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नोएडा: आवासीय सोसाइटी की दीवार गिरी, चार मज़दूरों की मौत, उठे कई गंभीर सवाल

“इन हादसों में मौत के बाद भी उनको मिलने वाला इन्शोरेंस का पैसा नहीं दिया जाता है। फिर यह पूछा जाता है कि ये मजदूर निर्माण मज़दूर कल्याण बोर्ड में पंजीकृत है या नहीं?  जबकि भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम, 1996 (BOCW Act, 1996) के अनुसार मज़दूर पंजीकृत हो या नहीं, लेकिन काम के दौरान मौत के बाद केवल दो लोगों की गवाही पर ही उनके परिजन दो लाख रुपए मुआवजे के हकदार हो जाते हैं।”
Noida
फ़ोटो साभार: पीटीआई

उत्तर प्रदेश के नोएडा में मंगलवार सुबह एक बड़ा हादसा हो गया, जहां एक सोसाइटी की दीवार गिर गई। दीवार के मलबे में दबकर चार मजदूरों की मौत हो गई है। इस घटना के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर स्थानीय अधिकारी शोक संताप कर रहे हैं, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर मजदूरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मजदूर नेता और संगठनीय लोगों ने इस घटना को लेकर कई सवाल उठाए हैं। सोसाइटी के एक निवासी ने बताया कि कुछ समय पहले भी एक दीवार गिरी थी, लेकिन प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया, उसी का परिणाम है कि आज चार लोगों की मौत हुई और कई गंभीर रूप से घायल है।

क्या है पूरा मामला?

यह घटना दिल्ली से सटे नोएडा के सेक्टर-21 की जलवायु विहार सोसाइटी की है। यह एक आवासीय सोसाइटी है। जिसमें लगभग 3500 फ्लैट्स हैं। सोसाइटी की बाहरी दीवार का एक हिस्सा गिर गया, जिसके मलबे में दबकर चार लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि हादसा सेक्टर-21 स्थित जलवायु विहार में सुबह करीब 10 बजे हुआ। मलबे के नीचे 12 मजदूर दब गए थे।

संयुक्त पुलिस आयुक्त लव कुमार ने बताया कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा सेक्टर 21-ए जलवायु विहार की बाहरी दीवार (बाउंड्री वाल) के किनारे बनी साढ़े तीन फुट गहरी नाली की एक हफ्ते से मरम्मत और सफाई चल रही थी।

कुमार ने बताया कि अचानक जलवायु विहार की पुरानी बाहरी दीवार का कुछ हिस्सा भरभरा कर गिर गया, जिससे वहां पर काम कर रहे पंकज (पुत्र सोमवीर सिंह), संजीव (पुत्र भगवान सिंह), नन्हे (पुत्र उरवान), विनोद (पुत्र राम सिंह), दीपक (पुत्र नरेश), ऋषि पाल (पुत्र ज्ञान सिंह), जोगेंद्र (पुत्र राजपाल), पप्पू (पुत्र नेम सिंह), पुष्पेंद्र (पुत्र भगवान सिंह), पन्नालाल (पुत्र झंडू), अमित (पुत्र धनपाल), धरमवीर (पुत्र रामनिवास) सहित 12 मजदूर मलबे के नीचे दब गए।

उन्होंने बताया कि सभी जनपद बदायूं के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि घटना की सूचना पाकर मौके पर पुलिस और दमकल विभाग के लोग पहुंचे। जेसीबी और अन्य माध्यमों से मलबे के नीचे फंसे लोगों को निकालकर नोएडा के कैलाश अस्पताल और जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

कुमार ने बताया कि कैलाश अस्पताल में उपचार के दौरान अमित (पुत्र धनपाल, उम्र 18 वर्ष), धरमवीर (पुत्र रामनिवास, उम्र 18 वर्ष) तथा जिला अस्पताल में पुष्पेंद्र (पुत्र भगवान सिंह, उम्र 25 वर्ष) और पन्नालाल (पुत्र झंडू, उम्र 25 वर्ष) की उपचार के दौरान मौत हो गई।

