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तमिलनाडु: सीमित संसाधनों के बीच नई सरकार को खोजने होंगे 'रिसाव बिंदु' और राजस्व निर्माण के नए तरीके

ख़ासकर जब शराब बिक्री पर लगने वाले आबकारी कर से मिलने वाले राजस्व में कमी आई है, तब भ्रष्टाचार के मुद्दे को भी उठाया गया है।
M. K. Stalin

हाल में सत्ता हासिल करने वाली तमिलनाडु की डीएमके सरकार के सामने राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने का बहुत कठिन काम है। राज्य के वित्तमंत्री ने तरलता पर चिंता जताते हुए ऐलान किया कि सरकार, तमिलनाडु की वित्तीय स्थिति पर एक श्वेत पत्र जारी करेगी। 

AIADMK सरकार द्वारा पेश किए गए अंतरिम बजट के मुताबिक़, 31 मार्च, 2021 तक राज्य का कर्ज़ 4,85,502 रुपये था। इसके बढ़कर 5,70,189 करोड़ होने की संभावना है। 

GST (माल एवम् सेवा कर) कानून में बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने मुआवज़े के जो वित्तीय वायदे किए थे, उनके पूरे नहीं होने पर AIADMK सरकार चुप रही। इससे लगातार तमिलनाडु के ऊपर वित्तीय भार बढ़ता गया।

खासकर जब शराब बिक्री पर लगने वाले आबकारी कर से मिलने वाले राजस्व में कमी आई है, तब भ्रष्टाचार के मुद्दे को भी उठाया गया है। अब सरकार खनिज और खदानों से राजस्व बढ़ाने के तरीके खोज रही है।

'राजस्व में रिसाव की पहचान करेंगे'

हाल में वित्तमंत्री नियुक्त किए गए, पूर्व बैंकर पीटीआर पलानिवेल थिगाराजन ने कहा कि उनकी सरकार उन रिसावों की पहचान करेगी, जिसकी वज़ह से राजस्व में कमी आ रही है। द हिंदू के साथ इंटरव्यू में उन्होंने नई सरकार की चुनौतियों पर खुलकर चर्चा की। 

उन्होंने कहा, "मैं पता लगाऊंगा कि राजस्व कहां लीक हो रहा है और उसे ठीक करूंगा। एक बार जब हम पता कर लेंगे कि व्यावसायिक कर, उत्पाद शुल्क, खनन, पंजीकरण, स्टॉम्प और दूसरी मदों से होने वाली औसत आय, राज्य के कुल GSDP का कितने फ़ीसदी हिस्सा है, तब संबंधित विभागों को लक्ष्य दिए जाएंगे। इन्हें अलग-अलग मंत्रालयों को राजस्व लक्ष्य के तौर पर दिया जाएगा। तमिलनाडु में आखिरी बार ऐसा कब किया गया था?"

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि 2014 के बाद से राजस्व घाटा बढ़ा है, जबकि 2014 के पहले सरकार का यह घाटा, GSDP के 10 से 11 फ़ीसदी के बराबर होता था। 

उन्होंने अख़बार से कहा, "हमें TASMAC(शराब बिक्री), खनन, व्यावसायिक कर, पेशेवर कर और पंजीकरण व स्टॉम्प शुल्क से कितना हासिल हुआ? आपके पास अलग-अलग मदों के लिए सूचियां होनी चाहिए। तब हम जान पाएंगे कि कहां से क्या आया और समझ पाएंगे कि कहां गलतियां हो गईं। मेरा प्राथमिक अध्ययन बताता है कि एक बड़ी आय उत्पाद शुल्क से आती थी, जो अब जा चुकी है।"

वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि चुनाव अभियान के दौरान की गई घोषणाओं को जारी रखा जाएगा और खदानों-खनिजों समेत दूसरे स्त्रोतों से राजस्व बढ़ाने पर भी ज़्यादा ध्यान दिया जाएगा।

'राज्य की करारोपण की स्वतंत्रता छीनी गई'

GST के आने के बाद से राज्यों के पास करारोपण से राजस्व बढ़ाने के विकल्प सीमित हो गए हैं।

जाने-माने अर्थशास्त्री प्रोफ़ेसर वेंकटेश बी अथ्रेया ने न्यूज़क्लिक को बताया, "राज्यों के पास सिर्फ़ चार चीजों पर कर लगाने का विकल्प है: पेट्रोल, डीज़ल, तंबाकू और शराब। पहले राज्यों के पास वस्तु कर लगाने का भी विकल्प होता था, जो अब नहीं है।"

