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'सरकार विरोधी नाटक तो नहीं है?' एनएसडी ने उत्पल दत्त के लिखे नाटक के मंचन को रद्द किया

'तितुमीर' ब्रिटिश राज के दौरान बंगाल में किसान विद्रोह की बात करता है, जिसका नायक एक मुस्लिम युवक है। उत्पल दत्त ने यह नाटक 1978 में लिखा था। इसका मंचन 22 फ़रवरी को कमानी ऑडिटोरियम में होने वाला था।
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दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) ने फ़रवरी में होने वाले भारत रंग महोत्सव से महान नाटककार उत्पल दत्त के लिखे नाटक 'तितुमीर' के मंचन को रद्द कर दिया है। यह नाटक कोलकाता के थिएटर ग्रुप परिबर्तक द्वारा 22 फ़रवरी को कमानी ऑडिटोरियम में खेला जाना था।

तितुमीर ब्रिटिश राज के दौरान बंगाल में किसान विद्रोह की बात करता है, जिसका नायक एक मुस्लिम युवक है। उत्पल दत्त ने यह नाटक 1978 में लिखा था।

आपको बता दें कि भारत रंग महोत्सव में नाटक का चुनाव दो तरीक़ों से होता है। पहला, कि नाटक करने वाले ग्रुप इसके लिए आवेदन करें, दूसरा एनएसडी उन्हें ख़ुद न्योता दे। जॉयराज ने बताया कि उनका चुनाव दूसरी कैटेगरी में हुआ था, स्कूल ने उन्हें ख़ुद नाटक मंचन करने का न्योता दिया था। 

"नाटक सरकार विरोधी तो नहीं है?"

पूरी बात सिलसिलेवार तरीक़े से बताते हुए उन्होंने कहा, "पहले मेरे पास एनएसडी से फ़ोन आया कि आप अपने नाटक का स्क्रिप्ट भेजिये, मैंने स्क्रिप्ट भेज दी, उन्होंने फिर कहा कि इसका अंग्रेज़ी अनुवाद(मूल नाटक बंगाली में है) भेजिये, मैंने कहा यह उत्पल दत्त का लिखा नाटक है, इसका अनुवाद करने की क़ुव्वत मुझमें नहीं है। इसके बाद उन्होंने पूछा कि 'यह नाटक सरकार विरोधी तो नहीं है?' मैंने कहा सरकार विरोधी है मगर ब्रिटिश सरकार विरोधी है, क्योंकि नाटक उस दौर का है।"

जॉयराज ने बताया कि इसके बाद उनसे नाटक का वीडियो मांगा गया, जिसपर उन्होंने सवाल किया कि इसकी ज़रूरत क्यों है चूंकि उनका नाटक ख़ुद स्कूल द्वारा आमंत्रित है। इसपर एनएसडी ने उनसे कहा कि यही नियम है। जॉयराज ने उनसे कहा कि 17 जनवरी को होने वाले शो के बाद वह वीडियो रिकॉर्डिंग भेज देंगे। 18 जनवरी को एनएसडी की तरफ़ से जॉयराज को ई-मेल आया कि आपने रिकॉर्डिंग नहीं भेजा इसलिए हम आपके नाटक को हटा रहे हैं। जॉयराज बताते हैं कि उन्होंने और सभी कलाकारों ने दिल्ली आने के लिए टिकट भी बुक करवा लिए था। 

"सरकार डरी हुई है"

इस प्रकरण पर बात करते हुए जॉयराज भट्टाचार्जी ने कहा, "इससे साफ़ होता है कि सरकार डरी हुई है। महोत्सव का थीम आज़ादी के अनजाने नायकों का जश्न मनाने का है। तितुमीर का थीम भी यही लेकिन उसे इसलिए ख़ारिज कर दिया है क्योंकि उसका नायक एक मुसलमान है।"

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनएसडी डायरेक्टर आरसी गौड़ ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा है कि नाटक का मंचन सिर्फ़ 'प्रक्रियात्मक वजहों' से रोका गया है।

50 साल पहले शुरू हुए दिल्ली स्थित जन नाट्य मंच की अध्यक्ष मलयश्री हाश्मी ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि अगर एनएसडी के लोग तितुमीर नाटक के बारे में नहीं जानते तो यह उनकी बेवकूफ़ी है। उन्होंने कहा, "मैं इसपर टिप्पणी नहीं करना चाहती कि उन्होंने(एनएसडी) के मंचन को मना क्यों किया मगर एनएसडी ने हमेशा से ख़ुद को सुरक्षित रखा है। उत्पल दत्त का नाटक तितुमीर और ख़ुद तितुमीर एक ऐसा पात्र है जिसके बारे में आज की पीढ़ी को जानना चाहिए। अगर एनएसडी का थीम आज़ादी के अनजाने नायकों की बात करता है, तो तितुमीर इसमें एकदम सटीक बैठता है।"

उन्होंने आगे कहा, "क्या एनएसडी नहीं जानता कि तितुमीर नाटक में क्या है? यह सवाल पूछना ही बेवकूफ़ी है। नाटक सरकार विरोधी बिल्कुल मगर वो ब्रिटिश सरकार का विरोधी है, जो कि अच्छी बात है। मुझे लगता है कि अगर 1 दिन लेट हो गया वीडियो भेजने में तो समय दिया जा सकता था, नाटक को ख़ारिज नहीं करना चाहिए था क्योंकि यह ज़रूरी नाटक है।"

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