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मणिपुर हिंसा पर मीडिया की ख़ामोशी निंदनीय: एसएफआई

छात्रों का कहना है कि मणिपुर में हो रही हिंसा पर मुख्य धारा की मीडिया की चुप्पी हैरान करने वाली है और हम इसकी निंदा भी करते हैं।
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छात्र संगठन फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ में 6 मई, शनिवार की शाम को मणिपुर में फैली सांप्रदायिक सौहार्द्र एवं हिंसा और तेजी से खराब हुई कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रण में लाने में सरकार की अक्षमता के ख़िलाफ मौन विरोध किया। छात्रों का कहना है कि मणिपुर में हो रही हिंसा पर मुख्य धारा की मीडिया की चुप्पी हैरान करने वाली है और हम इसकी निंदा भी करते हैं।

मणिपुर में हो रही साम्प्रदायिक हिंसा के ख़िलाफ नारों वाले पोस्टरों के चारों ओर मोमबत्तियां रखकर छात्रों द्वारा मौन विरोध शुरू किया गया। बाद में इसके बाद मौन विरोध में मोमबत्तियों के चारों ओर बैठ गए। मणिपुर और अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों के छात्रों के भाषण के साथ मौन मोमबत्ती विरोध जारी रहा।

मणिपुरी छात्र खानलेन ने राज्य में हो रही स्थिति के बारे में विस्तार से बात की और वहां की स्थिति पर प्रकाश डाला। उसके बाद, लुंग्सादिबू ने फर्जी खबरों की बुराई और इस समय में बेहतर सरकारी कार्यों की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बात की।

अनुराग ने तब एकता और विविधता की अवधारणा और इस समय में इसकी आवश्यक स्वीकृति के बारे में अपने विचार रखे। उत्तर पूर्वी राज्यों के पीएचडी शोध छात्रों ने मणिपुर के लोगों के साथ एकजुटता में इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए एसएफआई को धन्यवाद दिया।

उन्होंने इस बारे में बात की कि इस समय में एकता संवाद कितना महत्वपूर्ण है और इस वार्ता को आयोजित करने के लिए एसएफआई, बीबीएयू इकाई को धन्यवाद दिया।

वार्ता की समाप्ति पर छात्रों ने एकजुटता प्रदर्शित करते हुए 2 मिनट का मौन धारण किया और मणिपुर में हो रही इस साम्प्रदायिक हिंसा में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी।

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