अधिकारियों ने बताया कि आवासीय सोसाइटी की दीवार के ढहे हुए हिस्से के मलबे को हटाने के लिए कई जेसीबी तैनात की गई हैं। यह दीवार एक नाले के पास थी। पुलिस और दमकल विभाग के कर्मी बचाव व राहत अभियान को अंजाम दे रहे हैं।

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (नोएडा) आशुतोष द्विवेदी ने  बताया, ‘‘कुल 12 मजदूरों को मलबे से बाहर निकाला गया। उनमें से चार लोगों की मौत हो गई है और अन्य घायल हैं।’’

पुलिस आयुक्त आलोक सिंह, संयुक्त आयुक्त लव कुमार और नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी मौके पर मौजूद हैं।

दमकल विभाग के प्रमुख अरुण कुमार सिंह सहित पांच दमकल अधिकारियों की निगरानी में बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

सोसाइटी के आरडब्लूए ने उठाए गंभीर सवाल

नोएडा सेक्टर-21 की जलवायु विहार सोसाइटी के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्लूए) के सदस्य और निवासी राकेश सिसोदिया ने न्यूजक्लिक से बात करते हुए बाताया कि आर ब्लॉक के पास बाहरी दीवार से सटे नाले के पास खुदाई चल रही थी, इस दौरान आचनक दीवार गिर गई और इसमें वहां मौजूद मजदूर दब गए। ये मरम्मत का काम नोएडा प्रधिकारण द्वारा कराया जा रहा था। ये सभी वहां नाले की मरम्मत कर रहे थे।

सिसोदिया ने आगे कहा यह कोई पहली घटना नहीं है अभी कुछ समय [पहले ही बी ब्लॉक के पास की बाहरी दीवार भी गिरी थी। हालांकि उस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था। उन्होंने सोसाइटी की पूरी सुरक्षा को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि पूरी सोसाइटी में ही यही हाल है बाहरी दीवारें पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं। कई जगह पर दीवारें झुक गयीं और वो कभी भी गिर सकती हैं, जिसकी चपेट में कोई भी आ सकता है जैसे आज ये मज़दूर आ गए।

सिसोदिया ने कहा कि सोसाइटी के चेयरमैन 20 लाख से अधिक इन दीवारों पर खर्च करते हैं, लेकिन इन दीवारों में बहुत ही घटिया सामान का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने दावा किया कि दीवार के अंदर सरिया (लोहे की छड़े) नहीं डाली गई, जिससे ये इस तरह ढह रही है, लेकिन इस पर किसी का कोई ध्यान नहीं है। नोएडा प्राधिकरण भी आंखे मूंदे हुए है।

हमने उनसे पूछा कि उन्होंने या किसी अन्य ने इस मुद्दे पर कोई शिकायत की या नहीं?  इस पर उन्होंने कहा यहां कोई सुनने वाला ही नहीं है। वो कहते हैं कि इस पूरी सोसाइटी में 3500 घर हैं और ये सभी के लिए खतरनाक है। हम चाहते हैं कि प्रशासन इसकी सुरक्षा जांच करे और दोषियों पर कार्रवाई हो।

नेताओं ने जताया शोक

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने इस घटना पर गहरा दुख व्‍यक्‍त करते हुए घायलों के बेहतर उपचार के निर्देश दिए हैं।

मुख्‍यमंत्री कार्यालय द्वारा किये गये एक ट्वीट में कहा गया है ''मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने जनपद गौतम बुद्धनगर में दीवार गिरने से हुई जनहानि पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर तत्काल पहुंचकर युद्धस्तर पर राहत कार्य संचालित करने के निर्देश दिए हैं।''

कार्यालय ने कहा है कि आदित्‍यनाथ ने मृतकों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए उनके उपचार की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

स्थानीय सांसद महेश शर्मा ने भी ट्वीट कर लिखा कि सेक्टर 21, जलवायु विहार नोएडा में दीवार गिरने की दु:खद खबर मिलने पर मैं घटनास्थाल पर पहुंचा। इस दु:ख की घड़ी में मैं पीड़ितों के परिजनों के साथ हूं। ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वे घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ व दिवंगतों की आत्मा को शांति प्रदान करें।

कांग्रेस नेता पंखुड़ी पाठक ने ट्वीट कर लिखा यह बहुत भयावह घटना है। नोएडा की कई सोसायटियों को मरम्मत और सही रखरखाव की आवश्यकता है। मृतकों के परिवारों के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं हैं।

