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महाराष्ट्र सियासत: क्या कहता है दलबदल क़ानून, किसके हाथ लगेगी सत्ता?

एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र में जो खेल खेला है, उसके बाद फिलहाल उद्धव ठाकरे के सभी हथियार फेल हो चुके हैं। अब देखना होगा कि सत्ता किसके हाथ लगती है।
Uddhav Thackeray

महाराष्ट्र में चल रही सियासी जंग में फिलहाल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने हथियार डाल दिए हैं और मुख्यमंत्री आवास भी खाली कर दिया है। कहने का मतलब ये है कि उनके पार्टी के ही दिग्गज नेता और मंत्री एकनाथ शिंदे ने उन्हें मात दे दी। इसमें अचरज की बात यह है कि उन्हें कुछ पता ही नहीं था। जिसको लेकर एनसीपी चीफ लगातार गृह मंत्री पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

हालांकि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री आवास खाली करने से पहले एक फेसबुक लाइव कर इतना ज़रूर कह दिया कि वो ख़ुद के लालच के लिए मुख्यमंत्री नहीं बने थे, बल्कि सभी समर्थित दलों की सहमति से इस पद पर बैठे थे। साथ ही उन्होंने हिंदुत्व को लेकर उठ रहे सवालों का भी जवाब दिया और कहा कि जिस हिंदुत्व की परिभाषा बाला साहेब ने सिखाई थी वो अभी भी हमारे अंदर ज़िंदा है।

ये बात दरअसल हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पीछे की राजनीति कुछ भी हो, लेकिन बाग़ी एकनाथ शिंदे इसी हिंदुत्व वाली बात को ढाल बनाकर सरकार गिराने पर तुले हुए हैं। जिसका फायदा उठाकर एकनाथ सिर्फ सरकार ही नहीं गिरा रहे बल्कि शिवसेना के मालिकाना हक पर भी अपना दावा ठोक रहे हैं। चलिए जानते हैं कि क्या एकनाथ शिंदे के दावे में कितना दम हैं।

आपको बता दें कि किसी की सरकार को गिराने के लिए बहुमत खत्म करने की ज़रूरत होती है, लेकिन पार्टी तोड़ने के लिए पार्टी के निर्वाचित विधायकों की संख्या से दो तिहाई विधायकों को तोड़ने की ज़रूर होती है। यानी मौजूदा वक्त में शिवसेना के पास 55 विधायक हैं, जिसका दो तिहाई होता है 37... कहने का अर्थ यह है कि अगर एकनाथ शिंदे 37 या इससे अधिक विधायक जुटा लेते हैं तो आसानी से शिवसेना पर अपना दावा ठोक सकते हैं, जिसके बाद एकनाथ शिंदे चुनाव आयोग के पास जाकर शिवसेना के नाम, निशान, झंडे और रंग को उनके हवाले करने के लिए अपील कर सकते हैं।

इसका एक पहलू ये भी है कि अगर एकनाथ शिंदे ऐसा नहीं पर पाते हैं यानी 37 विधायकों की टोली इकट्ठा नहीं कर पाते तो सरकार तो गिर जाएगी लेकिन शिंदे के साथ गए 36 या उससे कम सभी विधायकों को बर्खास्त कर दिया जाएगा यानी बाग़ियों की सदस्यता खत्म कर दी जाएगी।

भाजपा के साथ सरकार बना सकते हैं एकनाथ?

यदि शिवसेना के बागी विधायकों को एक नए दल के तौर पर मान्यता नहीं मिलती है और अगर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाए तो सत्ता का सपना देख रही भाजपा के लिए ये सबसे बड़ा रोड़ा होगा। अगर विधायकों के बयानों के आधार पर भाजपा  को सरकार बनाने का मौका मिलता है, तो फिर नई सरकार को सदन में बहुमत साबित करना होगा।

नई सरकार बनने के बाद अगर स्पीकर उनके पक्ष में नहीं है तो स्पीकर को बदला जाएगा। इस पर भी विवाद होने की संभावना है। इस परिस्थिति में भी मामला कोर्ट में जाएगा।

भंग हो सकती है विधानसभा?

वहीं अगर महाविकास अघाड़ी सरकार गवर्नर के सामने मांग रखती है कि मौजूदा सदन को भंग कर दिया जाए, तो इस परिस्थिति में गवर्नर इसे मान लें ये ज़रूरी नहीं है। इस वक्त राज्यपाल को अपने विवेक से देखना है कि सरकार ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश कहीं अपना बहुमत खोने के डर से तो नहीं की है? क्या मौजूदा सरकार के पास बहुमत बचा है?

ऐसी स्थिति में राज्यपाल विधानसभा को भंग करने की बजाय दूसरे संभावित विकल्पों पर भी विचार कर सकते हैं। यानी भाजपा भी बागी विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के सामने पेश कर सकती है।

राष्ट्रपति शासन लग सकता है?

महाराष्ट्र में जो सियासी संकट तैयार हुआ है उसमें राष्ट्रपति शासन लगने की भी ठोस संभावना बनती दिख रही है। अगर उद्धव सरकार की तरफ से सदन को भंग करने की मांग की गई और राज्यपाल को ऐसा लगा कि सरकार बहुमत खो चुकी है। अगर कोई दूसरा गुट बहुमत के आसपास नहीं दिखता है तो ऐसी परिस्थिति में राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भी कर सकते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अगर राज्यपाल सदन भंग करते हैं तो इसका असर राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया पर होगा, वहीं अगर राष्ट्रपति शासन लगेगा तो विधायक राष्ट्रपति चुनाव में वोट कर सकेंगे।

डिप्टी स्पीकर के हाथ में बाग़ियों की योग्यता

महाराष्ट्र में दो साल से स्थायी स्पीकर का चुनाव नहीं हो सका है। फिलहाल कार्यवाहक स्पीकर ही विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। डिप्टी स्पीकर एनसीपी  के विधायक हैं। अगर शिंदे गुट के बागी विधायक 37 का मैजिक फिगर क्रॉस नहीं कर पाते हैं। तो ये बागी विधायकों पर दल-बदल कानून लग जाएगा और बात विधायकों की सदस्यता जाने पर आ जाएगी। अब स्पीकर को ही इन बागी विधायकों की योग्यता और अयोग्यता पर फैसला लेना होगा। चूंकि डिप्टी विधायक एनसीपी  के हैं, ऐसे में वो इन बागी विधायकों पर क्या फैसला करते हैं ये देखना भी दिलचस्प हो जाएगा।

फिलहाल महाराष्ट्र का संकट जिस तरह से गहराता जा रहा है, कहना ग़लत नहीं होगा कि सरकार बदलने की पूरी तैयारी कर ली गई है, क्योंकि सूत्रों से ख़बर है कि एकनाथ शिंदे उद्धव के द्वारा दिए गए मुख्यमंत्री पद को भी ठुकरा चुके हैं। ख़ैर... महाराष्ट्र का पूरा मामला गवर्नर, डिप्टी स्पीकर और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिक गया है।

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