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महिलाओं के मार्च पर रोक लगाने वाली याचिका पर पाकिस्तान की अदालत सुनवाई करेगी

लाहौर उच्च न्यायालय ने एक वकील द्वारा दायर याचिका पर निर्देश जारी किया है जिसमें दावा किया गया है कि "राष्ट्र विरोधी दल" अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रस्तावित औरत मार्च (महिला मार्च) के लिए फंडिंग कर रही है।
Women march

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आज पाकिस्तान का लाहौर उच्च न्यायालय प्रस्तावित 'औरत मार्च' के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गई है। इस मार्च पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने देश के प्रांतीय और संघीय सरकारों को नोटिस भेजा है।

याचिकाकर्ता अजहर सिद्दीकी ने दावा किया कि ये मार्च अपनी प्रकृति में "देश विरोधी" था। दाखिल की गई याचिका के अनुसार कुछ कथित देश विरोधी पार्टियां इस औरत मार्च को "अराजकता, नफरत और जनता के बीच अश्लीलता फैलाने के एकमात्र उद्देश्य से" फंडिंग कर रही थी।

पिछले साल नवंबर में औरत मार्च 2020 की पहली आयोजन समिति की बैठक के बाद इस मुद्दे ने देश में प्रगतिशील और रूढ़िवादी वर्गों के बीच एक राष्ट्रीय बहस छेड़ दिया है।

देश में रूढ़िवादी तत्व महिलाओं के इस कार्य को "सामाजिक समरसता" के लिए खतरे के रूप में चित्रित करने का प्रयास करते हैं। ये याचिका देश में लैंगिक भूमिकाओं में बड़े बदलाव के लिए महिला आंदोलनों को रोकने का एक प्रयास है।

पिछले साल अगस्त महीने में, महिला एक्शन फोरम (डब्ल्यूएएफ) ने कहा कि पाकिस्तान में किस तरह मानहानि के कानूनों का राजनीतिक रूप से "साइलेंसिंग टूल" के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। इसने बताया "उत्पीड़न, मारपीट और बलात्कार की घटनाओं के बारे में बोलने या रिपोर्टिंग करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामलों में खतरनाक वृद्धि दर्ज की गई।"

महिला एक्शन फोरम के सदस्यों ने कहा कि आपत्तिजनक संदेश, बलात्कार और मौत की धमकी मिलने और कार्यक्रम स्थल को उड़ाने की धमकियों के बावजूद महिलाओं की सामूह महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर एक राष्ट्रव्यापी बहस को शुरु करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को संगठित करेगी जिसमें यौन हिंसा के बारे में रिपोर्टिंग और पीड़ितों को सहायता प्रदान करना शामिल है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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