हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने वाला संसदीय समिति का प्रस्ताव अस्वीकार्य: माकपा
केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आईआईटी सहित तकनीकी और गैर-तकनीकी संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने की संसदीय समिति के प्रस्ताव का विरोध करते हुए सोमवार को कहा कि समिति की सिफारिश संविधान की भावना और देश की भाषाई विविधता के विपरीत है।
दरअसल, संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि हिंदी भाषी राज्यों में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) सहित तकनीकी और गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा का माध्यम हिंदी होना चाहिए। समिति के अनुसार, देश के अन्य हिस्सों में शिक्षा का माध्यम वहां की स्थानीय भाषाएं होनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि अंग्रेज़ी के इस्तेमाल को विकल्प के तौर पर देखा जाना चाहिए।
माकपा ने ट्वीट किया, ‘‘हम उस प्रयास का पुरजोर विरोध करते हैं जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की एक राष्ट्र, एक संस्कृति, एक भाषा की अवधारणा से उपजा है। यह भारतीय संविधान की भावना और हमारे देश की भाषाई विविधता के विपरीत है।’’
माकपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री टी. एम. थॉमस इसाक ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भारत की विविधता में विश्वास नहीं करती है।
इसाक ने कहा, ‘‘भारत में एक ऐसी पार्टी का शासन चल रहा है जो देश की विविधता में विश्वास नहीं करती है। केंद्र सरकार रोजगार के लिए पूर्व शर्त के रूप में हिंदी के ज्ञान पर जोर कैसे दे सकती है कि भर्ती परीक्षा केवल हिंदी में होगी?’’
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि आरएसएस के ‘‘हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान’’ के दृष्टिकोण को थोपना अस्वीकार्य है।
— CPI (M) (@cpimspeak) October 10, 2022
येचुरी ने ट्वीट किया, ‘‘भारत की अनूठी और समृद्ध भाषाई विविधता पर ‘हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान’ के आरएसएस के दृष्टिकोण को थोपना अस्वीकार्य है। संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी 22 आधिकारिक भाषाओं के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए और उन्हें समान रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। भारत विविधताओं का देश है।’’
Imposing RSS vision of 'Hindi, Hindu, Hindustan' on India’s unique and rich linguistic diversity is simply UNACCEPTABLE.
All 22 Official languages listed in the 8th schedule of the Constitution must be treated and encouraged equally.
India is a celebration of its diversities. pic.twitter.com/Bg5spY5iQK— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) October 9, 2022
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली आधिकारिक भाषा संसदीय समिति ने पिछले महीने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी 11वीं रिपोर्ट सौंपी थी।
अपनी रिपोर्ट में समिति ने सिफारिश की थी कि सभी राज्यों में स्थानीय भाषाओं को अंग्रेजी पर वरीयता दी जानी चाहिए।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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