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महाराष्ट्र सरकार ने कोबाड गांधी के संस्मरण के मराठी अनुवाद को दिया पुरस्कार वापस लिया

सरकार के मराठी भाषा विभाग ने कोबाड गांधी की “फ्रैक्चर्ड फ्रीडम: ए प्रिजन मेमॉयर” के अनुवाद के लिए अनघा लेले को स्वर्गीय यशवंतराव चव्हाण साहित्य पुरस्कार 2021 देने की छह दिसंबर को घोषणा की थी।
kobad ghandy
Image courtesy : The Week

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने कथित माओवादी विचारक कोबाड गांधी के संस्मरण के मराठी अनुवाद को दिया गया पुरस्कार वापस ले लिया।
     
सरकार के मराठी भाषा विभाग ने कोबाड गांधी की “फ्रैक्चर्ड फ्रीडम: ए प्रिजन मेमॉयर” के अनुवाद के लिए अनघा लेले को स्वर्गीय यशवंतराव चव्हाण साहित्य पुरस्कार 2021 देने की छह दिसंबर को घोषणा की थी। 
     
यह फैसला गांधी के कथित माओवादी संबंध होने के कारण सोशल मीडिया पर पुरस्कार देने के फैसले की आलोचना के मद्देनजर आया है।
     
सोमवार को जारी एक सरकारी संकल्प (आदेश) में कहा गया है कि चयन समिति के निर्णय को “प्रशासनिक कारणों” से उलट दिया गया, और पुरस्कार (जिसमें एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार शामिल था) को वापस ले लिया गया है।
     
आदेश में आगे कहा गया है कि समिति को भी खत्म कर दिया गया है।

प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पिछले साल कथित तौर पर जारी एक बयान में कोबाड गांधी की पार्टी सदस्यता रद्द करने की घोषणा की थी। इसमें उन पर संगठन से खुद को दूर करने, "आध्यात्मिकता के मार्ग का समर्थन करने" और "यह सुझाव देते हुए कि मार्क्सवाद में कोई अच्छी बात नहीं रही" का आरोप लगाया गया था।" 

पार्टी ने बयान में लिखा था कि“गांधी ने नक्सलबाड़ी की राजनीति के सिद्धांतों का पालन करते हुए 50 से अधिक वर्षों तक काम किया है, पहले सीपीआई (एमएल) केंद्रीय समिति के सदस्य के रूप में, बाद में महाराष्ट्र राज्य के रूप में समिति के नेता और बाद में भाकपा (माओवादी) पोलित ब्यूरो के सदस्य के रूप में। 

वो 2009 में जेल गए थे। हालांकि वो हमेशा से कहते आ रहे हैं कि उनका पार्टी से कोई संबंध नहीं है। 

गांधी ने आतंकी हमलों को अंजाम देने की साजिश रचने के आरोप में देशभर की जेलों में एक दशक बिताया। जून 2016 में, दिल्ली की एक अदालत ने गांधी को यूएपीए के सभी आरोपों से बरी कर दिया और अक्टूबर 2019 में उन्हें सूरत जेल से जमानत पर रिहा कर दिया गया।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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