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केरल में जनता रेस्तरां भूखों का पेट भरने के लिए आगे आये 

जनकीय होटल इस बात का जीता-जागता सुबूत हैं कि कैसे सामजिक कल्याण की परियोजनाएं एवं सामुदायिक भागीदारी के जरिये भूख से निपटा जा सकता है।
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जिस दिन भारत भूख का आकलन और ट्रैक रखने वाली सहकर्मी-समीक्षा की वार्षिक रिपोर्ट ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) के मामले में लुढ़ककर 101वें पायदान पर खिसका था, उस दिन भी श्रीलता हमेशा की तरह अपने कार्यस्थल पर सुबह 8:30 से मौजूद थीं। श्रीलता आने अड़ोस-पड़ोस के समूह (एनएचजी) की तीन अन्य महिलाओं के साथ जो कि केरल के कुदुम्बश्री सामुदायिक नेटवर्क का एक हिस्सा है, त्रिशूर के कोलाझी में एक जनकीय होटल (जनता का रेस्टोरेंट) चलाती हैं, जो आम लोगों को रियायती दरों पर भोजन उपलब्ध कराता है।

समूचे केरल में ऐसे 1132 रेस्टोरेंट हैं जिनका संचालन करीब 5,000 कुदुम्बश्री के सदस्यों द्वारा किया जाता है। ये रेस्तरां रोजाना 1,50,000 से भी अधिक लोगों को अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं और ये भूख को मिटाने के राज्य सरकार के प्रयासों का एक अविभाज्य अंग के तौर पर कार्य कर रहे हैं।

जहाँ एक तरफ महामारी और उसके अगले कदम के तौर पर लॉकडाउन के कारण नौकरियों और आय में अभूतपूर्व नुकसान ने भारत की आबादी के एक बड़े हिस्से को भुखमरी की कगार पर धकेल दिया था, वहीँ केरल अपने सामजिक सुरक्षा जाल और बड़े पैमाने के कार्यक्रमों के संयोजन की मदद से उस तरह की आपदा को टालने में कामयाब रहा है। उदहारण के तौर पर केरल में सामुदायिक भोजनालयों की स्थापना, सभी परिवारों के लिए मासिक राशन और किराना किट का प्रावधान और जनकीय होटलों के माध्यम से रियायती दरों पर भोजन को उपलब्ध कराया गया था। ऐसे उपायों की लोकप्रियता ने इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ वाम लोकतान्त्रिक मोर्चे (एलडीएफ) को ऐतिहासिक जनादेश प्राप्त करने में अपना योगदान दिया है।

भले ही केंद्र ने जीएचआई रिपोर्ट के निष्कर्षों पर अपनी आपत्ति दर्ज की है, किंतु देश में बढ़ती खाद्य असुरक्षा के संकेतक तो महामारी से पहले भी मौजूद थे, जिनका जिक्र राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के साथ-साथ सरकार की अपनी खुद की रिपोर्टों में दर्ज किये गए थे। इस बेहद चुनौतीपूर्ण मसले से निपटने के लिए सरकारी संस्थाओं और सामुदायिक सदस्यों की ओर से एक ठोस प्रयास की जरूरत है-और सफल पहल के तौर पर जनकीय होटल इसका एक बेहतरीन उदाहरण हैं जिसे स्थानीय जरूरतों के अनुरूप तैयार किया जा सकता है।

कुदुम्बश्री नेटवर्क और ‘भूख-मुक्त केरल’

कुदुम्बश्री महिलाओं का एक सामुदायिक नेटवर्क है जिसका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन है। 1997 में इसे तत्कालीन एलडीएफ सरकार के द्वारा राज्य में स्थानीय स्व-शासी संस्थाओं को शक्तियों के हस्तांतरण और जन योजना अभियान के सन्दर्भ में नियुक्त किये गए एक-तीन सदस्यीय टास्क फ़ोर्स की सिफारिश के आधार पर स्थापित किया गया था। 

