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बिहार में ज़हरीली शराब ले रही लोगों की जान, अब 33 लोगों की मौत

बिहार सरकार पर हमला बोलते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि बिहार की नीतीश-भाजपा सरकार ने महंगाई-बेरोज़गारी से जनता का दिवाला निकालने और निवाला छीनने के साथ ही पिछले सप्ताह शराब से 50 से अधिक लोगों की जान ली है।
poisonous liquor
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

बिहार में शराब कानूनन प्रतिबंधित है लेकिन पिछले दरवाजे से धंधा चालू है जिसके चलते यहां जहरीली शराब पीने से लगातार मौत के मामले सामने आ रहे हैं। पिछले तीन दिनों में दो जिलों में 33 लोगों की मौत हो गई है। वहीं 11 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। मृतकों में 18 लोग गोपालगंज के हैं। यहां 7 लोगों की हालत गंभीर है, जिनमें 3 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है। वहीं पश्चिम चंपारण में 15 लोगों की मौत हो गई है और यहां 4 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। इससे पहले मुजफ्फरपर जिले के सरैया थाना इलाके में जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत का मामला सामने आया था जबकि इसी जिले में इसके पीने के चलते सकरा प्रखंड में दो लोगों की मौत हो गई थी।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं आने के कारण प्रशासन इन्हें संदिग्ध मौत मान रहा है। उधर डीएम ने शराब पीने से मौत होने की पुष्टि नहीं की है लेकिन मृतकों के परिजनों के अनुसार शराब पीने के बाद ही तबीयत खराब हुई और बाद में मौत हो गई।

वहीं मामला सामने आने के बाद गोपालगंज के एसपी आनंद कुमार ने महम्मदपुर थानाध्यक्ष शशि रंजन कुमार और एक चौकीदार को सस्पेंड कर दिया है। उधर पश्चिम चंपारण के नौतन थानेदार और चौकीदार को भी सस्पेंड कर दिया गया है।

घटना के बाद जिला प्रशासन संबंधित इलाकों में छापेमारी कर रही है। गोपालगंज में 3 घरों को सील किया गया है जबकि इस धंधे से जुड़े चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें तुरहा टोले के छोटेलाल साह, अशोक शर्मा, रामप्रवेश साह और जितेंद्र प्रसाद को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गोपालगंज प्रशासन ने 11 शवों का पोस्टमॉर्टम कराया है जबकि प्रशासन को सूचना दिए बिना परिजनों ने अन्य 7 मृतकों का दाह-संस्कार कर दिया।

रिपोर्ट के अनुसार गोपालगंज के महमदपुर थाने के कुशहर तुरहा टोले में मंगलवार की शाम करीब दो दर्जन लोगों ने शराब पी थी। ये शराब पाउच में थी और इसके पीने के बाद सभी की हालत बिगड़ने लगी। पेट में जलन और मुंह से झाग आने के बाद परिजनों ने स्थानीय अस्पताल और सदर अस्पताल में भर्ती कराया जहां बुधवार को 10 लोगों की मौत हो गई। वहीं गुरुवार को अन्य आठ लोगों ने दम तोड़ दिया। इस तरह मृतकों की संख्या बढ़कर 18 हो गई।

पश्चिम चंपारण में 15 लोगों की मौत

बुधवार शाम को पश्चिम चंपारण में कुछ लोगों ने गांव में देसी शराब पी थी। देर रात तबीयत बिगड़ने पर सभी को अस्पताल में भर्ती करवाया गया जिनमें से 15 लोगों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गई। पुलिस के अनुसार पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों पता चल पाएगा। मीडिया को दिए बयान में डीएम कुंदन कुमार ने कहा कि मामला संदिग्ध है। मेडिकल टीम भेजकर जांच करवाई जा रही है।

मृतकों की पहचान हाशिम, मुकेश पासवान, हनुमत सिंह, महराज यादव, बच्चा यादव, जवाहर सहनी, रमेश सहनी, उमाशंकर साह, ठग हजरा, सिकंदर राम, प्रकाश राम, मंगनी राम, धनीलाल राम, मदन राम और विकास राम के रुप में की गई है। ये सभी दक्षिण तेलहुआ पंचायत के रहने वाले हैं। जिनका इलाज चल रहा है उनमें मकोदर सहनी, झुना सहनी, मिर्जा सहनी और झखड़ पासवान शामिल हैं।

