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सिद्धू की ‘बग़ावत’ पर चन्नी के 111 दिन हावी... अब कांग्रेस को कितना मिलेगा 'गुरु’ का साथ!

राहुल गांधी ने अपने कहे मुताबिक पंजाब कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया है, हालांकि लंबे वक्त से बग़ावत किए बैठे सिद्धू भी सरेंडर करते नज़र आए और हर फ़ैसले में राहुल गांधी का साथ देने की बात कही.. अब देखना होगा कि कांग्रेस को इसका कितना फ़ायदा होगा?
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पिछले पांच सालों में पंजाब की सियासत ने खूब करवटें बदली। जिसमें सत्ताधारी कांग्रेस के अंदरखाने कभी मुख्यमंत्री पद को लेकर तो कभी प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जमकर खींचतान हुई। फिलहाल कांग्रेस के लिए जो सबसे बड़ा सवाल था कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इसका जवाब मिल गया है।

सिद्धू पर भारी चन्नी के ‘111’ दिन

एक लाइन में कहें तो नवजोत सिंह सिद्धू की बगावत पर चरणजीत सिंह चन्नी की सादगी भारी पड़ती नज़र आई। यही कारण है कि राहुल गांधी ने चन्नी को उनके 111 दिनों के काम पर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। अब सवाल सबसे बड़ा ये हैं कि अड़ियल मिजाज़ वाले सिद्धू इतनी जल्दी मान कैसे गए? या फिर सिद्धू को दरकिनार करना कहीं कांग्रेस को भारी न पड़ जाए?

एक कदम पीछे हटकर भी खेल गए ‘गुरू’

वैसे सिद्धू का यूं मान जाना भी बेहद सियासी है। क्योंकि चरणजीत सिंह चन्नी के लिए ये चुनाव करो या मरो का है। कहने का अर्थ ये कि अगर कांग्रेस की जीत होती है तो नवजोत सिंह सिद्धू इसका श्रेय ज़रूर लेंगे। लेकिन अगर कांग्रेस हार जाती है तो सारा ठीकरा चन्नी पर फूटेगा, और ये कहना गलत नहीं होगा कि हार के बाद चरणजीत सिंह चन्नी राजनीतिक हाशिए पर पहुंच जाएंगे। जिसके बाद पंजाब में कांग्रेस के लिए सिर्फ नवजोत सिंह सिद्धू ही एकमात्र बड़ा चेहरा दिखाई देंगे। वहीं दूसरी ओर अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो वो एक्साइज़ और माइनिंग के मंत्रालय के साथ डिप्टी सीएम पद की मांग कर सकते हैं। जिसमें मुख्यमंत्री का किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।

हार या जीत... सिद्धू को होगा फायदा

सिद्धू की ओर से एक्साइज़ और माइनिंग मंत्रालय मांगे जाने के कयास हम इस बात से लगा सकते हैं कि पहले दिन से ही सिद्धू के पंजाब मॉडल में माफिया राज खत्म करना बड़ा एजेंडा रहा है, जिसमें सबसे अहम रेत माफिया और शराब माफिया हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने जिस तरह सिद्धू के नाम पर कैप्टन अमरिंदर सिंह को दरकिनार किया, फिर सिद्धू को पंजाब का मुखिया बनाकर प्रदेश के केंद्र में ले आए। और अब कांग्रेस की ओर से पंजाब में अपनी प्रतिष्ठा को दांव पर लगा देना। यानी पंजाब में चाहे हार हो या जीत, सिद्धू फायदे में ही रहेंगे।

चन्नी होंगे सीएम... ये कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक है?

पंजाब में सिद्धू को दोनों ही ओर से फायदा होने वाला है इतना तो माना जा सकता है, लेकिन चन्नी ही क्यों सीएम बनेंगे ये भी एक बड़ा सवाल है? दरअसल चरणजीत सिंह चन्नी मज़हबी तौर पर सिख हैं, यानी सिखों का उसके साथ सहज़ दिखना लाज़मी हैं, वहीं दूसरी ओर चन्नी एक ऐसे समुदाय से हैं जो पंजाब में बरसों से एक नेतृत्व की आस में था। अब जब चन्नी को पूरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया गया तो उन्होंने मज़बूत एससी नेता की छवि बना ली। वहीं दूसरी ओर जिस तरह से कांग्रेस ने चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया था, उसी तरह से चन्नी ने भी ‘महाराज’ मुख्यमंत्री वाले तिलिस्म को खत्म कर दिया। पार्टी को एंटी इनकंबेंसी से उबार लिया। और पीएम सिक्योरिटी के मामले में जिस तरह चतुराई दिखाई उसने हाईकमान का दिल जीत लिया। यानी सिद्धू को पीछे कर चन्नी को आगे लाना कांग्रेस के हिसाब से उसका मास्टरस्ट्रोक है।

