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म्यांमार में सैन्य तख़्तापलट के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन लगातार चौथे दिन जारी

एक्टिविस्ट ग्रुप सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए रैली कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से म्यांमार के तेल एवं गैस उद्यमों तथा अन्य सैन्य स्वामित्व वाले व्यवसायों के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है।
म्यांमार

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट और एक साल की आपातकाल की घोषणा के खिलाफ विरोध करते हुए हज़ार लोगों ने मंगलवार 9 फरवरी को लगातार चौथे दिन देश के सबसे बड़े शहर में सड़कों पर प्रदर्शन किया। रिपोर्टों में कहा गया है कि पुलिस ने दर्जनों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने सैन्य खतरों को चुनौती दी और मंडाले में रैली निकाली।

सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों में 2,000 श्रमिक संघों के साथ-साथ एक्टिविस्ट, शिक्षक, सरकारी अधिकारी, डॉक्टर और अन्य लोग शामिल हैं। अपने नवीनतम बयान में एक सक्रिय समूह जस्टिस फॉर म्यांमार ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से "म्यांमार तेल एवं गैस उद्यमों और अन्य सैन्य स्वामित्व वाले व्यवसायों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का भी आह्वान किया है।"

पिछले हफ्ते आंग सान सू की के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक सरकार के सैन्य तख्तापलट के बाद देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन बड़े पैमाने पर और जोर शोर से बढ़े हैं। एक्टिविस्ट ग्रुप सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए रैली कर रहे हैं जो सरकारी कर्मचारियों को सैन्य तानाशाही के खिलाफ आज्ञा का उल्लंघन करने के तौर पर काम के लिए रिपोर्ट न करने के लिए कह रहे हैं।

इस आम हड़ताल को लेकर सैकड़ों शिक्षकों और डॉक्टरों ने सोमवार को यंगून के हेलडन सेंटर में सविनय अवज्ञा के तौर पर अपनी वर्दी में मार्च किया। टैनिनथारी के बड़ी संख्या में वन विभाग के सरकारी कर्मचारी भी इस रैली में शामिल हुए जो अपने हाथों में प्लेकार्ड लिए हुए थे जिस पर लिखा था "से नो टू डिक्टेरशीप", "रिजेक्ट मिलिट्री कूप" और "वी वांट डेमोक्रेसी।"

गार्मेंट और हेल्थ वर्कर भी सैन्य शासन को खत्म करने की मांग कर रहे हैं और वे भी इस सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हो रहे हैं।

रविवार को राजधानी नेयपीडॉ में पुलिस ने वाटर केनन का इस्तेमाल करके एक प्रदर्शन रैली को रोक दिया। यंगून शहर में भगवाधारी भिक्षुओं जिनमें से अधिकांश को लेकर ये विचार है कि उनका सेना के साथ नजदीकी है उन्होंने भी छात्रों के साथ साथ प्रदर्शन किया और वे हाथों में सू की की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) पार्टी का झंडा लिए हुए थे।

एनएलडी ने 80% बहुमत के साथ नवंबर में हुए संसदीय चुनावों में जीत हासिल की थी और 1 फरवरी को संसद के नए सत्र के पहले दिन उपस्थित होना था लेकिन इसी दिन सैन्य तख्तापलट की घटना हुई।

इस हफ्ते मिन आंग ह्लेंग के नेतृत्व वाली सेना ने एक टेलीविजन घोषणा में कहा की कि "राज्य स्थिरता और कानून के शासन को बिगाड़ने या नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।" हालांकि, सेना की धमकी के बावजूद भी विरोध तेज हो गया है।

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