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पूर्वी और उत्तरी निगम अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों का बकाया वेतन दो हफ्तों में जारी करें: दिल्ली हाई कोर्ट

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों को दो सप्ताह के भीतर निगम संचालित नौ अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों के अक्टूबर माह का बकाया वेतन जारी करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। ये सुनवाई आईएमए की याचिका पर की जा रही थी जहां कोर्ट ने दोनों निगमों और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी उन्हें अपना रुख बताने को कहा है।

बुधवार की सुनवाई में कोर्ट ने आईएमए की एक और याचिका मंजूर कर ली जिसमें एक जनहित याचिका में उसने पक्ष बनाने का अनुरोध किया है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित छह अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों को भत्ते के भुगतान के संबंध में इस याचिका पर सुनवाई हो रही है।

कस्तूरबा गांधी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा इस साल मार्च से वेतन का भुगतान नहीं होने पर इस्तीफा की चेतावनी देने संबंधी खबरों का संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की थी। इसके बाद दिल्ली के तीनों नगर निगमों द्वारा वेतन भुगतान नहीं किए जाने के संबंध में अलग-अलग विभाग के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों द्वारा कई याचिकाएं दायर की गयी।

न्यायमूर्ति कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को कहा कि चूंकि मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ निगमों को मिलने वाली रकम के संबंध में मामले की निगरानी कर रही है इसलिए आगे मामले में इन सभी याचिकाओं को उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा। बता दें कि सभी याचिकाओं को 15 जनवरी 2021 को उपयुक्त पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

वैसे ये कोई पहला मौका नहीं है जब निगम के अधीन काम करने वाले डॉक्टरों,नर्सिंग स्टॉफ, शिक्षक या फिर कर्मचारियों को अपने वेतन के लिए कोर्ट जाना पड़ा हो। हाल के दिनों में ऐसा लगता है जैसे निगम कर्मियों को अपने वेतन के लिए कोर्ट जाना, हड़ताल करना एक रिवायत बन गई है। पिछले कुछ सालों में हमने निगम में डॉक्टरों, शिक्षकों से लेकर सफ़ाई कर्मचारियों की कई  हड़तालें देखी है। लगभग सभी हड़तालों और प्रदर्शनो की मांग सामान्य है कि बकाया वेतन जारी किया जाए। हर बार इसका तत्कालीन हल निकालकर बकाया वेतन का कुछ हिस्सा जारी कर दिया जाता है फिर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

किसी भी सरकार ने या निगम पर शासन कर रही भाजपा ने इसके स्थाई समाधान की कोशिश नहीं की है। दिल्ली सरकार इसका ठीकरा निगम पर फोड़ती है और निगम यह कहकर बचता है कि उसका बकाया पैसा दिल्ली सरकार नहीं दे रही है। इन दोनों के बीच निगम का कर्मचारी फुटबॉल बनकर रह गया है।
 
ये बात सर्वविदित है कि दिल्ली के उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम इस समय ख़राब आर्थिक हालत से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि निगम अपने सफ़ाई कर्मचारियों से लेकर निगम के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों को समय से वेतन नहीं दे पा रहा है।

कर्मचारियों के अलावा उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों को भी समय से वेतन नहीं मिल पाता है। उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में कर्मचारियों की हड़ताल आम बात हो गई है लेकिन यह भी सच्चाई है कि हालात पैदा ही निगम में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन से हुआ है।

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