पंजाब का समीकरण

विधानसभा सीटों की संख्या- 117

जिलों की संख्या- 22

सिखों की कुल आबादी- 57.75%

हिंदुओं की कुल आबादी- 38.49%

अनुसूचित जाति- 31.94%

अन्य- 10.57%

प्रदेश के 18 जिलों में सिख बहुसंख्यक हैं, जिसमें खास बात ये है कि सिख और हिन्दू धर्म से जुड़े 32 फीसदी दलित वोटरों की ये तादाद कभी एकजुट नहीं रही और न ही इनपर हमेशा किसी एक पार्टी का वोट बैंक होने का ठप्पा लगा है। वहीं पंजाब में 34 एससी सीटों के अलावा 20 सामान्य सीटें ऐसी हैं, जहां 30 प्रतिशत एससी वोटर हैं। बहुमत के लिए 59 सीटें चाहिए। जिसका 90 प्रतिशत तक इन्हीं 54 सीटों में हो जाता है। यानी अगर इस बार चन्नी के नाम पर वोट पड़े तो कांग्रेस का प्रदर्शन पिछली बार से अच्छा हो सकता है। आंकड़ों से साफ है कि राहुल गांधी ने क्यों सिद्धू को हीरे का टुकड़ा कहा और चन्नी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना दिया। तीन प्वाइंट्स में थोड़ा और समझते हैं।

  • चरणजीत सिंह चन्नी सीधे-सीधे कांग्रेस को 32 फीसदी दलितों का वोट दिला सकते हैं।
  • नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब के 19 फीसदी जट्ट सिखों का वोट दिलवाकर वाकई राहुल के लिए हीरे का टुकड़ा साबित हो सकते हैं।
  • सिद्धू 69 सीटों वाले मालवा क्षेत्र को भी अपनी ओर कर सकते हैं।

कांग्रेस के लिए दलित और जट्ट सिख वोट बैंक ज़रूरी

  • हिंदू वोट बैंक में कांग्रेस को हो सकती है दिक्कत
  • कांग्रेस का बड़ा हिंदू चेहरा सुनील जाखड़ चुनाव प्रचार से दूर
  • कैप्टन और भाजपा का गठजोड़ कांग्रेस को हिंदू वोट बैंक का पहुंचा सकते हैं नुकसान
  • चन्नी को सिद्धू-चन्नी पर दांव खेलना मजबूरी

ख़ैर... अब चन्नी पंजाब के केंद्र में हैं, और कांग्रेस के सरदार हो चुके हैं, लेकिन किसी से छिपा नहीं है कि इतना सब करने के लिए कांग्रेस को किस जद्दोज़हद से गुज़रना पड़ा है। राहुल गांधी के लिए चन्नी को सीएम का उम्मीदवार घोषित करना इतना आसान नहीं था, क्योंकि इसके लिए पहले कार्यकर्ताओं से वोटिंग और फिर अंत में 4 घंटे और लग गए। इन चार घंटों के बीच भी एक लंबी फिल्म चली, जिसमें सिद्धू के साथ राहुल गांधी की बंद कमरे में मीटिंग से लेकर, भविष्य के प्लान तक शामिल हैं। फिलहाल ये चार घंटे अभी सीक्रेट हैं।

अपने-अपने अंदाज़ में दिखाया गुस्सा

चन्नी को मुख्यमंत्री घोषित करने के लिए कार्यक्रम की शुरुआत सुनील जाखड़ के भाषण से शुरू हुई, जाखड़ ने मौका नहीं गंवाया, और अपने सटीक अंदाज़ में अपना रोष व्यक्त कर लिया। लेकिन राहुल की तारीफ करना नहीं भूले, और उन्होंने राहुल को हीरा बता डाला। इसके बाद सिद्धू ने भी बातों-बातों में राहुल गांधी के सामने कह डाला.. कि आप मुझे सिर्फ दार्शनिक घोड़ा बना कर ही रखेंगे या फिर कोई ज़िम्मेदारी भी देंगे।

सिद्धू को मनाने के लिए सीक्रेट मीटिंग

आखिर में बारी थी राहुल गांधी की और नतीजे की, जैसा कि सीक्रेट मीटिंग में ही तय चुका होगा, चन्नी को गरीब का बेटा बताकर सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। हालांकि इस दौरान राहुल ने सिद्धू और सुनील जाखड़ और रवनीत बिट्टू की खूब तारीफ की।

