...और आवाज़ का 'नूर' चला गया

भारत-पाकिस्तान की साझी सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करने वाली मशहूर पाकिस्तानी गायिका नय्यरा नूर का एक लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। उनके परिवार ने रविवार को यह जानकारी दी। वह 71 वर्ष की थीं।
नूर का मतलब होता है चमक, उजाला, रौशनी वाकई नय्यरा नूर आवाज़ का उजाला थीं। जिसमें हिन्दुस्तान और पाकिस्तान का साझापन दिखता था।
नूर का कराची में कुछ समय से इलाज चल रहा था। उनके भतीजे रज़ा ज़ैदी ने ट्वीट किया, “अत्यंत दुख के साथ मैं अपनी प्यारी ताई नय्यरा नूर के निधन की खबर दे रहा हूं। अल्लाह उनकी रूह को सुकून दें।”
إِنَّا لِلَّهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعونَ
It is with heavy heart that I announce the passing of my beloved aunt (tayi) Nayyara Noor. May her soul R.I.P.
She was given the title of ‘Bulbul-e-Pakistan’ because of her melodious voice. #NayyaraNoor pic.twitter.com/69ATgDq7yZ— Raza Zaidi (@Razaazaidi) August 20, 2022
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नैयरा नूर का जन्म 1950 में गुवाहाटी में हुआ था। 1958 में उनका परिवार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लाहौर चला गया।
गायकी के मामले में वह कानन बाला, बेगम अख़्तर और लता मंगेशकर की प्रशंसक थीं।
उन्होंने 1971 में पाकिस्तानी टेलीविजन सीरियल से पार्श्व गायन की शुरुआत की थी और उसके बाद उन्होंने घराना और तानसेन जैसी फिल्मों में अपनी आवाज दी।
उन्हें फिल्म 'घराना' के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका घोषित किया गया और ‘निगार’ पुरस्कार से नवाज़ा गया।
नूर को उनकी गज़लों के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने भारत-पाकिस्तान में गज़ल प्रेमियों के लिए कई महफ़िलों में प्रस्तुति दीं।
उनकी प्रसिद्ध ग़ज़ल “ऐ जज्बा-ए-दिल घर मैं चाहूं” थी, जिसे प्रसिद्ध उर्दू कवि बेहज़ाद लखनवी ने लिखा था। फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कई ग़ज़लों को नूर ने आवाज़ दी। उनके निधन पर बहुत लोगों ने लिखा कि उन्होंने फ़ैज़ की क्रांतिकारी शायरी को नूर की मार्फ़त जाना।
उन्होंने डॉन अखबार को बताया था, “संगीत मेरे लिए एक जुनून रहा है, लेकिन मेरी पहली प्राथमिकता कभी नहीं। मैं पहले एक छात्र, एक बेटी थी और बाद में एक गायिका। मेरी शादी के बाद मेरी प्राथमिक भूमिकाएं एक पत्नी और एक मां की रही हैं।”
नूर को 2006 में “बुलबुल-ए-पाकिस्तान” के खिताब से नवाज़ा गया था। वर्ष 2006 में, उन्हें “प्राइड ऑफ परफॉर्मेंस पुरस्कार” से सम्मानित किया गया और 2012 तक, उन्होंने पेशेवर गायिकी को अलविदा कह दिया था।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने नूर के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी मृत्यु संगीत जगत के लिए “एक अपूरणीय क्षति” है।
उन्होंने ट्वीट किया, “ग़ज़ल हो या गीत, नय्यरा नूर ने जो भी गाया, उसे संपूर्णता के साथ गाया। नय्यरा नूर की मृत्यु के बाद पैदा हुई खाली जगह कभी नहीं भर पाएगी।”
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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