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योगी सरकार के दावे की पड़ताल: क्या सच में यूपी में नहीं हुआ है एक भी दंगा?

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का हमेशा दावा रहा है कि उनके कार्यकाल के दौरान एक भी दंगा नहीं हुआ है। जब हमने इस मामले की पड़ताल की तो कुछ और ही तस्वीर सामने आई। 
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योगी सरकार ने हमेशा दावा किया है कि इस सरकार में प्रदेश में कोई भी दंगा नही हुआ और भाजपा सरकार ने गुंडाराज को ख़त्म किया है, जब हमने योगी आदित्यनाथ की सरकार में बल्वे/दंगों व मॉब लिंचिंग से जुड़े मामलों का पता लगाने की कोशिश की तो जो आँकड़े मिले वे चौंकाने वाले थे। आइये जानते हैं-

यूपी की बीजेपी सरकार के विधायक-मंत्री और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अलग-अलग सभाओं से अपने भाषणों में कहते रहे हैं कि "हमारी सरकार में यूपी में कोई दंगा नहीं हुआ है हमारी सरकार ने दंगाइयों पर नकेल कसने का काम कर प्रदेश से गुंडाराज ख़त्म किया है", 15 जनवरी को केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी बीजेपी हेडक्वार्टर से प्रेस कांफ्रेंस कर यूपी चुनाव के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी कर कहा था कि "योगी जी की सरकार ने पिछले 5 सालों में गुंडाराज और दंगाइयों पर नकेल कसने का काम किया है।"

न्यूज़क्लिक के लिए लेखक ने इन दावों की हक़ीक़त जानने के लिए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2017 से 2020 तक आंकड़े खंगाले और बीजेपी नेता व विपक्षी दलों के नेताओं से एनसीआरबी के आँकड़ों के सम्बंध में बातचीत की। 

यूपी में किसी भी तरह का दंगा न होने का दावा ग़लत है:-

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) से आंकड़े जुटाये गए तो पाया कि यूपी की योगी सरकार में 2017 से 2020 के बीच 29738 दंगे/बल्वे के केस दर्ज हुए हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आँकड़े कुल रायट्स (बल्वा/दंगा) और उसमें कम्यूनल रायट्स (सांप्रदायिक दंगे) का ज़िक्र करते हैं। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने मार्च 2017 में प्रदेश की कमान संभाली थी, एनसीआरबी के आँकड़ों में अगर बल्वे या दंगे की संख्या देखें तो उत्तर प्रदेश में ऐसी वारदातें 2018 के बाद से कम तो हुई हैं, लेकिन अभी भी यूपी में इनसे जुड़े मामले महाराष्ट्र और बिहार के बाद सबसे ज़्यादा दर्ज किए जाते हैं।

एनसीआरबी के डाटा के मुताबिक यूपी में साल 2017 में 8990 बल्वे/दंगों से जुड़े मामले दर्ज हुए, साल 2018 में 8908 और 2019 में 5714 मामले दर्ज किए गए, साल 2020 में 6126 मामले दर्ज हुए हैं। साल 2021 की रिपोर्ट एनसीआरबी ने अभी जारी नही की है, एनसीआरबी के डाटा के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में 2017 से 2020 के बीच यानी योगी सरकार के कार्यकाल में 29738 बल्वे/दंगो के मामले दर्ज हुए हैं। 

एनसीआरबी के आँकड़े 2019 तक का ही ब्योरा देते हैं मगर उत्तर प्रदेश सरकार ने बीबीसी को भेजे आँकड़ों में वर्ष 2020 का ब्योरा देते हुए कहा है कि प्रदेश में 2020 में भी एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ हालाँकि बल्वे/दंगे से जुड़े 5376 मामले दर्ज हुए हैं और अभी तक 2021 का डाटा ही सामने आया है।

योगी सरकार के कार्यकाल में मॉब लिंचिंग में 18 लोगों की मौत

अल्पसंख्यकों, शोषितों का दस्तावेजीकरण करने वाले ऑनलाइन पोर्टल डॉक्यूमेंटेशन ऑफ द ओप्रेस्ड (DOTO)  http://dotodatabase.com/search के डाटा के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश योगी सरकार के 5 साल के कार्यकाल में 18 मुस्लिमों की पहचान के आधार पर बाइक चोरी, गौकशी, व गोमांश के शक में मॉब लिंचिंग में पीट-पीट कर हत्या की गई है।