बेहद नपे-तुले चन्नी के शब्द

राहुल गांधी के बाद मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार चरणजीत सिंह चन्नी ने अपनी बात रखी, चन्नी ने बेहद नपे-तुले शब्दों में अपनी बात रखते हुए अपनी 111 दिनों की उपलब्धियां गिनाईं। साथ ही आम आदमी पार्टी को निशाने पर रखा। यहां के बाद चन्नी ने एक भी मिनट ज़ाया नहीं होने दिया और वो अपनी जिम्मेदारी के अनुसार सीधा नानकसर के गुरुद्वारा साहिब में नतमस्तक होने पहुंचे, फिर रविदास मंदिर में नतमस्तक होकर दलित समाज को संदेश दे दिया।

कैसे पंजाब कांग्रेस के केंद्र बने चन्नी

चरणजीत सिंह चन्नी जिस तरह एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं, ये फिल्म भी छोटी नहीं है, इसके पीछे चरणजीत सिंह चन्नी का सियासी गणित है। चन्नी को पता है कि वो कब क्या करेंगे, जिससे हाईकमान इंप्रेस होगा। कैसे पंजाब में कांग्रेस के केंद्र बने चन्नी, कुछ बिंदुओं में समझते हैं:

2012 में सुनील जाखड़ पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता थे, अचानक हाईकमान ने 2015 में जाखड़ को हटा चरणजीत चन्नी को विपक्ष का नेता बना दिया।

  • 18 सितंबर को जब कैप्टन अमरिंदर सिंह को मजबूर होकर इस्तीफा देना पड़ा तो अगले CM की रेस में सबसे आगे सुनील जाखड़ थे, अचानक सिख स्टेट-सिख सीएम का मुद्दा उठा फिर सिद्धू और सुखविंदर रंधावा का नाम आगे आ गया।
  • लेकिन कांग्रेस को मजहबी तौर पर सिख और 32% दलितों के नेता चन्नी सबसे सटीक लगे। एक फोन ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया।
  • मुख्यमंत्री बनते ही चन्नी ने मुख्यमंत्री कैप्टन की ‘महाराजा’ वाली छवि तोड़ी, फिर पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी में स्टेज पर भांगड़ा कर खुद को आम आदमी साबित कर दिया।
  • VIP सुरक्षा को दरकिनार कर लोगों से मिलने लगे, बुजुर्गों के पैर छूने लगे, फिर बच्चों को हेलीकॉप्टर में घुमाकर सभी को चौंका दिया।
  • चन्नी ने अपने कामों के जरिए खुद को कैप्टन के 4 साल के कार्यकाल पर हावी कर लिया। और कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना दिया।
  • कुर्सी संभालने के बाद चन्नी ने 100 दिन में 100 से ज्यादा फैसले निपटा दिए, पानी, बिजली, सस्ता पेट्रोल-डीज़ल, बेघर लोगों को ज़मीन का मालिकाना हक दिला दिया।
  • नवजोत सिंह सिद्धू के मामले में भी चन्नी ने कभी कोई टिप्पणी नहीं की, जबकि सिद्धू लगातार उनके फैसलों पर सवाल उठाते रहे।
  • पीएम सुरक्षा में चूक मुद्दे पर डिफेंसिव की जगह चन्नी अटैकिंग मूड में दिखे और इस मुद्दे को पंजाब से जोड़ दिया। चन्नी ने कहा कि पंजाब के किसानों पर लाठी-गोली नहीं चला सकते।
  • पीएम की सुरक्षा को लेकर पहली गोली खुद खाने वाली चन्नी की बात मीडिया में ट्रेंड कर गई।
  • राहुल गांधी की ओर से मुख्यमंत्री घोषित किए जाते ही चन्नी ने सिद्धू के पैर छुए और उनके गले लग गए।

कांग्रेस हाईकमान के सामने खुद को साबित करने वाले चरणजीत सिंह चन्नी का राजनीतिक करियर कैसा रहा:

  • 3 बार पार्षद का चुनाव जीते हैं।
  • खरड़ नगर कौंसिल के अध्यक्ष रहे हैं।
  •  2007 में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर स्वतंत्र जीत दर्ज की।
  • 2012 और 2017 में कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल की।
  • 2017 में कैप्टन सरकार में टेक्निकल एजुकेशन मंत्री बने।
  • सितंबर 2021 में कैप्टन अमरिंदर की जगह पंजाब के मुख्यमंत्री बने।
  • 2022 विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बने।

ख़ैर चरणजीत सिंह चन्नी को आगे कर कांग्रेस पंजाब में नई सियासी लकीर खींचना चाहती है। अब देखना होगा कि कैप्टन को दरकिनार कर खुद को पंजाब का ‘गुरु’ बनाने की चाह रखने वाले सिद्धू,  चन्नी का और कांग्रेस का कितना साथ देते हैं।

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