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2018 की बाढ़ के बाद दोबारा बनाया गया, केरल का FHC राज्य के लचीले सरकारी स्वास्थ्य तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है

मलप्पुरम के वझक्कड में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 2018 की बाढ़ में पूरी तरह बर्बाद हो गया था। इसे अब दोबारा बना लिया गया है। यह अपनी तरह का देश का सबसे बड़ा केंद्र है। केरल के सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र ने पिछले कुछ सालों में बहुत उन्नति की है और यह कोविड-19 महामारी के दौरान भी मजबूती के साथ खड़ा रहा।
2018 की बाढ़ के बाद दोबारा बनाया गया, केरल का FHC राज्य के लचीले सरकारी स्वास्थ्य तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है

24 जुलाई को एक ऑनलाइन इवेंट में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने औपचारिक तौर पर स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े 25 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया। यह प्रोजेक्ट लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) सरकार के 100 दिन के कार्यक्रम के तहत चालू किए गए हैं। इसमें 6 उन्नत पारिवारिक स्वास्थ्य केंद्र (FHCs) और 28 नए स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र शामिल हैं। मलप्पुरम के वझक्कड में जिस FHC का उद्घाटन किया गया है, वह 2018 की बाढ़ में पूरी तरह बर्बाद हो गया था। यह अपनी तरह का राज्य में सबसे बड़ा सुविधा केंद्र है। यह पूरे कार्यक्रम का सबसे ज़्यादा उल्लेखित हिस्सा था, जिसमें एक मजबूत स्वास्थ्य तंत्र बनाने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों को बताया गया।

वझक्कड पारिवारिक स्वास्थ्य केंद्र और "केरला रिबिल्ड इनीशिएटिव" कार्यक्रम

तीन साल पहले अगस्त में बाढ़ से भयानक तबाही फैली थी। यह बाढ़ अप्रत्याशित बारिश के बाद आई थी, तब सामान्य औसत से 96 फ़ीसदी ज़्यादा वर्षा हुई थी। बाढ़ के चलते 433 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं करीब़ 31,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। WMO (वर्ल्ड मीटियोरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन) के मुताबिक, बाढ़ 2015 से 2020 के बीच आई सबसे बड़ी बाढ़ की घटनाओं में से एक थी। बाढ़ के दौरान चालियार नदी ने वझक्कड के पारिवारिक स्वास्थ्य केंद्र को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था। इस बाढ़ ने LDF सरकार के आर्द्रम योजना के तहत कई PHC को FHC में बदलने के कार्यक्रम पर रोक लगा दी थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जनता की निजी अस्पतालों पर निर्भरता को कम करना था। 

बाढ़ के बाद सरकार ने केरला इनीशिएटिव (RKI) को खड़ा किया। इसका लक्ष्य राज्य का सतत सुधार और पुनर्निमार्ण था। इस कवायद का लक्ष्य पुनर्निर्माण के लिए उन्नत अवसरंचना का निर्माण और पर्यावरणीय और तकनीकी सुरक्षा का निर्माण था, ताकि भविष्य में यह इमारतें बाढ़ की स्थिति में मजबूती से खड़ी रह सकें। RKI के हिस्से के तौर पर वझक्कड में फरवरी, 2019 में पारिवारिक स्वास्थ्य केंद्र का पुनर्निर्माण शुरू हुआ था। 

15000 वर्ग फीट में फैले नए पारिवारिक स्वास्थ्य केंद्र में एक आपातकालीन कक्ष, एक मिनी-ऑपरेशन थिएटर, चिकित्सक सलाह कक्ष, नर्सेज़ स्टेशन, एक मेडिकल स्टोर, एक वैक्सीन स्टोर, एक सैंपल कलेक्शन सेंटर, विज़न एंड डेंटल क्लिनिक, एक उन्नत लेबोरेटोरी और इमेजिंग डिपार्टमेंट है। साथ ही महिलाओं और बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए अलग से स्थान भी मौजूद है। विकलांगों के लिए सहूलियत वाले इस अस्पताल में एक कांफ्रेंस हाल, एक खुला जिम, बच्चों के खेलने के लिए जगह और दूसरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। साथ ही इस केंद्र पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के साथ दस बिस्तर और कम ऑक्सीजन सेचुरेशन वाले मरीजों को स्थिर करने वाली यूनिट भी उपलब्ध है।

पर्यावरण समर्थक और ऊर्जा कुशल इस इमारत का ढांचा, IIT मद्रास के छात्रों और शिक्षकों द्वारा बनाई गई डिज़ाइन पर आधारित है। इस डिज़ाइन में कैलसिनेटेड जिप्सम प्लास्टर से बने बिल्डिंग पैनल का इस्तेमाल किया गया है, जो रैपिडवाल तकनीक का एक हिस्सा है। इसमें दीवारों के लिए ईंटों, ब्लॉक, लकड़ी और स्टील के ढांचे की जरूरत नहीं होती। बिल्डिंग तंत्र में उपयोग की गई चीजों के बारे में 100 फ़ीसदी पुनर्नवीकरणीय होने, उनके भूकंप और चक्रवात रोधी होने, साथ आग, पानी और दीमक से भी प्रतिरोध क्षमता का दावा करती हैं। थ्रिसूर में गवर्मेंट इनजीनियरिंग कॉलेज के स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग के 40 छात्रों ने मिलकर इस अस्पताल की डिज़ाइन तैयार की है।  

