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पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

पंजाब के 20 दिसंबर से किसान पूर्ण क़र्ज़ माफ़ी, कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ साल भर चले आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवज़ा देने और उनके ख़िलाफ़ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
Punjab

पंजाब में किसान मज़दूर संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों ने सोमवार को आंदोलन शुरू किया था। इस दौरान किसानों ने कई ज़िलों में रेल रोको आंदोलन चलाया हुआ है। पंजाब में विभिन्न स्थानों पर बुधवार को आंदोलन के चौथे दिन भी किसानों ने रेल पटरियों को अवरुद्ध किया, जिससे 128 ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई।

किसान पूर्ण क़र्ज़ माफ़ी, कृषि क़ानूनों के खिलाफ साल भर चले आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवज़ा देने और उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

इसी तरह की मांगों को लेकर भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के नेतृत्व में किसान पंजाब के सभी ज़िला सचिवालयों के बाहर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। बीकेयू (उगराहां) ने 20 दिसंबर से जिला सचिवालयों के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू किए हैं। बीकेयू उगराहां ने अपने प्रदर्शनों को 24 दिसंबर तक चलाने का फ़ैसला किया है।

बीकेयू (उगराहां) के मुखिया जोगिंद्र सिंह उगराहां का कहना है कि वह 24 दिसंबर के बाद आंदोलन को लेकर अपनी आगे की रणनीति बताएंगे। इस बीच 23 दिसंबर को जोगिंद्र सिंह उगराहां की मीटिंग मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ हुई। इस मीटिंग में मुख्यमंत्री चन्नी ने किसानों की सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है। मगर किसानों का कहना है कि मांगें पूरी होने तक उन्हें सरकार पर भरोसा नहीं होगा। आंदोलन की आगे की रणनीति कल यानी 24 दिसंबर को बताई जाएगी।

दिल्ली की सीमाओं से वापसी के बाद ही पंजाब के किसान संगठनों ने साफ़ कर दिया था कि वह राज्य सरकार के खिलाफ केस वापसी और आंदोलन में जान गंवाने लोगों के परिजनों के मुआवज़े की मांग को लेकर आंदोलन करेंगे। 

इसके अलावा पंजाब के किसान संगठनों की ओर से कांग्रेस सरकार पर 2017 के विधानसभा चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने के लिए दबाव भी बनाया जा रहा है।

किसान संगठनों का कहना है कि पंजाब की सरकार जानबूझकर कोई फ़ैसला नहीं ले रही और वो आचार संहिता लागू होने का इंतज़ार कर रही है।

आंदोलन से ट्रेन सेवा प्रभावित

रेलवे के फ़िरोज़पुर मंडल के अधिकारियों के अनुसार किसानों के रेल रोको अभियान की वजह से 59 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया। 34 ट्रेनों को उनके नियत प्रस्थान स्टेशन की जगह किसी दूसरे स्टेशन से चलाया गया और 35 ट्रेनों को उनके निर्धारित गंतव्य स्टेशन से पहले ही रोक दिया गया।

प्रभावित होने वाली 128 ट्रेनों में से 104 ट्रेनें मेल या एक्सप्रेस ट्रेनें थीं, जबकि 24 यात्री ट्रेनें थीं। मंडल रेल प्रबंधक (फ़िरोज़पुर मंडल) सीमा शर्मा ने कहा कि यात्रियों को हर संभव मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए रेलवे ने सभी स्टेशनों पर हेल्प डेस्क स्थापित किए हैं।

उन्होंने कहा, ”हम यात्रियों को किसी भी असुविधा से बचाने के लिए कम दूरी के स्टेशनों के बीच ट्रेनें चलाने की कोशिश कर रहे हैं।”

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ )

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