Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

पंजाब: सियासत पर फिर चढ़ने लगा 'धार्मिक रंग'

शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस और भाजपा के बाद अब आम आदमी पार्टी भी इन दिनों ख़ूब 'धार्मिक राजनीति' कर रही है। फ़ौरी मौका है जालंधर संसदीय सीट पर उपचुनाव का।
punjab

पंजाब में धर्म और राजनीति का गहरा रिश्ता बहुत पुराना है। सूबे के तमाम गैर-वामपंथी सियासी दल चुनाव के वक्त कुछ ज्यादा ही धार्मिक रंगत में रंग जाते हैं। शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस और भाजपा के बाद अब आम आदमी पार्टी भी इन दिनों खूब 'धार्मिक राजनीति' कर रही है। फौरी मौका है जालंधर संसदीय सीट पर उपचुनाव का। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस के स्थानीय सांसद संतोख सिंह चौधरी का आकस्मिक निधन होने के बाद यह सीट खाली हुई है और इस पर उपचुनाव अप्रैल या मई में होगा।

अमूमन जालंधर यात्रा से लगभग परहेज रखने वाले राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तीन हफ्तों के भीतर इस महानगर का पांच बार दौरा किया और तमाम दौरे खासतौर पर धार्मिक स्थलों के लिए थे। इसी मानिंद कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेता भी लगातार जालंधर के धार्मिक समागमों में लगातार शिरकत कर रहे हैं।

जालंधर संसदीय क्षेत्र में रविदास समुदाय से जुड़े लोगों के वोट जीत-हार के लिए निर्णायक साबित होते हैं। तीन सप्ताह पहले जालंधर से रविदास जयंती मनाने के लिए उत्तर प्रदेश गई विशेष रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान विशेष तौर पर आए। ठीक दो दिन के बाद वह रविदास से संबंधित धार्मिक कार्यक्रमों में शिरकत के लिए आए। उसके बाद वह फिर रविदासिया समुदाय के पंजाब में स्थित सबसे बड़े डेरे बल्लां में नतमस्तक हुए।

18 फरवरी को मुख्यमंत्री भगवंत मान महाशिवरात्रि के मौके पर जालंधर के दो बड़े मंदिरों में आए और बकायदा पूजा-अर्चना की। यह दौरा भी ठेठ धार्मिक रंगत वाला था। इसी दिन कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग भी इन्हीं मंदिरों में गए। वरिष्ठ भाजपा नेता भी। शिरोमणि अकाली दल प्रधान सुखबीर सिंह बादल पहले ही इन तमाम धार्मिक स्थलों और डेरों में हाजिरी लगवा चुके हैं।

इन विशेष 'धार्मिक दौरों' का महज एकमात्र मकसद यही है कि किसी तरह जालंधर संसदीय सीट पर जीत हासिल की जाए। ये तमाम राजनीतिक दल अन्य विभिन्न डेरों और डेरेदारों के संपर्क में हैं।

पंजाब के तमाम सियासतदान (वामपंथियों को छोड़कर) जमकर धर्म की राजनीति करते आए हैं। धार्मिक अथवा सामुदायिक डेरों की ओर उनका खास 'ध्यान' रहता है। सूबे में तकरीबन 200 से ज्यादा छोटे-बड़े डेरे हैं। प्रमुख डेरों में राधास्वामी ब्यास, बल्लां, दिव्य जागृति संस्थान नूरमहल, बाबा प्यारा सिंह पनिहारा डेरा, सच्चा सौदा, नामधारियों का लुधियाना स्थित भैणी साहिब, निरंकारी समुदाय के डेरे प्रमुख हैं।

उपरोक्त तमाम डेरों का गंभीर विवादों से भी गहरा रिश्ता रहा है। एकाधिक राजनीतिक दल सीधे तौर पर इनसे जुड़े हुए हैं। उनकी शह और 'शरण' इन तमाम डेरों को हासिल है। कई डेरेदार ऐसे हैं; जिन्हें जेड-प्लस सुरक्षा-व्यवस्था हासिल है। इसलिए भी कि राज्य सरकारों के साथ-साथ, केंद्र की मौके की सरकारों से भी इनके संबंध हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार ब्यास स्थित राधास्वामी डेरे में आ चुके हैं और राधास्वामी प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत से भी गहरे ताल्लुक हैं। साथ ही, शिरोमणि अकाली दल से जुड़े एक बड़े नेता से उनकी रिश्तेदारी है।

राहुल गांधी भी कई बार ब्यास जा चुके हैं। पंजाब के इस सबसे बड़े डेरे के अनुयायी लाखों की तादाद में हैं। राजनीतिक नेताओं की डेरों में आवाजाही कहीं न कहीं 'विशेष संदेश' देती है और इसे बखूबी 'लिया' भी जाता है।

पंजाब में खड़ा हुआ किसान मोर्चा दिल्ली सीमा तक गया। जनपक्षीय आंदोलन रोजमर्रा हो रहे हैं और होते रहे हैं लेकिन सूबे के तमाम डेरे इस बाबत हमेशा से ही खामोश रहते आए हैं।

जब महाशिवरात्रि पर्व पर जालंधर के मंदिरों में मुख्यमंत्री भगवंत मान और विपक्षी दलों के नेता नतमस्तक हो रहे थे, ठीक उसी वक्त भगवंत मान के संगरूर स्थित निवास के बाहर बेरोजगारों पर पुलिस का बेरहम लाठीचार्ज हो रहा था!

प्रसंगवश, पंजाब में इन दिनों एक और नाम अमृतपाल सिंह खालसा कोने-कोने में गूंज रहा है। दो दिन पहले उसने अपने साथियों के साथ मिलकर एक व्यक्ति को जानलेवा यातनाएं दीं। अमृतपाल सिंह खालसा और उसके साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ लेकिन गिरफ्तारी महज एक! खुलेआम दनदनाता घूम रहा अमृतपाल सिंह खालसा हुकूमत को खुली चुनौती दे रहा है लेकिन खामोशी इसलिए है कि उसे अब 'धार्मिक नेता' के बतौर 'स्थापित' किया जा रहा है। धर्मनिरपेक्ष और राज्य के अल्पसंख्यक उससे खौफजदा हैं लेकिन फिर भी वह छुट्टा है। क्यों? इसका माकूल जवाब किसी के पास नहीं। सूबे से लेकर केंद्र की हुकूमत तक उस बाबत इसलिए भी खामोशी है कि वह तथाकथित तौर पर 'अमृत संचार' कर रहा है। अमृत संचार यानी सिखों को अमृतधारी बनाना। यह एक धार्मिक कारगुजारी है।

अमृतपाल सिंह खालसा सरेआम कहता है कि वह पंजाब को एक दिन खालिस्तान में तब्दील कर देगा। ऐसा संभव तो नहीं लेकिन जहरसनी आवाज वाले इस शख्स को काबू में क्यों नहीं किया जा रहा? इस सवाल का जवाब इसी में निहित है कि पंजाब की सत्ताई और गैरसत्ताई सियासत इन दिनों धार्मिक रंगत में है!

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest