सत्र के दौरान बुधवार 3 मार्च को विधानसभा में भी उठाया। गृहमंत्री अनिल देशमुख ने मामले को लेकर जवाब दिया। लेकिन विपक्ष गृहमंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं है और सरकार पर मामले को गंभीरता से न लेते हुए राज्य में कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया। साथ ही बीजेपी के विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग भी की।

क्या है पूरा मामला?

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक यह शर्मनाक मामला जलगांव जिले के गणेश कॉलोनी इलाके में स्थित आशादीप महिला हॉस्टल का है। ये हॉस्टल निराश्रित महिलाओं और लड़कियों को आश्रय देना का काम करता है। ये एक सरकारी हॉस्टल है, जिसे महिला एवं बाल विभाग द्वारा चलाता है।

ऐसा आरोप है कि 1 मार्च को कुछ पुलिसवाले पूछताछ करने के बहाने से जबरन घुस गए। लेकिन जांच करने के बजाय उन्होंने हॉस्टल की लड़कियों को कपड़े उतारकर डांस करने को कहा। इतना ही नहीं उनसे निर्वस्त्र अवस्था में डांस करवाया और वीडियो भी रिकॉर्ड किया। खबरों के मुताबिक, लड़कियों ने जब ऐसा करने से इंकार किया तो आरोपी पुलिसवालों ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी।

लड़कियों ने हॉस्टल की खिड़की से मांगी मदद

इस पूरी घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय सामाजिक संगठन जननायक फाउंडेशन के कार्यकर्ता घटनास्थल पर पहुंचे। लेकिन उन्हें हॉस्टल के अंदर आने से मना कर दिया गया। तब लड़कियों ने हॉस्टल की खिड़की से चीख पुकार कर मदद मांगी। जिसके बाद संगठन के कार्यकर्ता फिरोज पिंजारी, मंगला सोनवणे, प्रतिभा भालेराव, साहेब पठान, वर्षा लोहार और फारूक कादरी ने जलगांव जिले के कलेक्टर अभिजीत राउत को मामले की शिकायत की। कलेक्टर ने मामले की जांच का आश्वासन दिया।

क्या है इस वायरल वीडियो में?

बीबीसी की खबर के मुताबिक जिस वीडियो में लड़कियां कपड़े उतरवाकर डांस कराने की बात कह रही हैं वो वीडियो वायरल हो गया है। वीडियो में एक लड़की सीढ़ियों की खिड़की से सामाजिक कार्यकर्ताओं से बात करती है। वो इन सामाजिक कार्यकर्ताओं से कहती हैं, "मेरा चेहरा नहीं दिखना चाहिए।"

जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता इस वीडियो में कहते हैं, "नहीं दिखाई देगा। आप बोलो, आपके मामले को हम ज़िलाधिकारी के पास रखेंगे।"

हॉस्टल प्रबंधन की आलोचना

इस वीडियो में लड़की हॉस्टल के प्रबंधन की आलोचना करती दिखती हैं। लड़की का चेहरा नहीं दिखाई देता है, लेकिन वो ये कहती हुई नज़र आ रही हैं, "हमें लगभग बिना कपड़ों के डांस करने के लिए मजबूर किया जाता है। हमें ऐसा खाना मिलता है कि उसके बारे में भी नहीं बता सकते हैं। सरकार की ओर से राशन लेकर ये लोग हमें खाना नहीं खिलाते हैं। ये लोग (हॉस्टल के संचालक) लड़कियों से पैसा लेती हैं और अपने ब्वॉयफ्रेंड को बुलाती हैं।"

हॉस्टल प्रबंधन का क्या कहना है?

महिला हॉस्टल अधिकारी रंजना जोपे ने मीडिया को बताया, "संस्थान में किसी तरह का ग़लत काम नहीं हो रहा है। जिस लड़की का वीडियो वायरल हुआ है, उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। वह यहां गर्भवती लड़कियों की पिटाई कर चुकी है।"

रंजना जोपे ने ये भी बताया है कि वीडियो रिकॉर्डिंग की बात सामने आने पर उन लोगों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं को हॉस्टल आने की अनुमति नहीं दी।

पक्ष-विपक्ष ने क्या कहा?

वीडियो के वायरल होने के बाद इस घटना पर काफ़ी गुस्सा देखने को मिल रहा है। बुधवार 3 मार्च को बीजेपी विधायक श्वेता महाले ने इस मामले को महाराष्ट्र विधानसभा में उठाया और दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा के अपने संबोधन में कहा, "इस घटना की ख़बर मिली, फिर वीडियो भी सामने आया है। इस मामले में पुलिस वाले लड़कियों को बिना कपड़ों के डांस करने पर मजबूर कर रहे हैं। हमें इस पूरे मामले को संवेदनशीलता से देखने की ज़रूरत है। इस मामले के दोषियों को जल्द जल्द से गिरफ़्तार किया जाना चाहिए।"

 इस घटना पर बवाल होने के बाद गृहमंत्री अनिल देशमुख ने सदन के अंदर इस घटना के उच्चस्तरीय जांच की बात कही है और इसकी जांच के लिए चार सदस्यों की एक समिति गठित की है। इस समिति को दो दिन के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया है।

राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री यशोमति ठाकुर ने कहा, "जालेगांव की घटना का ज़िक्र विधानसभा में भी हुआ है। यह काफ़ी गंभीर मामला है। मैं ख़ुद भी मामले पर नज़र रख रही हूं। अगर आरोप सही पाए गए तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. हम किसी को नहीं छोड़ेंगे। निष्पक्षता के साथ पूरी कार्रवाई होगी।"

शेल्टर होम्स की खस्ता हालत

गौरतलब है महिलाओं के कल्याण के लिए बनाई गई शेल्टर होम और आश्रय घर की योजनाएं ज्यादातर संदेह के घेरे में ही हैं। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) की रिपोर्ट के बाद बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम का मामला सामने आया था। इसके बाद कई सर्वे हुए जिसमें ये बात सामने आई कि आश्रय स्थलों पर बच्चों और औरतों को सुरक्षा के लिहाज से रखा जाता है, उनकी सुरक्षा पर सरकारी कोष से लाखों रुपया खर्च किया जाता है। लेकिन इन आश्रय गृहों की निगरानी और मॉनिटरिंग नहीं होती। शेल्टर होम की निगरानी का जिम्मा जिला मजिस्ट्रेट, जिला प्रोबेशन और महिला, बाल कल्याण अधिकारी के पास होता है, लेकिन इन सभी स्तरों पर निगरानी का काम ठीक तरह से नहीं होता।

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