कुदुम्बश्री सभी व्यस्क महिलाओं के लिए खुला है लेकिन प्रत्येक परिवार से इसमें सिर्फ एक को ही इसकी सदस्यता मिल सकती है। इसका त्रि-स्तरीय ढांचा है जिसमें प्राथमिक स्तर पर एनएचजी का गठन, मुहल्ला स्तर पर क्षेत्रीय विकास समितियां और स्थानीय शासन के स्तर पर सामुदायिक विकास समितियां (सीडीएस) मौजूद हैं। 

कुदुम्बश्री 45 लाख से भी अधिक की कुल महिला सदस्यता के साथ विश्व के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है। इसमें राज्य प्रायोजित सूक्ष्म उद्यमों सहित, कृषि समूहों, आईटी ईकाइयां और लैंगिक हेल्पडेस्क चलाने और गरीबी उन्मूलन एवं कौशल विकास कार्यक्रम सहित विभिन्न गतिविधियाँ चलाई जाती हैं। सितंबर तक राज्य भर में कुल 294,436 एनएचजी काम कर रहे थे, जिनमें बुजुर्गों, विकलांगों और ट्रांसजेंडर द्वारा गठित किये गए एनएचजी भी शामिल हैं।

2020-21 के बजट में पूर्व वित्त मंत्री थॉमस इसाक द्वारा राज्य सरकार के ‘भूख-मुक्त केरल’ कार्यक्रम के हिस्से के तौर पर कुदुम्बश्री के माध्यम से 1000 फेयर-प्राइस रेस्टोरेंट को शुरू करने के लिए समर्थन की घोषणा की थी। यह इसाक के अपने निर्वाचन क्षेत्र अलप्पुझा में चलाई जा रही इसी तरह की पहल का एक राज्यव्यापी विस्तार था, जिसे जिले की सभी 941 ग्राम पंचायतों को कवर करने के लिए डिजाइन किया गया था। 

स्थानीय स्व-शासित संस्थाओं एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की मदद से इन रेस्तराओं को राज्य सरकार की ओर से हर 20 रूपये में बेचे जाने वाले प्रत्येक लंच पर 10 रूपये की सब्सिडी मिलती है। जगह का किराया/भाड़ा और बिजली-पानी के शुल्क को स्थानीय स्व-शासित संस्थाओं द्वारा वहन किया जाता है और नागरिक आपूर्ति विभाग के द्वारा उन्हें चावल और अन्य वस्तुओं को रियायती दरों पर बेचा जाता है। संबंधित कुदुम्बश्री सीडीएस के द्वारा प्रारंभिक कार्यशील पूंजी के तौर पर इन्हें एकमुश्त 50,000 रूपये तक का चक्रीय फण्ड उपलब्ध कराया जाता है।

ऐसे ही एक जनकीय होटल को श्रीलता के एनएचजी द्वारा संचालित किया जा रहा है जो त्रिशूर शहर के बाहरी इलाके में कोलाझी ग्राम पंचायत की तिमंजिला इमारत में नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा संचालित सस्ते दर की दुकान के बगल में उपलब्ध छोटे से हाल के साथ किचन स्पेस में स्थित है। महामारी के प्रकोप और तत्पश्चात आगामी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को देखते हुए राज्य सरकार ने स्थानीय स्व-शासन संस्थाओं की मदद से सामुदायिक रसोई का प्रबंधन करने के लिए कुदुम्बश्री के सदस्यों एवं अन्य स्वंयसेवकों की ओर रुख किया, ताकि राज्य में लोग भूखे न रहने पाएं।

श्रीलता और एनएचजी के दो अन्य सदस्यों ने महामारी से पहले ही खानपान सेवा का काम शुरू करने के लिए प्रशिक्षण और कम-ब्याज दर पर ऋण लिया हुआ था और उनके पास खाना पकाने के लिए बड़े बर्तन एवं अन्य उपकरण उपलब्ध थे। राज्य सरकार के आह्वान पर उन्होंने तत्काल ग्राम पंचायत की मदद से कोलाझी में ज़ेनाना मिशन लोअर प्राइमरी स्कूल के प्रांगण में एक सामुदायिक रसोई की स्थापना कर डाली।

