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आंदोलन: 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में महापंचायत के लिए किसान-मज़दूर तैयार

शंभू और खनौरी बॉर्डर पर 13 फ़रवरी से जारी किसान मोर्चा सोमवार को 28वें दिन में प्रवेश कर गया है।
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पंजाब के आंदोलनरत किसानों व मज़दूरों के हौसले लगातार बुलंद हो रहे हैं। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर 13 फ़रवरी से जारी किसान मोर्चा सोमवार, 11 मार्च को 28वें दिन में प्रवेश कर गया है। दोनों सीमा बिंदुओं पर किसानों की तादाद बढ़ रही है। महिलाएं भी बड़ी संख्या में शिरकत कर रही हैं। आठ मार्च को मोर्चों  की कमान महिलाओं के हाथों में रही। शंभू बॉर्डर के 'किसान गांव' में बाकायदा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। अप्रैल में गेहूं की फ़सल की कटाई होनी है। मोर्चा तब तक क़ायम रहता है तो ज़्यादातर पुरुष किसान फ़सल कटाई के लिए एकबारगी गांवों को लौट जाएंगे और महिलाएं मोर्चा संभालेंगीं। इस बाबत फ़ैसला हो चुका है। 

आंदोलन को धार देते हुए पंजाब में किसानों ने रविवार को 52 जगहों पर 4 घंटे तक रेल ट्रैक जाम रखे। इसके चलते रेलवे विभाग ने 9 ट्रेनें रद्द कर दीं। कुल मिलाकर 100 से ज़्यादा रेलगाड़ियां प्रभावित हुईं। बेशक लोगों को कुछ परेशानी हुई लेकिन किसानों का एक दिवसीय रेल रोको आंदोलन पूरी तरह कामयाब रहा। तय वक्त पर किसान रेल पटरियों पर बैठ गए थे। 'चक्का जाम' शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।

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अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर, पठानकोट, होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला, फिरोजपुर, फरीदकोट, बठिंडा, लुधियाना, पटियाला, फाजिल्का, अबोहर सहित कई जगहों पर रेलवे स्टेशनों और ट्रैक पर धरने दिए गए। किसान केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे थे। तमाम जगह आसपास के गांवों से किसानों के लिए लंगर की व्यवस्था की गई। 

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एक दिवसीय 'रेल रोको' आंदोलन में गुटों में विभाजित किसान संगठनों में एकता दिखाई दी। दो सौ से ज़्यादा विभिन्न किसान संगठन इसमें शामिल हुए। अब अगली तैयारी 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर होने वाली किसान-मज़दूर महापंचायत की है। किसान नेताओं का कहना है कि इस किसान मज़दूर महापंचायत में सूबे के हज़ारों पुरुष और महिला किसान तथा मज़दूर शिरकत करेंगे। 

वरिष्ठ किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां कहते हैं, "14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान एकता का प्रदर्शन भी होगा। किसान मज़दूर महापंचायत में सभी किसान और मज़दूर संगठन एकजुटता दिखाते हुए एक मंच पर आएंगे। अड़ियल मोदी सरकार जब तक किसानों की सारी मांगें मान नहीं लेती; संघर्ष चलता रहेगा। जुल्म-जबरदस्ती से किसानों को दबाने की कोशिशें हो रही हैं लेकिन किसान बेख़ौफ़ हैं और केंद्र सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार भी। पूरे देश के किसान एकजुट होकर सरकार का मुकाबला करेंगे। 14 मार्च की किसान मज़दूर महापंचायत के बाद अगली रणनीति का ऐलान किया जाएगा।"

केएमएम के संयोजक सरवण सिंह पंधेर के मुताबिक, "किसानों की प्रमुख मांगों में फसलों पर एमएसपी की क़ानूनी गारंटी, भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर निकालना, शुभकरण की हत्या के आरोप में केंद्र व हरियाणा के गृहमंत्री सहित मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ क़त्ल का मामला दर्ज़ करना, दिल्ली आंदोलन में स्वीकृत मांगों को पूरा करना, किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों व मज़दूरों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी देना, किसान-मज़दूर वर्ग को कर्ज़ से मुक्ति दिलाना, बिजली अध्यादेश-2020 रद्द करना, डॉ. स्वामीनाथन रिपोर्ट को सी टू+50 के अनुसार लागू करवाना मुख्य तौर पर शुमार हैं।" 

संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक के अध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनुसार, "सरकारी नीतियां किसानों को बार-बार आंदोलन के लिए मजबूर कर रही हैं। केंद्र की ओर से किसानों को उनकी फसलों के लिए मुनासिब दाम नहीं दिए जाते हैं; जिससे खेती लागत नहीं निकल पाने की वज़ह से किसान क़र्ज़ के बोझ तले दब रहे हैं और खुदकुशी को मजबूर हो रहे हैं। रिपोर्टें  बताती हैं कि साल 2022 में देश भर में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों का पूरा भाव नहीं मिला। इसके चलते उन्हें 14 लाख करोड़ रुपए का घाटा हुआ। केंद्र की भाजपा सरकार कृषक और श्रमिक के हितैषी नहीं है। बड़े कॉर्पोरेट घरानों के हितों की पूर्ति तथा उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुनाफा दिलाने के लिए किसान हकों की कुर्बानी दी जा रही है।"   

उधर, हासिल जानकारी के मुताबिक 14 मार्च को दिल्ली की प्रस्तावित किसान-मज़दूर महापंचायत के मद्देनज़र हरियाणा पुलिस और अर्धसैनिक सुरक्षा बलों ने पंजाब के साथ सटी सीमा पर मोर्चेबंदी और ज़्यादा मज़बूत कर दी है। 23 फ़रवरी को पंजाब हरियाणा सीमा पर आंदोलनरत किसानों का दिल्ली कूच रोकने के लिए लाठीचार्ज और फायरिंग की थी व आंसू-गैस के गोलों का अंधाधुंध इस्तेमाल किया था। इस बर्बर कार्रवाई में बठिंडा के युवा किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी और सौ से ज़्यादा किसान गंभीर रूप से ज़ख्मी हुए थे। इनमें से ज़्यादातर अभी भी जेरे इलाज हैं। कई किसानों को सांस लेने में तकलीफ़ हो रही है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने शुभकरण प्रकरण में न्यायिक जांच के आदेश दिए हुए हैं। पंजाब पुलिस ने राज्य सरकार के आदेश के बाद हरियाणा के अज्ञात पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के ख़िलाफ़ धारा-302 के तहत एफ़आईआर दर्ज़ की हुई है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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