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राजस्थान: डूंगरपुर का शिक्षक भर्ती प्रकरण गहलोत सरकार के लिए नई चुनौती 

शिक्षक भर्ती के इस मामले को लेकर आदिवासी वंचित अभ्यर्थी पिछले 2 साल से प्रदर्शन कर रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा बनाई कमेटी के बाद भी अपनी समस्या का कोई हल नहीं मिलने पर एक बार फिर प्रदर्शनकारी अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर हैं। हालांकि इस बार प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया है।
राजस्थान

राजस्थान में शिक्षक भर्ती 2018 के अनारक्षित पदों को आरक्षित करने की मांग को लेकर चल रह रहा प्रदर्शन उग्र होने के बाद गहलोत सरकार के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। एक ओर राज्य में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं तो इसी बीच बड़ी संख्या में पुलिस और प्रदर्शनकारी भी सड़कों पर हैं। विपक्ष सरकार पर हमलावर है तो वहीं प्रदर्शनकारी अपनी मांगों की सुनवाई बिना पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

क्या है पूरा मामला?

स्थानीय मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक राजस्थान के डूंगरपुर की कांकरी डूंगरी पहाड़ी में 7 सितंबर से शिक्षक भर्ती यानी रीट परीक्षा 2018 के अनारक्षित 1167 पदों को अनुसूचित जाति (एसटी वर्ग) के उम्मीदवारों से भरने की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहा है।

दरअसल, रीट परीक्षा राजस्थान राज्य के भीतर शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित की जाती है। इसी के तहत तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा-2018 आयोजित हुई थी। जिसमें जनजाति बहुल क्षेत्र में रिक्त रहे सामान्य वर्ग के पदों को अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों से भरे जाने की मांग आदिवासी समुदाय के लोग कर रहे हैं। इसे लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे रद्द कर दिया गया है।

कोरोना महामारी के चलते पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार प्रदर्शन खत्म करने को लेकर दबाव बनाया जा रहा था। बावजूद इसके प्रदर्शनकारी हटने को तैयार नहीं थे। जिसके चलते बिछीवाड़ा पुलिस ने कोविड महामारी के नियम तोड़ने और गैर जमानती धारा में दो अलग-अलग मामले दर्ज किए। इसके बाद प्रदर्शकारियों का गुस्सा भड़क उठा।

पिछले 17 दिनों से शांति पूर्वक चल रहा ये प्रदर्शन गुरुवार, 24 सितंबर को अचानक उग्र हो गया। हजारों की संख्या में आदिवासी वर्ग के युवा और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उदयपुर-अहमदाबाद एनएच-8 पर उतर आए। हाइवे जाम कर दिया। इसके बाद तोड़-फोड़, आगजनी और पथराव शुरू हो गया। मीडिया और सोशल मीडिया में इससे जुड़े कई वीडियो और फोटो सामने आए। 24 सितंबर से शुरू हुआ हिंसक प्रदर्शन 25 सितंबर को भी जारी रहा।

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प्रदर्शन के दौरान क्या-क्या हुआ?

खबरों के अनुसार बृहस्पतिवार, 24 सितंबर को प्रदर्शनकारियों ने बिछीवाडा क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाने के साथ ही पुलिस पर पथराव किया था। आरोप है कि चार पुलिस गाड़ियों समेत कई वाहनों में आग भी लगा दी गई थी। कई मकानों-दुकानों और होटलों में लूटपाट की। पुलिस पर जमकर हमले हुए। पथराव में एक एएसपी और एक थानाध्यक्ष समेत दो पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे। इसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का उपयोग कर हालात नियंत्रित करने पड़े।

डूंगरपुर से भड़की ये आग खेरवाड़ा से लेकर उदयपुर तक पहंच गई। शुक्रवार, 25 सितंबर को दिन में निजी बसों को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया। उदयपुर से आए पुलिस के कई जवान झड़प में घायल हो गए। हालात बिगड़ते देख राज्य सरकार ने हाई लेवल मीटिंग बुलाई। संभाग के सभी जनजाति विधायकों को जयपुर तलब किया।

इधर, खेरवाड़ा तक आंदोलनकारियों के पहुंचने के बाद उदयपुर रेंज की आईजी विनीता ठाकुर, संभागीय आयुक्त, उदयपुर कलेक्टर, एसपी, बड़ी संख्या में फोर्स के साथ खेरवाड़ा पहुंचे, लेकिन भीड़ काबू में नहीं आई। दो दिनों में करीब 20 पुलिसकर्मी घायल हो गए। साथ ही करोड़ों रुपए की प्रोपर्टी आग के हवाले की जा चुकी है।

राजस्थान सरकार क्या कर रही है?

शुक्रवार, 25 सितंबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील की थी। मुख्यमंत्री इसके बाद रात में प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। बैठक में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के अलावा डूंगरपुर क्षेत्र से कांग्रेस व भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायकों भी शामिल रहे। आज, शनिवार, को भी उदयपुर में प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधिमंडल को बैठक के लिए बुलाया गया।

मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद राज्य मंत्री अर्जुन बमानिया ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की। हालांकि डूंगरपुर के बिछीवाडा पुलिस थाना क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर हिंसक प्रदर्शन के बाद प्रभावित हुआ आवागमन अब तक सामान्य नहीं हो पाया है। 

विपक्ष क्या कह रहा है?

प्रदर्शनकारियों के उग्र आंदेलन के लिए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और बीजेपी नेताओं ने प्रदेश की गहलोत सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) विधायक राजकुमार रोत ने राज्य सरकार और पुलिस दोनों को दोषी ठहराया है।

हालांकि कुछ स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक खबरें ये भी हैं कि कांकरी डूंगरी में धरने पर बैठे जनजाति अभ्यर्थी इस आंदोलन से दूर हो गए। इसके बाद उपद्रवियों ने आगजनी और लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दिया। यानी आंदोलन को जान-बूझकर उग्र बनाया गया। इस दौरान कई बार पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई।

गौरतलब है कि इस मामले को लेकर आदिवासी वंचित अभ्यर्थी पिछले 2 साल से प्रदर्शन कर रहे हैं। साल 2019 में भी इन्होंने हाईवे स्थित पहाड़ी पर लगभग 20 दिनों तक डेरा डालकर प्रदर्शन किया था। जिसके बाद मामले का हल निकालने के लिए सरकार द्वार एक कमेटी का गठन किया था। हालांकि उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद एक बार फिर आदिवासी अभ्यार्थियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। डूंगरपुर जिले में प्रदर्शन हिंसक होने के बाद से जिले में धारा-144 लागू कर दी गई है। शुक्रवार दोपहर 12 बजे के बाद पूरे जिले में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है। पुलिस अब तक हिंसा के मामले में 700 लोगों को नामजद कर चुकी है।

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