भारत में असमान स्वास्थ्य की कहानी और केरल का अनुभव

ऑक्सफैम इंडिया द्वारा हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट हमारे देश में अलग-अलग सामाजिक-आर्थिक समूहों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं का समग्र विश्लेषण करती है और देश में बढ़ती स्वास्थ्य असमानता की तरफ ध्यान आकर्षित करवाती है। रिपोर्ट के मुताबिक़, स्वास्थ्य में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति ने मौजूदा असमानताओं को और गहरा किया है, जहां गरीब़ और वंचित लोगों के लिए कोई भी सही स्वास्थ्य सेवा प्रावधान उपलब्ध नहीं हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की ऊंची कीमत और गुणवत्ता की कमी के चलते वंचित तबकों में दरिद्रता और बढ़ी है। 

ऑक्सफैम की "कमिटमेंट टू रेड्यूसिंग इनइक्वेलिटी रिपोर्ट 2020" में स्वास्थ्य खर्च के मामले में भारत 154 वें पायदान या नीचे से पांचवे पायदान पर रखा गया है। अगर आज केंद्र और राज्यों द्वारा स्वास्थ्य पर किए जाने वाले खर्च को मिला लिया जाए, तो यह कुल जीडीपी का सिर्फ़ 1.25 फ़ीसदी हिस्सा ही होता है। एक स्वास्थ्य आपात के बीच में केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय को इस साल के लिए 71,269 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो 2020-21 के संशोधित अनुमान से 9.64 फ़ीसदी कम है। भारत में स्वास्थ्य पर जेब से ख़र्च (करीब़ 64.2 फ़ीसदी), दुनिया के औसत (18.2 फ़ीसदी) से कहीं ज़्यादा है। स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ी हुई कीमत ने कई परिवारों को अपनी संपत्तियां बेचने को मजबूर किया है। सरकारी अनुमान के मुताबिक़, सिर्फ़ स्वास्थ्य पर लगने वाले पैसे के चलते हर साल6।3 करोड़ लोग गरीबी में धकेले जाने को मजबूर हो जाते हैं। लॉकडाउन और कोविड-19 से लड़ने के लिए लगाए गए संसाधन के चलते महामारी के दौरान स्थिति और भी ज़्यादा बदतर हुई है। 

दूसरी तरफ LDF सरकार के पिछले पांच सालों में केरल में स्वास्थ्य पर खर्च कई गुना बढ़ गया है। (बजट आंकड़ों के मुताबिक़ यह राज्य की जीडीपी के कुल 0।39 फ़ीसदी से बढ़कर 1।89 फ़ीसदी हो गया है)। इस साल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को 10,354 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो 2020-21 के संशोधित अनुमानों (7,971 करोड़ रुपये) से 29।9 फ़ीसदी ज़्यादा है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-5) के पांचवे दौर के मुताबिक़, सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव पर जेब से होने वाला औसत खर्च प्रति प्रसव 2015-16 के 6,901 रुपये के स्तर से घटकर 6,710 रुपये हो गया है। इसी अवधि में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों का उपयोग 38 फ़ीसदी से बढ़कर 48 फ़ीसदी हो गया। 

मुख्यमंत्री द्वारा 6 नए पारिवारिक स्वास्थ्य केंद्रों को लॉन्च करने के बाद FHC में अपग्रेड होने वाले PHC की संख्या 480 हो चुकी है। राज्य में ऐसे 121 स्वास्थ्य संस्थान हैं, जिन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से मान्यता मिली हो या NQAS का प्रमाणपत्र हासिल हो। NQAS द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों में सभी शुरुआती 9 संस्थान केरल में ही हैं। केरल ऐसा राज्य है, जहां NQAS से मान्यता प्राप्त शहरी PHC सबसे ज़्यादा हैं। इससे पहले केरल ने नीति आयोग के स्वास्थ्य सूचकांक में भी सर्वोच्च स्थान हासिल किया था। 

इन चीजों का मतलब है कि महामारी के दौरान केरल का सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र कोविड-19 के सामने खड़ा रहने में सफल रहा था और इस अवधि में जनता को दूसरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराने में सक्षम रहा था। ध्यान देना जरूरी है कि केरल में कोविड-19 के बढ़ते मामलों पर जो चिंता जताई जा रही है, उसके बावजूद दूसरे राज्यों की तरह वहां बड़ी संख्या में वहां अतिरिक्त मौतें नहीं हुई हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Rebuilt after 2018 Floods, Kerala's FHC Showcases State’s Resilient Public Health System

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