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लापरवाही या घोटाला: बिना वैक्सीन लगवाए मिला वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट!

दिल्ली में एक व्यक्ति जो कोविड का टीका लगवाने गया ही नहीं उसके पास टीकाकरण का सर्टिफिकेट भी आ गया। तो क्या अब मरीज़ों और मृतकों के आंकड़े घटाकर और वैक्सीनेशन के आंकड़े बढ़ाकर सरकारें अपनी कामयाबी के दावें करेंगी!
लापरवाही या घोटाला: बिना वैक्सीन लगवाए मिला वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट!

नयी दिल्ली: इसे हम लापरवाही कहें या एक बड़ा घोटाला। एक व्यक्ति जो वैक्सीन लगवाने गया ही नहीं उसके पास वैक्सीनेट होने का सर्टिफिकेट भी आ गया।

जी हां, ऐसा ही हुआ है दिल्ली निवासी 51 वर्षीय मसूद अख़्तर के साथ। उनके मुताबिक उन्होंने टीका लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन किया था, लेकिन वह तय तारीख़ को टीका लगवाने जा नहीं पाए लेकिन उनके आश्चर्य की तब कोई सीमा न रही जब उनके पास टीकाकरण का प्रमाणपत्र भी पहुंच गया और दूसरी डोज लगवाने की तारीख़ भी।

मसूद अख़्तर बताते हैं: - 21 अप्रैल को रजिस्ट्रेशन किया था और 24 अप्रैल को वैक्सीन की तारीख ली थी। लेकिन 24 को वैक्सीन के लिए नहीं जा पाया। एक तो ऑफिस का काम वर्क फ्रॉम होम था और दूसरे अस्पताल की एक्चुअल लोकेशन नहीं पता चल पाई थी। लॉकडाउन की वजह से पूछ पूछकर पहुंचने की उम्मीद नहीं थी। सोचा कि रीशेड्यूल किसी ऐसे अस्पताल का ले लेंगे जिसका लोकेशन पता हो या गूगल मैप में मिल जाये। लेकिन वर्क फ्रॉम होम में फंसा तो रीशेड्यूल नहीं कर पाया। और ढाई बजे एक SMS आया की वैक्सीनेटेड हो गए हैं। हमको लगा कि रूटीन के तहत हर रजिस्ट्रेशन वाले को भेजते होंगे। लिंक खोलेंगे तो वहां नहीं होगा। लेकिन 25 अप्रैल को फिर SMS  आया कि आप लिंक से अपना सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं। तो लिंक खोला तो डाउनलोड किया तो यह सर्टिफिकेट मिला और पोर्टल पर भी मुझे वैक्सीनेटेड शो कर रहा है।

मसूद के मुताबिक वैसे उन्होंने रजिस्ट्रेशन 20 को ही किया था और 21 अप्रैल की तारीख ली थी लेकिन गलती से ऑफिस यानी ओल्ड राजिंदर नगर का ले लिया था। इसलिए उसे रीशेड्यूल किया था। और अब बिना टीका लगवाए ही वह ‘टीकाधारी’ हो गए हैं। अब उन्होंने पोर्टल पर फीडबैक भेजा है कि उन्हें वैक्सीन नहीं लगी है। अब देखिए उनकी शिकायत पर क्या कार्रवाई होती है।

क्या यह सरकार या कर्मचारियों की एक चूक या लापरवाही का मामला है या यह कोई घोटाला है। क्योंकि कोरोना संकट में आंकड़ों की हेरफेर इस कदर की जा रही है, कि कुछ भी कहना मुश्किल है। हर प्रदेश में कोरोना मरीज़ों के आंकड़े घटाकर ही दिखाए जा रहे हैं। मरने वालों के आंकड़े तो काफ़ी कम करके दिखाने की कई जगह से ख़बरें मिल रही हैं।

अभी भोपाल में बुधवार, 21 अप्रैल को 137 शवों को अंतिम संस्कार कोविड-19 के प्रोटोकॉल के मुताबिक किया गया, जबकि उस दिन भोपाल जिले में सरकारी आंकड़ों के अनुसार मात्र पांच लोगों की ही मौत इस महामारी से बताई गई।

इसी तरह यूपी और अन्य राज्यों से भी ऐसी ही ख़बरें मिलीं।

और देश की राजधानी दिल्ली का हाल आपने देखा ही है। तो क्या अब मरीज़ों और मृतकों के आंकड़े घटाकर और वैक्सीनेशन के आंकड़े बढ़ाकर सरकारें अपनी कामयाबी के दावें करेंगी!

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