भ्रष्टाचार से लड़ने में अधिकतर देश विफल रहे, भारत 85वें स्थान पर : ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने मंगलवार को कहा कि उसके अध्ययन के अनुसार दुनिया के अधिकतर देश भ्रष्टाचार से लड़ने में विफल रहे हैं और 95 फीसदी देशों ने 2017 के बाद से बहुत कम या कोई प्रगति नहीं की है।
इस सूचकांक में भारत सौ में 40 अंकों के साथ 85वें स्थान पर है। साल 2020 और 2021 में भी भारत को इस सूचकांक में 40 अंक ही मिले थे।
🔴 OUT NOW! The Corruption Perceptions Index 2022 shows that most of the world continues to fail to fight corruption: 95% of countries have made little to no progress since 2017. Check it out!
— Transparency International (@anticorruption) January 31, 2023
भ्रष्टाचार रोधी संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के 2022 भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक ने यह भी पाया कि भ्रष्टाचार से प्रभावित सरकारों में लोगों की रक्षा करने की क्षमता का अभाव है, जबकि सार्वजनिक असंतोष के हिंसा में बदलने की अधिक आशंका है। यह सूचकांक विशेषज्ञों और व्यवसायियों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार की धारणा का आकलन करता है। वर्ष 2022 के सूचकांक के मुताबिक डेनमार्क में सबसे कम भ्रष्टाचार देखा गया जबकि सोमालिया भ्रष्टाचार के मामले में अंतिम स्थान पर रहा।
‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ की अध्यक्ष डेलिया फरेरा रुबियो ने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार ने हमारी दुनिया को एक और खतरनाक जगह बना दिया है। जैसा कि सरकारें सामूहिक रूप से इसके खिलाफ प्रगति करने में विफल रही हैं, वे हिंसा और संघर्ष में मौजूदा वृद्धि को बढ़ावा देती हैं और हर जगह लोगों को खतरे में डालती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘देशों के लिए एकमात्र रास्ता कड़ी मेहनत करना है, सभी स्तर पर भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकारें केवल कुछ कुलीन वर्ग के लिए नहीं बल्कि सभी लोगों के लिए काम करती हैं।’’
रिपोर्ट देशों को ‘‘अत्यधिक भ्रष्ट’’ से ‘‘भ्रष्टाचार मुक्त’’ के बीच शून्य से 100 के पैमाने पर रैंकिंग करती है। डेनमार्क को इस वर्ष 90 अंकों के साथ सबसे कम भ्रष्ट के रूप में देखा गया और इसके बाद फिनलैंड तथा न्यूज़ीलैंड दोनों को समान 87 अंक मिले हैं। ब्रिटेन ने पांच अंक के नुकसान के साथ अब तक का सबसे कम स्कोर 73 हासिल किया।
पूर्वी यूरोप में भ्रष्टाचार अभी भी बड़े पैमाने पर देखा जा रहा है क्योंकि कई देश ऐतिहासिक निम्न स्तर पर पहुंच गए हैं। रूस को विशेष रूप से शांति और स्थिरता पर भ्रष्टाचार के प्रभाव के एक स्पष्ट उदाहरण के रूप में रेखांकित किया गया। रूस ने 28 अंक हासिल किए।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शक्ति पर किसी भी तरह नियंत्रण की अनुपस्थिति ने उन्हें अपनी भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के दंड से मुक्त करने की अनुमति दी।’’
रिपोर्ट के मुताबिक रूस के हमले के पहले यूक्रेन ने कम अंक हासिल किए थे लेकिन वहां महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। यूक्रेन को भ्रष्टाचार सूचकांक में 33 अंक मिले।
सूचकांक में 180 देशों और क्षेत्रों की रैंकिंग की गई। सोमालिया 12 अंकों के साथ सबसे नीचे रहा जबकि दक्षिण सूडान 13 अंक के साथ अंतिम स्थान से एक पहले सीरिया के साथ बराबरी पर रहा।
वर्ष 1995 से संकलित, सूचकांक की गणना 13 विभिन्न डेटा स्रोतों का इस्तेमाल करके की जाती है। स्रोतों में विश्व बैंक, विश्व आर्थिक मंच और निजी जोखिम और परामर्श कंपनियां शामिल हैं।
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