मजदूर नेता ने मज़दूरों की सुरक्षा के लेकर उठाए सवाल

इस पूरी घटना पर राजधानी भवन निर्माण कामगार यूनियन के अध्यक्ष व सीटू के राज्य सचिव सिद्धेश्वर शुक्ला ने भी सवाल उठाए और कहा मजदूरों की सुरक्षा के लिए किए जाने वाले मूलभूत सुरक्षा के आभाव मे इस तरह की घटनाएं होती है। मजदूरों को मूलभूत सुरक्षा उपकरण जैसे जूते, ग्लव्स और हेलमैट जैसे उपकरण भी नहीं दिए जाते हैं।

जबकि निर्माण मजदूरों को काम के दौरान ये सुरक्षा उपकरण आवश्यक हैं और अगर ऊंचाई पर काम कर रहे हैं तो पैराशूट अतिआवश्यक है। इसके आलावा मजदूरों के रहने के लिए भी रैन बसेरा का इंतजाम करना चाहिए।

पूरे दिल्ली एनसीआर में एक अनुमान के तहत 12 से 14 लाख मजदूर इस क्षेत्र में काम करते हैं। लेकिन इनकी सबसे बड़ी समस्या है कि ये क्षेत्र पूरी तरह से असंगठित है। दिल्ली में अधिकतर निर्माण मजदूर प्रवासी हैं। ये अधिकतर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से हैं। इनमें भी देखा गया है कि अधिकतर वो लोग होते हैं जो आर्थिक रूप से बेहद कमज़ोर हैं। उनके पास कोई जमीन नहीं होती है। इनमें अनुसूचित जाति/जनजाति और अल्पसंख्यकों कि संख्या अधिक है।

इन मजदूरों को औसतन 300 से 400 और एक मिस्त्री को 400 से 500 रुपये रोज़ाना मिलता है, वो भी 12 घंटे काम करने के बाद, जो बहुत ही कम है।

शुक्ला आगे कहते हैं कि ये सभी काम के लिए प्रवास करते हैं जिस कारण इनका कोई स्थाई ठिकाना नहीं रहता और ठेकेदार पैसे बचाने के लिए इन्हें निर्माण साइट पर ही रहने को मजबूर करता है, इसलिए जब भी कोई हादसा होता है तो ये इसकी चपेट में आ जाते हैं।

उन्होंने आगे कहा बीते सालों में इस तरह के हादसे बढ़े हैं क्योंकि सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जैसे इस घटना में नोएडा प्राधिकरण को इसकी जांच करनी होती है कि कौन सी बिल्डिंग या दीवार कमजोर है। लेकिन इस तरह के जांच अभियान पूरी तरह से बंद हैं जिनकी वजह से ये हादसे होते हैं और मजदूर को अपनी जान गंवानी पड़ती है। फिर सरकार और प्रशासन अपना पल्ला झाड़कर सारा दोष कोन्ट्रेक्टर पर थोप देते हैं।

शुक्ला आगे कहते हैं कि मजदूरों का शोषण यही नहीं रुकता है बल्कि इन हादसों में मौत के बाद भी उनको मिलने वाला इन्शोरेंस का पैसा नहीं दिया जाता है। फिर यह पूछा जाता है कि ये मजदूर निर्माण मज़दूर कल्याण बोर्ड में पंजीकृत है या नहीं?  जबकि भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम, 1996 (BOCW Act, 1996) के अनुसार मज़दूर पंजीकृत हो या नहीं, लेकिन काम के दौरान मौत के बाद केवल दो लोगों की गवाही पर ही उनके परिजन दो लाख रुपए मुआवजे के हकदार हो जाते हैं। लेकिन सरकारी अधिकारी कागज़ी कार्रवाई के नाम पर शोषण जारी रखते हैं और अधिकतर मामलों में मजदूर के परिजन इस मुआवजे से भी वंचित रह जाते हैं।

मजदूर नेता ने कहा कि प्रशासन और सरकारों की गलतियों, लापरवाहियों और तात्कालिक फायदों की चाह की वजह से हमें कब्रों की तरफ धकेल रही है। इस पर जल्द ही रोक लगाने की आवश्यकता है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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