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पुडुचेरी: कांग्रेस सरकार गिरी, मुख्यमंत्री नारायणसामी ने एलजी को इस्तीफ़ा सौंपा

आख़िरकार एक और ग़ैर भाजपा सरकार गिर गई। पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी और सत्तारूढ़ कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन के विधायकों ने उप राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया।
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पुडुचेरी: आख़िरकार पुडुचेरी की ग़ैर भाजपा सरकार गिर गई। पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी और सत्तारूढ़ कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन के विधायकों ने सोमवार को विश्वासमत में सरकार की हार के बाद उप राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

विधानसभा में विश्वासमत प्रस्ताव पर मतदान से पूर्व ही स्पीकर ने ऐलान किया कि सरकार के पास विश्वासमत नहीं है। इसके बाद मुख्यमंत्री वी नारायणसामी और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया। मुख्यमंत्री राजनिवास पहुंचे और उप राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा।

नारायणसामी ने उप राज्यपाल तमिलिसाई से मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘मैंने, मंत्रियों ने , कांग्रेस और द्रमुक विधायकों और निर्दलीय विधायकों ने अपना इस्तीफा दे दिया है और इन्हें स्वीकार किया जाना चाहिए।’’हालांकि उन्होंने अगले कदम को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।

सरकार को द्रमुक और निर्दलीय विधायक भी समर्थन दे रहे थे।

गौरतलब है कि कांग्रेस के विधायक के. लक्ष्मीनारायणन और द्रमुक के विधायक वेंकटेशन के रविवार को इस्तीफा देने के बाद 33 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 11 हो गई, जबकि विपक्षी दलों के 14 विधायक हैं।

पूर्व मंत्री ए. नमसिवायम (अब भाजपा में) और मल्लाडी कृष्ण राव समेत कांग्रेस के चार विधायकों ने इससे पहले इस्तीफा दिया था, जबकि पार्टी के एक अन्य विधायक को अयोग्य ठहराया गया था। नारायणसामी के करीबी ए. जॉन कुमार ने भी इस सप्ताह इस्तीफा दे दिया था।

आपको यहां यह भी बता दें कि इससे पहले पुडुचेरी की उप राज्यपाल किरन बेदी को हटा दिया गया था और उनकी जगह तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन को पुडुचेरी का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया गया था।

यह पहेली लोगों को समझ नहीं आ रही थी, कि किरन बेदी को क्यों अचानक  हटाया गया, जबकि उसी समय पुडुचेरी में हुए अचानक राजनीतिक घटनाक्रम के तहत एक और विधायक के इस्तीफे के बाद इस केंद्र शासित प्रदेश की कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। लेकिन उसी समय उपराज्यपाल किरन बेदी को उनके पद से हटा दिया गया, जिसकी मांग कांग्रेस लंबे समय से कर रही थी।

जानकारों का कहना है कि इससे पहले किरन बेदी को इसलिए ही हटाया गया क्योंकि नारायणसामी समेत सत्तारूढ़ पार्टी ने किरन बेदी को मुद्दा बनाया हुआ था कि वे प्रदेश की सरकार को काम नहीं करने दे रही हैं। ऐसे में अगर उन्हीं के रहते सरकार गिरती तो सीधा आरोप किरन बेदी की मार्फ़त केंद्र सरकार पर ही लगता और नारायणसामी सहानुभूति बटोर सकते थे, कि उनकी सरकार को जबरन गिरा दिया गया है। हालांकि वे अब भी इसी को मुद्दा बनाएंगे लेकिन केंद्र ने किरन बेदी को पहले ही हटाकर इस नुकसान को कम करने की कोशिश की है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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