महामारी की पहली लहर के दौरान एनएचजी ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग की रैपिड रिस्पांस टीम के साथ मिलकर मुहल्ला स्तर पर तैयार की गई जरुरतमंदों की सूची के अनुसार तकरीबन हर रोज 500 लोगों के पास डिब्बाबंद लंच और रात का भोजन पहुंचाने का काम किया। 

लॉकडाउन में ढील और इलाके के लोगों के काम पर वापस जाने की स्थिति आने पर श्रीलता, सिंधु और सिनी ने सामुदायिक किचन को जनकीय होटल में तब्दील करने का फैसला लिया और अपने कामकाज को स्थानातरित कर मौजूदा भवन में ले आये थे।

ओमना जो एक सीडीएस सदस्या हैं, श्रीलता और बाकियों के साथ काम करती हैं। ये लोग प्रतिदिन सुबह 11:30 बजे से लेकर दोपहर के 3:00 बजे तक इलाके के करीब 120 से लेकर 150 लोगों को रियायती दरों पर भोजन उपलब्ध कराते हैं। प्रत्येक भोजन में चावल, सांभर/दाल/मोरू करी, थोरन (तेल में फ्राई की हुई सब्जियां) और एक स्थानीय स्रोतों से उपलब्ध सब्जी के व्यंजन के साथ-साथ अचार मुहैय्या कराया जाता है। आमतौर पर उपलब्ध होने वाले दोपहर के भोजन के अलावा इतवार के दिन मेनू में चिकन करी, फिश करी और फिश फ्राई, बीफ फ्राई और काया बीफ (कच्चे केले के साथ पकाया जाने वाले बीफ की एक डिश) और चिकन बिरयानी को भी परोसा जाता है। हालाँकि इन व्यंजनों पर सब्सिडी नहीं दी जाती है किंतु कुदुम्बश्री के सदस्यों द्वारा इन्हें नियमित बाजार भाव की तुलना में काफी सस्ते दरों पर बेचा जाता है। 

श्रीलता ने न्यूज़क्लिक को बताया, “दोपहर के भोजन की बिक्री से हमें कोई खास लाभ नहीं प्राप्त होता लेकिन मेनू में अन्य चीजों को बेचना लाभप्रद है।” श्रीलता जो दो बच्चों की माँ हैं, के अलावा दो अन्य महिलाएं अपने परिवारों का भरण-पोषण करने के लिए अतिरिक्त आय कमाने के लिए दूसरे कामों पर निर्भर हैं। श्रीलता जहाँ एक चिट फण्ड कंपनी में काम करती हैं वहीँ सिन्धु और सिनी घरेलू कामगार के तौर पर कार्यरत हैं।

सुजाता जो कि कोलाझी में सीडीएस मॉडल की अध्यक्षा हैं और इस इलाके में 48 अन्य सूक्ष्म उद्यमों के कामकाज की देखरेख करती हैं, का कहना था “रेस्टोरेंट को लाभकारी उद्यम बनाने के लिए, ताकि एनएचजी सदस्यों की एक नियमित आय हो सके, के लिए हमें शाम के समय चाय-नाश्ते और स्नैक्स को भी शामिल करने के लिए सेवाओं का विस्तार करना होगा।” उन्होंने आगे कहा “समूहों को अब फैसला लेना होगा कि क्या उन्हें पूर्णकालिक तौर पर रेस्टोरेंट का काम संभालना है या किसी अन्य एनएचजी की सेवाओं का उपयोग करना है ताकि वे इसे बारी-बारी से पालियों में चला सकें।”

यहाँ से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक अन्य जनकीय होटल मुलनगुन्नाथुकावु के ग्राम पंचायत कार्यालय के बगल में स्थित है। इस रेस्तरां में कोलाझी की तुलना में अधिक विशाल हाल उपलब्ध है, जिसे चार कुदुम्बश्री सदस्यों द्वारा चलाया जाता है। इससे पहले ये लोग राज्य सरकार के हरिथा केरलम मिशन के लिए अपशिष्ट प्रबंधन में काम करती थीं।

