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पेगासस जासूसी कांड: जांच समिति को 29 में से पांच फोन में मिला मालवेयर

कमेटी ने रिपोर्ट में बताया कि उसने 29 मोबाइल फोन की जांच की थी, लेकिन जांच में पांच में उसने मालवेयर सॉफ्टवेयर पाया है। हालांकि, यह मालवेयर पेगासस ही है या नहीं, इसपर कोई खुलासा नहीं किया गया है।
Pegasus

पेगासस जासूसी कांड में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति ने आज अपनी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय में पेश कर दी है। कमेटी ने रिपोर्ट में बताया कि उसने 29 मोबाइल फोन की जांच की थी, लेकिन जांच में पांच में उसने मालवेयर सॉफ्टवेयर पाया है। हालांकि, यह मालवेयर पेगासस ही है या नहीं, इसपर कोई खुलासा नहीं किया गया है।

नियुक्त तकनीकी एवं पर्यवेक्षी समितियों ने कहा कि केंद्र ने मामले की जांच में सहयोग नहीं किया है। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा कि समिति को उन 29 फोन में से पांच में एक तरह का ‘मालवेयर’ मिला, जिनकी जांच की गई थी।

जांच कमेटी ने  तीन भागों में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैनल की रिपोर्ट के उन हिस्सों का पता लगाने के लिए जिन्हें सार्वजनिक किया जा सकता, इसके लिए उसे कुछ वक्त चाहिए होगा। इस मामले को चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया।

पिछले साल 27 अक्टूबर को बनाई गई थी कमेटी

जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में 27 अक्टूबर 2021 को एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। कमेटी गठित करते वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रिपोर्ट तैयार करते वक्त याचिककर्ताओं की निजता का ख्याल रखा जाए।

आपको बता दें कि जस्टिस आरवी रवींद्रन के साथ इस कमिटी में पूर्व IPS अफसर आलोक जोशी और डॉक्टर संदीप ओबेरॉय भी शामिल हैं। डॉक्टर ओबेरॉय इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ स्टैंडर्डाइजेशन से जुड़े हुए हैं।

क्या है पेगासस

पिछले साल द वायर और इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी खास रिपोर्ट में खुलासा किया था कि भारत में पेगासस जासूसी या निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके इस्तेमाल का आरोप सरकार पर लगाया गया था कि वो इसके जरिए गैरकानूनी तरीके से विपक्षी पार्टी नेताओं, पत्रकारों, वकीलों, ऐक्टिविस्टों के फोन को हैक कर, जानकारियाँ बटोर रही है।  

पेगासस के जरिए फोन को हैक कर उसका कैमरा, माइक, मैसेजेस और कॉल्स समेत तमाम जानकारी हैकर के पास चली जाती हैं. इस स्पायवेयर को इजराइली कंपनी NSO ग्रुप ने बनाया था। पूरी दुनिया में कई देशों की सरकार द्वारा इसके प्रयोग के खुलासे के बाद NSO पर कई मुकदमे दर्ज हुए, जिसके बाद वो पेगासस यूनिट को बंद करने पर भी विचार कर रहा है।

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