केंद्र द्वारा जो अलग-अलग रियायतें दी गई हैं, उनसे भी राज्य सरकारों की आर्थिक हालत खराब हो रही है। अथ्रेया ने कहा, "केंद्र सरकार ने हाल में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती कर दी, जिसके चलते राज्यों को ज़्यादा नुकसान हुआ।"

इसके अलावा केंद्र सेस और सरचार्ज लगा रहा है, जिन्हें राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता। अथ्रेया कहते हैं, "सरकार ने डीज़ल और पेट्रोल पर बुनियादी उत्पाद शुल्क कम किया है, लेकिन सेस बढ़ा दिया है। इस तरह के कदमों से राज्य तनाव में हैं।" 

महामारी ने बढ़ाया ख़र्च

केंद्र सरकार लगातार राज्यों पर राजकोषीय घाटे को तय सीमा में रखने का दबाव बना रही है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते राज्यों का खर्च बढ़ गया है।

प्रोफ़ेसर अथ्रेया कहते हैं, "राज्यों को हॉस्पिटल और दूसरे व्यय पर महामारी के चलते ज़्यादा खर्च करना पड़ रहा है।"

केंद्र सरकार द्वारा अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने के बाद, राज्यों पर वैक्सीन खरीदने का अतिरिक्त भार आ गया है। जबकि दूसरी तरफ बीजेपी सरकार ने अपने नागरिकों के टीकाकरण के बजाए, वैक्सीन को विदेश भेजने का पूरा श्रेय लिया था।

डीएमके सरकार ने 18 से 44 साल उम्र के नागरिकों के लिए 3.5 करोड़ वैक्सीन खुराकों को खरीदने का नया वैश्विक टेंडर जारी किया है। 

केंद्र सरकार ने 8,873.6 करोड़ रुपये जारी किए हैं, यह राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) में केंद्र का हिस्सा है, इस कोष का 50 फ़ीसदी हिस्सा सरकारें कोविड नियंत्रण के लिए खर्च कर सकती हैं।

रिज़र्व बैंक की एक रिपोर्ट बताती है कि 2020-21 में राज्यों का कुल वित्तीय घाटा (GFD) दोगुना हो सकता है।

'अपने अधिकारों के लिए राज्यों को एक होना होगा'

GST कानून के तहत अपने कर्तव्यों को पूरा करने में केंद्र सरकार की नाकामी के चलते महामारी के दौरान राज्य पैसे के लिए तरसते रहे। केंद्र के इन कर्तव्यों में, GST लागू किए जाने से राज्यों  को होने वाले घाटे के बदले दिया जाने वाला मुआवज़ा भी शामिल था। 

प्रोफ़ेसर अथ्रेया कहते हैं, "केंद्र सरकार की इस तरह की अनियमित्ताओं को सामने लाने के लिए कांग्रेस और गैर बीजेपी राज्य सरकारों को एक होना चाहिए। तमिलनाडु समेत अन्य राज्यों को जोर देकर अपने अधिकारों के लिए दृढ़ता दिखानी होगी और GST पर पुनर्विचार की मांग उठानी चाहिए।"

राज्य में नेतृत्व परिवर्तन से इस तरह की मांग की संभावना मजबूत हुई है। जबकि इससे पहले AIADMK की सरकार केंद्र के कदमों पर चुप्पी साधे रहती थी।

प्रोफ़ेसर अथ्रेया कहते हैं, "राजनीतिक सामूहिकीकरण बेहद अहम है और राज्य सरकारों को अपने अधिकारों के लिए जोर देना चाहिए। भारत सरकार से राज्यों को संसाधनों के हस्तांतरण के लिए जगह है और इस क्षेत्र में ज़्यादा खोज करनी चाहिए।"

वित्तमंत्री खुद इशारा कर रहे हैं कि तमिलनाडु में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा है, फिर राज्य को केंद्र से भी कम हिस्सा मिलता है। ऐसे में नई सरकार के सामने तमिलनाडु के आर्थिक हालातों को सुधारने की बड़ी जिम्मेदारी है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

New TN Government to Check ‘Leakages’, Explore Revenue Generation Amid Limited Resources

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