जून में स्थापित इस जनकीय होटल में रोजाना 200 से अधिक लोगों को दोपहर का भोजन परोसा जाता है। कुदुम्बश्री सदस्य, जो आस-पास के इलाकों से कैटरिंग सर्विस देने का भी आर्डर लेते हैं, के अलावा ऑटो/टैक्सी चालकों, पंचायत कर्मचारियों, प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों को सुबह 7 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक अपनी सेवाएं उपलब्ध कराते हैं।

एक दिहाड़ी मजदूर राजेश, जो अपने परिवार के लिए दो लंच के पार्सल खरीदने के लिए पहुंचे हुए थे, ने न्यूज़क्लिक को बताया कि महामारी के दौरान रियायती दरों पर उपलब्ध होने वाले भोजन से उन्हें बहुत मदद पहुंची थी। उन्होंने बताया “अब जब हमारे पास पहले से अधिक पैसा है, लेकिन इसके बावजूद मैं  नियमित रूप से यहाँ पर आता हूँ क्योंकि यह सुविधाजनक है और भोजन का स्वाद ऐसा है मानो इसे घर पर ही बनाया गया हो।”

अकेले त्रिशूर जिले में ही कुदुम्बश्री द्वारा संचालित अन्य रेस्तरां, कैंटीन और कैटरिंग सर्विस के अलावा 107 जनकीय होटल मौजूद हैं। कई स्थानीय स्व-शासी संस्थानों द्वारा भी जनकीय होटलों से जरुरतमन्द लोगों को मुफ्त भोजन मुहैय्या कराने के लिए आर्डर प्राप्त होता है और वे कन्टेनमेंट जोन में भोजन उपलब्ध कराने के लिए वितरण इकाइयों के तौर पर काम करते हैं।

ऐसे कई अन्य जनकीय होटलों को शुरू करने का लक्ष्य 

2009 में तत्कालीन एलडीएफ सरकार की ओर से कुदुम्बश्री द्वारा संचालित कैंटीनों और गृह-आधारित खानपान इकाइयों के लिए एक समर्थन प्रणाली की स्थापना की गई थी। बाद में, महिलाओं द्वारा संचालित उद्यमों के लिए एक बड़ा बाजार के आधार को प्रदान करने के प्रयासों के हिस्से के तौर पर कुदुम्बश्री मिशन ने कैफ़े कुदुम्बश्री ब्रांड को स्थापित किया। जिला कुदुम्बश्री मिशन के नेतृत्व में त्रिशूर में एआईआरएचएम (अदेभा-अधिथि देवो भव- खाद्य अनुसंधान एवं आतिथ्य प्रबंधन संस्थान) नामक एक पेशेवर प्रशिक्षण सुविधा को स्थापित किया गया था।

यह संस्थान राज्य भर में कुदुम्बश्री द्वारा संचालित रेस्तरां, मिनी-कैफ़े, कियोस्क और कैटरिंग यूनिट्स के लिए तकनीकी और मार्केटिंग सहायता प्रदान करता है, जिनमें से अधिकांश ने अपना कामकाज पिछली एलडीएफ सरकार के कार्यकाल के दौरान आरंभ किया था। कुदुम्बश्री के सदस्यों ने बिहार, झारखण्ड और अन्य राज्यों में भी रेस्तरां एवं सामुदायिक किचन को स्थापित करने में परामर्शदाता की भूमिका निभाई है।

आज के दिन कुदुम्बश्री सेवाएं और जनकीय होटलों की श्रृंखला केरल की संस्कृति और पोषित प्रतीकों का हिस्सा बन चुकी हैं। हाल ही में, एक मलयालम टेलीविजन चैनल द्वारा जनकीय होटलों के कामकाज पर की गई एक आलोचनात्मक खबर चलाने पर आम लोगों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई थी। इसके विरोध में कई लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर तस्वीरों और वीडियो के द्वारा इन रेस्तराओं में अपने खाने अनुभवों को याद करते हुए उक्त मीडिया संस्थान के कथन का खंडन किया। इन रेस्तरां की लोकप्रियता और ‘भूख मुक्त केरल’ के लक्ष्य की दिशा में काम करने में उनकी सफलता को मान्यता देते हुए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की कि राज्य सरकार ऐसे कई और जनकीय होटलों को स्थापित करने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 

People’s Restaurants in Kerala Step in to Feed the Hungry

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