समाजवादी पार्टी की सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंज़ूर ने न्यूज़क्लिक के लिए बात करने पर कहा कि "उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार दोनों में एक दूसरे का विरोध है, इस बारे में योगी सरकार को केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए कि अपराध पर डाटा इकट्ठा करने वाली सरकारी एजेंसी NCRB उनके ख़िलाफ़ डाटा क्यो शेयर कर रही है, इस सरकार ने लोगों को इतना परेशान किया इतना सताया कि जिसने भी इनके ख़िलाफ़ बोलने की कोशिश की उन पर गोलियां चलाईं गईं, एनकाउंटर कर दिये गये। नतीज़ा आपके सामने है, मॉब लिंचिंग में जो लोग मारे गये उनके परिजनों ने कुछ कहने कि कोशिश की तो सरकार ने उन्हें भी कुचलने की कोशिश की, मानवाधिकार का इस सरकार में जमकर उल्लंघन हुआ है, किसी व्यक्ति को कस्टडी में लेकर चलते हैं तों उसकी गाड़ी का एक्सीडेंट दिखा दिया जाता है।”

शाहिद मंज़ूर ने आगे कहा- “मोदी-योगी सरकार अपने पोस्टरों में मुस्लिमों को ही दंगाई नही दिखा रही बल्कि इस सरकार ने किसानों को भी आतंकवादी, खालिस्तानी कहां है। प्रदेश की जनता सरकार बदलेगी और दिखायेगी कि हम इस मुल्क़ के ज़िम्मेदार नागरिक हैं और सरकार अमन की दुश्मन है, यूपी में ग़ाज़ीपुर से सहारनपुर तक हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी जब विजय रथ पर निकले तो यूपी की जनता की ने साबित कर दिया कि यह रथ वाकई विजय रथ है, हमारी रैलियों में इतनी लाल टोपियां थीं कि ख़ुद प्रधानमंत्री को कहना पड़ा कि इन लाल टोपियों से चौकस रहो, हमारी सरकार बनेगी और जनता अधिकार मिलेंगे" 

इन दंगों से जुड़े मामलों में हमने सरधना से बीजेपी विधायक व मुज़फ्फरनगर दंगे के आरोपी ठाकुर संगीत सोम से बात की तो संगीत सोम ने कहा कि "हमारी सरकार में कोई दंगा नही हुआ राज्य सरकार सही कह रही है, जिसने भी हमारी सरकार में दंगा करने की कोशिश की उन पर सख़्त कार्रवाई हुई है", जब हमने संगीत सोम को NCRB का यूपी दंगो और बल्वे के डाटा के बारे में बताया तो सोम ने NCRB के डाटा को फ़र्ज़ी डाटा बता डाला और बोले कि "हिन्दू और मुस्लिमों के बीच होने वाली हिंसा को दंगा बोला जाता है, आपस में हिंदुओं के 2 पक्षों में हुए झगड़े को दंगा नही कहा जा सकता लेकिन आप उसे भी दंगा समझते हैं, NCRB का डाटा ग़लत है उसे ठीक ठाक करा लीजिए आप, क्योंकि हमारी 5 साल की सरकार में एक भी दंगा नही हुआ।"

उत्तर प्रदेश को लेकर NCRB के डाटा को ग़लत ठहराने वाली सरकार के मामले में हमने ह्यूमन राइट्स संस्था (एनसीएचआरओ) के दिल्ली अध्यक्ष व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव से बात कि तो उन्होंने कहा कि "यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार के 4 साल में 29738 के दंगे होना और फ़िर इन दंगों का डाटा NCRB के द्वारा जारी होना बताता है कि उत्तर प्रदेश में क़ानूनी व्यस्था ध्वस्त रही, जिसकी वजह से प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में बल्वे/दंगो के केस दर्ज हुए, राज्य और केंद्र में बीजेपी की सरकार है वो इस डाटा को छुपाने के काम कर सकती है और सरकारों ने डाटा छुपाया भी, वरना यूपी में 30 हज़ार से भी अधिक दंगे हुए होंगे, जिसमें ना जाने कितने मामले तो दर्ज भी नही पाये होंगे, मॉब लिंचिंग में भी लोगों को मारा गया, दंगे भी कराये उसके बाद भी सरकार का यह कहना कि दंगे नही हुए यह नाकामी को छुपाना है, सरकार का यह दावा समुंदर किनारे रेत का घर बनाने जैसा है क्योंकि केंद्र सरकार की एजेंसी NCRB ने ही योगी सरकार का दंगे के मामलों में चेहरा बेनक़ाब कर दिया है।"

(लेखक युवा स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

इसे भी देखें: चुनाव चक्र: यूपी की योगी सरकार का फ़ैक्ट चेक, क्या हैं दावे, क्या है सच्चाई

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