लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक पेश
नयी दिल्ली: लोकसभा में मंगलवार को विवादास्पद ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023’ पेश किया गया। यह विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लाये गये अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाया गया है।
निचले सदन में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गृह मंत्री अमित शाह की ओर से विधेयक पेश किया। विधेयक पेश किये जाने का कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर एवं गौरव गोगोई, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी आदि ने विरोध किया।
Bill to replace Delhi Services Ordinance tabled by Minister of State for Home Affairs Nityanand Rai; discussion begins in Lok Sabha
— Press Trust of India (@PTI_News) August 1, 2023
विधेयक पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को संपूर्ण अधिकार दिया है कि वह दिल्ली राज्य के लिए कोई भी कानून ला सकता है।
उन्होंने कहा कि विधेयक के खिलाफ की जा रही टिप्पणियां राजनीतिक हैं और इनका कोई आधार नहीं है।
दिल्ली सरकार के अधिकारों और सेवा से जुड़ा विधेयक- 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023' मंगलवार को लोकसभा में पेश हो गया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (#NityanandRai) ने लोकसभा में यह विधेयक पेश किया।#MonsoonSession #ParliamentMonsoonSession pic.twitter.com/Sof0Bvy0l6
— IANS Hindi (@IANSKhabar) August 1, 2023
इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक पेश किये जाने की मंजूरी दे दी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक’ को स्वीकृति दी थी। यह 19 मई को केंद्र द्वारा लाये गये अध्यादेश की जगह लेने के लिए पेश लाया गया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने अध्यादेश का कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी इस अध्यादेश के विरुद्ध हैं।
केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लाई थी। इससे एक सप्ताह पहले उच्चतम न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को सेवा से जुड़े मामलों का नियंत्रण प्रदान कर दिया था हालांकि उसे पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से जुड़े विषय नहीं दिये गए।
शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे।
इस अध्यादेश में कहा गया है कि ‘‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्रधिकरण’’ नाम का एक प्राधिकार होगा, जो उसे प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग करेगा और उसे सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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