चौकीदार और दफदार निलंबित

रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को चंपारण रेंज के डीआइजी प्रणव कुमार प्रवीण जब घटनास्थल पर पहुंचे थे तो ग्रामीणों ने उनसे शिकायत की कि चौकीदार और दफदार द्वारा पैसा लेकर शराब का धंधा किया जाता है। इस आरोप के बाद डीआइजी ने मामले की जांच का आदेश दिया। जांच में दोषी पाए जाने के बाद चौकीदार पवन सिंह और दफादार प्रमोद यादव को निलबिंत कर दिया गया। वहीं उन्होंने कहा कि नौतन के थानाध्यक्ष मनीष कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया गया है। उधर बेतिया एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा द्वारा स्थानीय चौकीदार और दफदार को निलंबित करने के बाद कहा कि मैं खुद इस मामले का जांच कर रहा हूं। अगर कोई भी व्यक्ति दोषी पाए जाते हैं तो उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

शराबबंदी के बावजूद घटना में कमी नहीं

बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून अप्रैल 2016 में लागू कर दिया गया था। इस कानून के लागू होने के बावजूद इस साल अब तक कई घटनाएं सामने आई हैं जिसमें जहरीली शराब से करीब 73लोगों की मौत हो गई। जहरीली शराब से मौत का सबसे बड़ा मामला इस साल होली के ठीक बाद नवादा जिले में सामने आया था। यहां टाउन थाना क्षेत्र के गांवों में इसके इस्तेमाल के चलते करीब 16 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद फिर जुलाई महीने में पश्चिमी चंपारण के लौरिया में करीब करीब इतनी ही संख्या में लोगों की मौत का मामला सामने आया था। लेकिन अब सबसे बड़ी घटना गोपालगंज से सामने आई है जहां 18 लोगों की मौत हो गई है। 12 अक्टूबर को वैशाली जिला के राजापाकर थाना के बैकुंठपुर गांव में 55 वर्षीय रंजीत कुमार सिंह की मौत हो गई थी। वहीं24 अक्टूबर को सीवान के गुथानी थाना क्षेत्र के बेलौरी में जहरीली शराब से चार लोगों की मौत हो गई थी।

सरकार पर विपक्ष हमलावर

बिहार सरकार पर हमला बोलते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि बिहार की नीतीश-भाजपा सरकार ने महंगाई-बेरोजगारी से जनता का दिवाला निकालने एवं निवाला छीनने के साथ ही पिछले सप्ताह शराब से 50 से अधिक लोगों की जान ली है। मुख्यमंत्री दो शब्द संवेदना के भी प्रकट नहीं करेंगे। क्योंकि, इससे उनके द्वारा संरक्षित शराब माफिया नाराज हो जाएगा।

वहीं सीपीआई-एमएल के प्रदेश कमेटी के सदस्य व ऐक्टू के प्रदेश सचिव रणविजय कुमार ने कहा कि, "शराब को लेकर नीतीश सरकार की नीति फेल कर गई है। शराबबंदी सिर्फ कहने की बात है। यह पूरी तरह बेपटरी हो चुका है। इसको स्वीकार करने में नीतीश कुमार को परेशानी हो रही है। मुख्यमंत्री ने इसको प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है। जितना शराबकांड हो रहा उसकी गहराई से जांच की जाए तो उसमें शासन-प्रशासन, जदयू-भाजपा के लोग बड़े पैमाने पर शामिल पाए जाएंगे। नालंदा जिले के जदयू के जिलाध्यक्ष के घर से भारी मात्रा में अंग्रेजी शराब पकड़ा गया था तो एसपी को बदल दिया गया था। इनका फॉर्मूला है कि आम लोगों के लिए प्रतिबंधित रहेगा और उनके लिए चालू रहेगा। आम लोगों की कमाई को इस कानून की आड़ में खत्म करने का केवल ये गोरखधंधा है। बिहार की जनता के लिए शराबबंदी है और जदयू-भाजपा के लिए शराब चालू है। शराब पीने और बेचने के आरोप में सबसे ज़्यादा मुसहर जाति के लोग बंद हैं। इनकी संख्या करीब25 हजार से ज्यादा है जो अत्यंत पिछड़े हैं। इस मुद्दे को सीपीआई-एमएल ने विधानसभा में उठाया भी था तो सरकार ने आश्वासन दिया था लेकिन उसने कोई काम नहीं किया। इसमें सबसे ज्यादा यही गरीब महादलित लोग मर रहे हैं और जेल भी जा रहे हैं यही लोग।"  

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