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मुफ्त टीकाकरण की मांग को लेकर मई दिवस पर ट्रेड यूनियनों का विरोध प्रदर्शन

संगठनों से साझे बयान में कहा है कि वे मई दिवस (शनिवार) पर सरकार की ‘‘मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी, जन-विरोधी नीतियों’’ का भी विरोध करेंगे।
मुफ्त टीकाकरण की मांग को लेकर मई दिवस पर ट्रेड यूनियनों का विरोध प्रदर्शन
Image courtesy : The Week

नयी दिल्ली : केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच ने सबको कोविड19 का टीका मुफ्त लगवाने की मांग को ले कर मई दिवस पर प्रदर्शन करने की घोषणा की है। इसमें दस यूनियनें शामिल हैं।

ट्रेड यूनियनों ने  गरीब परिवारों के लिए 7,500 रुपये प्रति माह नकद और 10 किलोग्राम मुफ्त राशन दिए जाने की भी मांग कर रहे हैं। संगठनों से साझे बयान में कहा है कि वे मई दिवस (शनिवार) पर सरकार की ‘‘मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी, जन-विरोधी नीतियों’’ का भी विरोध करेंगे।

संयुक्त मंच ने अपनी मांगों के संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।

ट्रेड यूनियनों ने कोविड-19 संकट से निपटने में सरकार के ‘लापरवाह रवैये’ की भर्त्सना की है। इन 10 संगठनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एंप्लॉयड वुमेन्स एसोसिएशन (एसईडब्ल्यूए), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) शामिल हैं।

यूनियनों ने कोविड मामलों में वृद्धि को देखते हुए पर्याप्त अस्पताल के बिस्तर बढ़ाने, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सुविधाओं को मुहैया कराने की भी मांग की।

इन यूनियनों ने यह भी कहा कि सभी नियोक्ताओं को छंटनी, मजदूरी में कटौती और निवास से बेदखली पर रोक लगाने के सख्त आदेश भी दिए जाएं।

उन्होंने सभी आयकर दायरे से बाहर के परिवारों के लिए 7,500 रुपये प्रति माह नकद सहायता और अगले छह महीनों के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो मुफ्त राशन की मांग की है।

उन्होंने आशा और आंगनवाड़ी कर्मचारियों सहित सभी स्वास्थ्य देखभाल और फ्रंटलाइन श्रमिकों के लिए सुरक्षात्मक के साज-सामान और उपकरण तथा उन सभी के लिए व्यापक बीमा कवरेज दिये जाने की भी मांग की है।
 सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने अपने बयाना में कहा  सरकार से मांग करते  है कि नए प्रो-कॉरपोरेट के साथ-साथ भेदभावपूर्ण वैक्सीन नीति को वापस लिया जाए और राज्यों को वैक्सीन की 100% खरीद, राज्यों को टीकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय किए जाएं। पीएम केयर फंड का उपयोग करना। आपदा प्रबंधन अधिनियम द्वारा पर्याप्त रूप से सशक्त सरकार को इस दवा महामारी के दौरान लोगों के जीवन की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की अपनी जिम्मेदारी नहीं निभानी चाहिए।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संघों के संयुक्त मंच ने यह भी कहा  कि  सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हैं, जो हमेशा की तरह इस गंभीर स्थिति में राष्ट्र के बचाव में आ रही हैं। यह सार्वजनिक क्षेत्र की स्टील कंपनियां हैं जो ऑक्सीजन का उत्पादन और आपूर्ति कर रही हैं; यह भारतीय रेलवे ही है  जो जरूरतमंद राज्यों को ऑक्सीजन पहुँचा रही है। हम सरकार को यह भी याद दिलाते हैं कि यह हमारे देश में सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थान थे जिन्होंने 2008 के विश्व संकट के से देश को बचाया था । ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की मांग है कि सरकार को तुरंत अपने नासमझ निजीकरण अभियान को रोकना चाहिए।

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